वनोपज नीति में बदलाव के बाद भी नहीं थमेगा विवाद

राज्य ब्यूरो रांची वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की वनोपज नियमावली जमीनी स्तर पर प्रभा

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 01:18 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 01:18 AM (IST)
वनोपज नीति में बदलाव के बाद भी नहीं थमेगा विवाद
वनोपज नीति में बदलाव के बाद भी नहीं थमेगा विवाद

राज्य ब्यूरो, रांची : वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की वनोपज नियमावली जमीनी स्तर पर प्रभावी होने से पहले ही विवादों में है। जलावन की लकड़ी पर लगाए गए शुल्क को लेकर उठे विवाद के बाद भले ही सरकार ने बैकफुट होते हुए नियमावली में संशोधन की बात कही हो लेकिन अभी भी इस नीति में कई ऐसे पेंच हैं, जो विवाद का पटाक्षेप नहीं होने देंगे। रैयती भूमि पर उगे वृक्षों को काटने और इसके एवज में ट्रांजिट परमिट जारी करने से जुड़े नियम खासे जटिल हैं, जिन्हें लेकर विवाद उठना तय है।

रैयत अपनी निजी भूमि पर उगे वृक्ष को काटने और उसके परिवहन की अनुमति नियमानुसार मांगना चाहे तो उसे इसके लिए अंचल पदाधिकारी, वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) और वन क्षेत्र पदाधिकारी (रेंजर) के कार्यालयों के दर्जनों चक्कर लगाने होंगे। पेड़ के कटने से लेकर उसके टुकड़े-टुकड़े का हिसाब भी देना होगा। इस प्रक्रिया में कम से कम दो माह का समय जाया होगा और सभी जानते हैं कि सरकारी प्रक्रिया तय समय से अधिक ही खिंचती है। जाहिर है रैयती भूमि पर उगे वृक्ष को काटने और उसके परिवहन को लेकर जो नियम बनाए गए हैं उसका शत-फीसद पालन करना खासा मुश्किल है। ऐसे में नियम टूटेंगे और बीच के रास्ते निकलेंगे।

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क्या तय की गई है प्रक्रिया

- रैयत अगर अपनी भूमि पर उगे वृक्ष को काटना और इसे क्रय करना चाहे तो उसे प्रपत्र-1 में एक आवेदन संबंधित अंचलाधिकारी को देना होगा। अंचल पदाधिकारी एक माह का समय लेंगे और जांच कर यह बताएंगे कि उक्त भूमि उसी रैयत की है।

- इसके बाद आवेदित भूमि पर खड़े वृक्ष पर क्रमांक अंकित करते हुए राजस्व अंचल कार्यालय में इसके लिए उपलब्ध संपत्ति चिह्न वाला हथौड़ा प्रत्येक वृक्ष पर जमीन से क्रमश: 15 से 120 सेमी ऊंचाई पर अंकित करेंगे।

- इसके पश्चात प्रपत्र-1 में आवेदित वृक्षों के जमीन से 120 सेमी ऊंचाई पर तनों की छाल सहित मापी सूची के साथ आवेदन की जांचोपरांत अनुशंसा वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) को समर्पित की जाएगी।

- अब वन क्षेत्र पदाधिकारी आवेदन में दी गई सूचनाओं की जांच कर यह आश्वस्त करेंगे कि उक्त वृक्ष वन सीमा के बाहर है। वे भी प्रपत्र-1 में मापी सूची के साथ आवेदन की जांचोपरांत अनुशंसा 15 दिनों के भीतर डीएफओ को भेज देंगे।

- अंचल पदाधिकारी और वन क्षेत्र पदाधिकारी की अनुशंसा के आधार पर वन प्रमंडल पदाधिकारी रैयत के पक्ष में जांच में सही पाए गए वृक्षों के काटने की स्वीकृति एक सप्ताह में देंगे।

- वन प्रमंडल पदाधिकारी रैयत से तय शुल्क लेकर रैयत का निजी संपत्ति चिह्न भी पंजीकृत कर सकेंगे। डीएफओ से अनुमति एवं वृक्षों पर विभागीय संपत्ति चिह्न की सूचना प्राप्ति के बाद रेंजर ऐसे वृक्षों पर विभागीय चिह्न अंचल पदाधिकारी द्वारा लगाए गए चिह्न के बगल में अंकित कर देंगे।

- इसके बाद वह संबंधित रैयत को वृक्ष के काटने की अनुमति सूचित करेंगे। इतना ही नहीं राज्य में निजी संपत्ति चिह्न के निबंधन के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक को शुल्क का समय-समय पर निर्धारण किया जाएगा। यह शुल्क सरकारी कोषागार में उचित शीर्ष के अधीन जमा किया जाएगा।

- संबंधित रैयत वन क्षेत्र पदाधिकारी से अनुमति प्राप्त करने के उपरांत वृक्षों को काट सकेगा। वृक्ष के सभी टुकड़े तब तक नहीं उठाए जा सकेंगे जब तक रेंजर इसकी जांच न कर लें। रेंजर यह भी सुनिश्चित करेंगे कि वृक्ष के तना के निचले हिस्से पर लगाए गए संपत्ति चिह्न सुरक्षित रहें।

- निरीक्षण करने के बाद रेंजर आश्वस्त होंगे और डीएफओ को रिपोर्ट करेंगे। इसके बार डीएफओ के स्तर से ट्रांजिट परमिट जारी होगा।

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