नहाय-खाय के साथ चैती छठ आरंभ, आज संध्या में खरना करेंगे व्रती
सूर्योपासना का पर्व छठ साल में दो बार मनाया जाता है। एक बार कार्तिक में तो दूसरी बार चैत्र में।
जागरण संवाददाता, रांची: सूर्योपासना का पर्व छठ साल में दो बार मनाया जाता है। एक बार कार्तिक में दूसरा चैत में। चैती छठ शुक्रवार को नहाय-खाय के साथ आरंभ हो गया। व्रतियों ने पवित्र जल से स्नान कर भोजन में अरवा चावल का भात, कद्दू की सब्जी के साथ ग्रहण किया। इसी के साथ चार दिन का नियम निष्ठा भी आरंभ हो गया है। शनिवार को व्रती दिनभर उपवास रहकर संध्या में खरना पूजा करेंगे। भगवान सूर्य एवं उनकी बहन छठी मैया की आराधना की जाएगी। इसी के साथ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ हो जाएगा। 18 अप्रैल षष्ठी तिथि को संध्याकालीन अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं, 19 अप्रैल सप्तमी तिथि को प्रात:कालीन अर्घ्य के साथ चार दिवसीय पर्व का समापन हो जाएगा। कार्तिक छठ की तरह ही राजधानी में बड़ी संख्या में लोग चैती छठ भी करते हैं। कोरोना संक्रमण के बीच व्रतियों के घर पूजा की तैयारी आरंभ हो गई है।
मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से बनेगा प्रसाद
सूर्योपासना के पर्व छठ पर खरना पूजा का प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से तैयार करने की परंपरा है। प्रसाद में चावल का खीर, रोटी, फल, मिठाई आदि का भोग निवेदन किया जाता है। व्रती दिन भर उपवास में रहकर संध्या में नहा-धोकर प्रसाद बनाने में जुट जायेंगे। यही भोग प्रसाद ग्रहण करने के बाद निर्जला उपवास आरंभ होगा। उपवास के दौरान पानी भी नहीं पीएंगे। सांध्य व अगले दिन सुबह सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठव्रतियों का व्रत समाप्त होगा।