नियमों को सख्ती से अपनाया, कोरोना गांव में प्रवेश नहीं कर पाया Chatra News

Chatra Coronavirus Update Jharkhand News कोरोना गाइडलाइन का पालन कर दोनों बार कोरोना को गांव से बाहर ही रखने में सफलता हासिल की है। इसके लिए गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिए और कुछ खास नियम बनाए हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 12:24 PM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 12:29 PM (IST)
नियमों को सख्ती से अपनाया, कोरोना गांव में प्रवेश नहीं कर पाया Chatra News
Chatra Coronavirus Update, Jharkhand News गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिए हैं।

कान्हाचट्टी (चतरा), [दिलीप सिंह]। कोरोना वायरस महामारी चारों ओर कहर बरपा रहा है। शहर ही नहीं, अब तो गांव में भी खूब दस्तक दे रहा है। दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक है। जिले में अब तक दर्जनों की मौतें हो चुकी हैं। लेकिन इन सब के बीच कुछ ऐसे भी गांव हैं, जहां कोरोना अभी तक दस्तक नहीं दे पाया है। इन्हीं गांवों में कान्हाचट्टी प्रखंड के बेंगो कला पंचायत के बरमसी एवं सहातु का नाम शामिल है। बरमसी आठ से दस घर की आदिवासियों की बस्ती है। यहां आदिवासी समाज के लोगों ने कोरोना गाइडलाइन का पालन कर दोनों बार कोरोना को गांव से बाहर ही रखने में सफलता हासिल की है।

इसके लिए गांव के लोगों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिए और कुछ खास नियम बनाए हैं। वे इन नियमों का सख्ती से पालन कर रहे हैं। यह गांव शहरों के लिए भी उदाहरण बन सकता है। खेत में कामकाज के दौरान भी लोग शारीरिक दूरी व मास्क का अनुपालन करते हैं। बरमसी के लोगों ने कोरोना से पार पाना सीख लिया है। पहली बार से ही गांव के लोग कोरोना संक्रमण को लेकर सचेत हैं। ग्रामीण न केवल संक्रमण को लेकर सजग हैं, बल्कि टीकाकरण पर भी गंभीर हैं। बरमसी गांव के 45 वर्ष से ऊपर के 50 से अधिक लोग कोरोना का टीका लगवा चुके हैं। इसके बावजूद कोरोना संक्रमण फैल न पाए, इसके लिए ग्रामीण पूरी तरह चौकस हैं। गांव में बाहरी लोगों के प्रवेश पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। 

इन नियमों को अपना रहे ग्रामीण

कोरोना को मात देने के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं। जैसे बुजुर्गों, गर्भवती महिलाएं और बच्चे घर से बाहर नहीं निकलते हैं। वहीं अन्य लोग घर से बाहर निकलते समय मुंह पर मास्क या गमछा जरूर ढक लेते हैं। साथ ही घर वापस आने पर साबुन से हाथ जरूर धोते हैं। यहां गांव के लोगों का मुख्य पेशा है, जंगल से लकड़ियां काटकर लाना और उसे बेचना। इसके अलावा महिलाएं जैविक खाद का निर्माण कर रही हैं। गांव के धनेश्वर सिंह भोक्ता ने बताया कि मेरा गांव पूरी तरह सुरक्षित है। अभी तक कोरोना ने यहां दस्तक नहीं दिया है और हम लोग तीसरे दौर के लिए भी तत्पर हैं। विजय उरांव बताते हैं कि गांव को सजग व सुरक्षित रखना हम लोगों का कर्तव्य है। सतर्क और एहतियात बरतना ही इस महामारी से निजात दिला पाएगा।

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