आज नहाय-खाय से शुरू होगा आस्था का महापर्व पर्व छठ
आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत सोमवार को नहाय खाय के साथ हो रही है।
जासं, रांची: आस्था के महापर्व छठ पूजा की शुरुआत सोमवार को नहाय खाय के साथ हो रही है। छठ पूजा को लेकर घरों से लेकर बाजार तक में लोगों का उत्साह देखने को मिल रहा है। नहाय-खाय में व्रती सुबह नदी या तालाब में स्नान करके नया अरवा चावल का भात और चना दाल और कद्दू की सब्जी बनाती हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण को देखते हुए ज्यादातर व्रती इस बार घर में ही स्नान करके कद्दू भात बना रही हैं। ये खाना सेंधा नमक में बनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि नहाय-खाय के दिन भगवान सूर्य को कद्दू भात का पहला भोग अर्पित किया जाता है। इसके बाद व्रती खरना के साथ 36 घंटों का महानिर्जला व्रत करती हैं।
वहीं रविवार को छठ व्रती महिलाओं ने सुबह खरना के लिए गेहूं धोकर सुखाया। शाम में लोग खरना की तैयारी में सब्जी और राशन की खरीदारी करते हुए दिखे। बाजार में छठ को लेकर उत्साह है। अपर बाजार के थोक किराना व्यापारी सुनील गुप्ता बताते हैं कि महंगाई का असर तो बाजार में दिख रहा है। मगर छठ को लेकर लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ है। राशन दुकान से लेकर फल और सब्जी तक की बिक्री बेहतर हो रही है। छठ के लिए खास रूप से बिहार के हाजीपुर से केला मंगाया गया है। हाजीपुर से केले का दो ट्रक सोमवार को हरमू फल मंडी पहुंच सकता है। कपड़ा बाजार भी हुआ बेहतर
: छठ को लेकर कपड़ा बाजार में भी चहल-पहल देखने को मिल रही है। अपर बाजार के थोक साड़ी विक्रेता प्रमोद सारस्वत ने बताया कि बाजार में छठ को देखते हुए खास कपड़ों का कलेक्शन मंगाया गया है। व्रती छठ के लिए खास रूप से कॉटन कपड़ा पसंद करती हैं। ऐसे में ऐसी साड़ी मंगाई गयी है जिसमें काला रंग न हो। अन्य कपड़ों की भी बिक्री बेहतर हुई है। इसके साथ आने वाले लगन को लेकर भी कपड़ों की बिक्री बेहतर दिख रही है। कोरोना के कारण घर पर देंगे अर्घ्य: छठ पर्व में लोगों को घाटों पर जाने की इजाजत सरकार ने दे दी है। बावजूद इसके लोग कोरोना संक्रमण और भीड़ से बचने के लिए लोग अपने घर पर ही छठ का अर्ध्य देने की तैयारी कर रहे हैं। छठ को लेकर बाजार में बाथटब की बिक्री हर दिन बढ़ रही है। इसे आसानी से घर के छत या गार्डन में रखकर पूजा की जा सकती है। बाजार में बाथ टब अलग-अलग साइज और सेप में 1150 रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक की कीमत में उपलब्ध है। इसे एक बार खरीदने के बाद लंबे समय तक के लिए उपयोग किया जा सकता है।
व्रत तिथि:
नहाय-खाय: 8 नवंबर
खरना: 9 नवंबर
शाम का अर्घ्य: 10 नवंबर
सुबह का अर्घ्य: 11 नवंबर नहाय-खाय का मुहूर्त: सुबह 6 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक
बाजार भाव
कद्दू: 50-60 रुपये
नया आलू: 35-50
धनिया पत्ता: 20 रुपये (100 ग्राम)
फूलगोभी लोकल: 80 रुपये
फूलगोभी चलानी: 60 रुपये
चना दाल: 61-65 रुपये
अरवा चावल (नया): 38-50 रुपये फल (रुपये में)
सेब पेटी: 500-700
संतरा पेटी: 600-700
केला: 250-450
अनानास: 50
नारियल (जोड़ा): 40-60
नींबू(बड़ा प्रति पीस): 25-40
कच्चा अदरक - 10 रुपये की एक
कच्ची हल्दी - 10 रुपये की एक
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पूजा सामग्री (रुपये में)
सूप: 100-160
दउरा: 160-200
आम लकड़ी: 22 छठ केवल व्रत नहीं है। एक महान आस्था है। जिनके घर छठ नहीं भी होता है वो भी दूसरों के घर प्रसाद मांगने के लिए जरूर जाते हैं। मगर इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए घर पर ही अर्घ्य देने का सोचा है।
संध्या देवी, व्रती छठ को लेकर बड़ा उत्साह है। मगर हमलोग पूरी सावधानी से पर्व मना रहे हैं। हालांकि संक्रमितों की संख्या अभी कम है फिर भी हम भीड़ से दूर घर पर ही अर्घ्य दे रहे हैं।
निर्मला देवी, व्रती मैं पूरे साल छठ का इंतजार करता हूं। इसके गीत सुनकर मन रोमांचित हो जाता है। हर वर्ष जुमार में जाकर अर्ध्य देता था। मगर इस बार अर्ध्य देने के लिए घर की छत पर प्लास्टिक का बाथ टब लगाया है।
सुनील कुमार, व्रती
हिदू जागरण मंच ने किया छठ घाट साफ
हिदू जागरण मंच द्वारा छठ पूजा के तैयारी में रातू रोड स्थित गंगा मोटर घाट की सफाई की गई। हिदू जागरण मंच के प्रदेश अध्यक्ष ऋषि शाहदेव ने बताया कि हिदू जागरण मंच के ओर से तालाब में उतरकर सफाई की गई। ताकि छठव्रतियों को शुद्ध घाट एवं साफ पानी की सुविधा मिले। ऋषि शाहदेव ने बताया कि सफाई का कार्यक्रम अभी लगातार तीन दिन तक चलेगा और अर्घ्य के दिन हिदू जागरण मंच की और से गंगा मोटर घाट को पूरा लाइट से सजाया जाएगा तथा व्रतियों को कपड़े बदलने के लिए भी टेंट की सुविधा की जाएगी। प्रदेश अध्यक्ष ऋषि शाहदेव ने बताया कि हिन्दू जारण मकंच की और से सभी व्रतियों के लिए फल, नारियल, सुप एवं दूध की भी व्यवस्था की जाएगी। सफाई अभियान में हिदू जारण मंच के महानगर अध्यक्ष राकेश कर्ण, सोनू, मुन्ना, प्रियांशु, अमित, सचिन चौधरी, अशोक पांडेय, मुकेश प्रामाणिक, अजित चौधरी, सूरज पांडेय, श्रवण सोनी ने योगदान दिया।