Chamoli Tragedy: उत्तराखंड हादसे में लोहरदगा के 9 मजदूर लापता, परिजनों ने मदद की लगाई गुहार
Chamoli Tragedy लोहरदगा जिला प्रशासन ने लापता मजदूरों के संबंध में देहरादून प्रशासन आपदा प्रबंधन विभाग उत्तराखंड के मुख्य सचिव और एनटीपीसी से संपर्क किया है। अब तक लापता मजदूरों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया है।
लोहरदगा, जासं। उत्तराखंड के ग्लेशियर हादसे में झारखंड के लोहरदगा के नौ मजदूर लापता हो गए हैं। यह सभी मजदूर लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड के बगडू थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। मजदूर के परिजनों ने उपायुक्त दिलीप कुमार टोप्पो और बगडू थाना प्रभारी रंजन सिंह को आवेदन देते हुए मदद की गुहार लगाई है। लापता मजदूरों में बेटहठ पंचायत के महुरांग टोली निवासी कर्मदास भगत का पुत्र विक्की भगत, चोरटांगी गांव निवासी मनोज बाखला का पुत्र ज्योतिष बाखला, संतोष बाखला का पुत्र मजनू बाखला, नवीन बाखला का पुत्र उर्बनुष बाखला, प्रकाश बाखला का पुत्र सुनील बाखला, प्रकाश बाखला का पुत्र नेमहस बाखला, बिरिया उरांव का पुत्र रबिंद्र उरांव, रामकिशुन उरांव का पुत्र दीपक कुजूर, बगड़ू पंचायत के जामुन टोली निवासी बंधन उरांव का पुत्र प्रेम उरांव शामिल है।
लापता मजदूरों के परिजनों ने बेटहठ पंचायत के प्रधान कार्यकारी समिति सदस्य अनमोल तिर्की के माध्यम से उपायुक्त दिलीप कुमार टोप्पो और बेटहठ निवासी शशि भगत के माध्यम से बगडू थाना प्रभारी रंजन सिंह को मदद के लिए आवेदन दिया है। सूचना मिलने के बाद लोहरदगा जिला प्रशासन की ओर से देहरादून प्रशासन, गृह मंत्रालय, आपदा प्रबंधन विभाग, उत्तराखंड के मुख्य सचिव और एनटीपीसी से संपर्क किया गया है। लोहरदगा जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी विभाकर कुमार ने बताया कि उपरोक्त अधिकारियों से संपर्क करते हुए पूरी स्थिति से अवगत कराया गया है। फिलहाल अब तक लापता मजदूरों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया है।
23 जनवरी को उत्तराखंड गए थे मजदूर
लोहरदगा के लापता सभी नौ मजदूर विगत 23 जनवरी 2020 को उत्तराखंड गए थे। लापता मजदूरों में से विक्की भगत की मुलाकात पिछले साल जम्मू के एक व्यक्ति से शिमला में हुई थी। वह व्यक्ति फिलहाल उत्तराखंड के एनटीपीसी हाइड्रो प्रोजेक्ट में काम कर रहा था। उसने जनवरी में विक्की से संपर्क करते हुए कुछ मजदूरों को लेकर उत्तराखंड बुलाया था। इसके बाद विक्की अपने साथ आठ अन्य मजदूरों को लेकर विगत 23 जनवरी को उत्तराखंड के लिए रवाना हुआ था। सभी ट्रेन के माध्यम से उत्तराखंड के लिए रवाना हुए थे। सभी मजदूर 25 जनवरी को उत्तराखंड पहुंचे थे।
कई मजदूरों की परिजनों से हुई थी बात
उत्तराखंड में लापता हुए मजदूरों में से कई मजदूरों की अपने परिजनों से बात हुई थी। प्रकाश बाखला के पुत्र सुनील बाखला ने घटना के दिन रविवार को सुबह 9:42 पर अपने भाई सेवक बाखला को फोन किया था। उसने कहा था कि नेमहस, दीपक और उर्बनुष टनल के अंदर गए हुए हैं। शेष सभी बाहर हैं और जल्द ही टनल के अंदर काम करने के लिए जाने वाले हैं। इसके बाद सुनील की घर में किसी से बात नहीं हुई। वहीं ज्योतिष बाखला ने गांव की ही एक लड़की दीपिका को विगत 6 फरवरी को शाम 7:30 बजे फोन किया था। उसने कहा था कि यहां सब कुछ ठीक-ठाक है और वह लोग खाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं। जबकि दीपक कुजूर ने अपनी मां को पांच फरवरी को फोन किया था। उसने अपना हाल-चाल बताया और कहा कि यहां ठीक से काम चल रहा है। किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है।
हादसे की सूचना मिलते ही परिजन हुए परेशान
उत्तराखंड ग्लेशियर हादसे की सूचना मिलते ही परिजन परेशान हो गए हैं। परिजनों द्वारा लगातार मजदूरों से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है, परंतु किसी भी मजदूर से संपर्क नहीं हो पा रहा है। बेचैनी की हालत में परिजन कभी किसी को तो कभी किसी और से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। परिजनों ने जिला प्रशासन से सभी मजदूरों की सकुशल बरामदगी की गुहार लगाई है। परिजनों से सूचना मिलने के बाद लोहरदगा जिला प्रशासन भी अपनी ओर से सक्रिय हो चुका है। हालांकि अब तक इस मामले में कोई भी सफलता नहीं मिल पाई है।