शिक्षा से वंचित न हों कोरोना काल में माता-पिता को खोनेवाले बच्चे

कोरोना काल में अपने माता-पिता या इनमें से किसी एक को खोनेवाले बच्चों की शिक्षा बाधित नहीं होगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय एवं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसे सुनिश्चित करने के निर्देश राज्य के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को दिए हैं।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 01:52 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 01:52 PM (IST)
शिक्षा से वंचित न हों कोरोना काल में माता-पिता को खोनेवाले बच्चे
शिक्षा से वंचित न हों कोरोना काल में माता-पिता को खोनेवाले बच्चे। जागरण

रांची, राज्य ब्यूरो। कोरोना काल में अपने माता-पिता या इनमें से किसी एक को खोनेवाले बच्चों की शिक्षा बाधित नहीं होगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय एवं केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने इसे सुनिश्चित करने के निर्देश राज्य के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को दिए हैं। इस आलोक में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक डा. शैलेश कुमार चाैरसिया ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों व जिला शिक्षा अधीक्षकों को पत्र भेजकर ऐसे बच्चों की पहचान कर उन्हें शिक्षा से जोड़ने को कहा है।

राज्य परियोजना निदेशक ने वैसे बच्चे जिनके माता-पिता या इनमें से कोई एक का निधन कोरोना काल में हो गया, उन्हें समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत संचालित गतिविधियों से जोड़ने को कहा है। इसके तहत अभिवंचित वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाली छात्राओं को कक्षा छह या 12 में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में नामांकन कराया जाएगा। साथ ही वैसे अन्य बच्चे जिनके माता-पिता नहीं हैं, उनका नामांकन नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालयों में कराने के निर्देश दिए गए हैं।

अभिवंचित एवं कमजोर वर्ग के वैसे बच्चे जिनका निशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिनियम के तहत नामांकन नजदीकी प्राइवेट स्कूलों में कराया जा सकता है, उन्हें वहां नामांकन कराने को कहा गया है। राज्य परियोजना निदेशक ने कहा है कि विद्यालयों में शिक्षकों का पहला स्थान है जो विद्यार्थियों एवं उनके परिवार के संबंध में जानकारी रखते हैं। ऐसे शिक्षकों को वैसे बच्चों के परिवारों की जानकारी रखने के लिए प्रशिक्षित किया जाए, जिन्होंने माता-पिता या दोनों को कोरोना के कारण खो दिया है।

शिक्षकों को इस बात की भी जानकारी दी जाए कि यदि उन्हें ऐसे बच्चों की जानकारी मिलती है तो इसकी सूचना वे 1098 पर अविलंब उपलब्ध कराएं। चाइल्ड वेलफेयर कमेटियां भी वैसे बच्चों की देखरेख एवं पुनर्वास की व्यवस्था सुनिश्चित करेगी। राज्य परियोजना निदेशक ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को अपने जिले के ऐसे बच्चों से संबंधित सूचनाएं संकलित करते हुए रिपोर्ट राज्य कार्यालय को एक माह के अंदर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही राज्य के महिला एवं बाल विकास के साथ समन्वय स्थापित करते हुए इन बच्चों को आवश्यक शैक्षणिक सुविधाएं मुहैया कराने तथा ऐसे बच्चों को मिड डे मील का भी लाभ अनिवार्य रूप से देने के निर्देश दिए हैं।

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