कोरोना काल में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ऐसे रखें ध्यान, सीबीएसई ने जारी की पुस्तिका

CBSE Latest News Jharkhand Samachar Hindi News सीबीएसई ने पुस्तिका में पैरेंट्स टीचर्स व काउंसलर की भूमिका बताई। इसमें बच्चों के लिए भी टिप्स है। ऑनलाइन पुस्तिका में बच्चों को 17 एक्टिविटी को पूरा करने का टास्क दिया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 07:37 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 07:43 PM (IST)
कोरोना काल में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का ऐसे रखें ध्यान, सीबीएसई ने जारी की पुस्तिका
CBSE Latest News, Jharkhand Samachar, Hindi News ऑनलाइन पुस्तिका में बच्चों को 17 एक्टिविटी को पूरा करने का टास्क दिया।

रांची, जासं। CBSE Latest News, Jharkhand Samachar, Hindi News कोरोना ने एजुकेशन सेक्टर को सबसे अधिक प्रभावित किया है। एक साल से अधिक हो गए, बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं। बच्चों की मन:स्थिति को समझते हुए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) ने अपनी वेबसाइट cbse.nic.in पर मेंटल हेल्थ एंड वेल्बीइंग ए पर्सपेक्टिव नाम से एक पुस्तिका जारी किया है। 84 पृष्ठ की इस पुस्तिका में कोरोना काल और इसके बाद उत्पन्न स्थिति से बच्चों को होने वाली परेशानी में साइकोलॉजिकल सपोर्ट की जरूरत को बताया गया है।

इस पुस्तिका में न सिर्फ कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई में मदद के तरीके सुझाए गए हैं, बल्कि कक्षा एक से 12वीं तक में किस स्टेज में बच्चोें को किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है और उस समय शिक्षक और पैरेंट्स का क्या रोल होना चाहिए, को बताया गया है। किशोरावस्था में चार्म और क्या-क्या चैलेंज होते हैं, उसकी बात की गई है। छात्र-छात्राओं को कम्यूनिकेशन इशू, डिफिकल्टीज इन लर्निंग, साइबर इशू सहित कई समस्याओं से निपटने के उपाय सुझाए गए हैं।

दादा-दादी और नाना-नानी बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त

पुस्तिका में फैमिली के महत्व को बताया गया है। इसमें ज्वाइंट फैमिली को बेहतर माना गया है। बच्चों के सबसे अच्छे दोस्त दादा-दादी और नाना-नानी को बताया गया है। दादा-दादी पैरेंट्स, टीचर्स व दोस्त तीनों की थाेड़ी-थोड़ी भूमिका निभाते हैं। टीचिंग इज ए वर्क ऑफ हर्ट टाॅपिक तहत शिक्षकों को सेल्फ केयर टिप्स दिया गया है। पुस्तिका में पैरेंट्स, स्कूल, टीचर्स, काउंसलर व स्पेशल एजुकेटर्स को बताया गया है कि वे बच्चों के विकास के क्रम में आने वाली अलग-अलग अवस्था में किन-किन बातों का ध्यान रखेंगे। इसमें बायोलॉजिकल, साइकोलॉजिकल व इन्वायरमेंटल फैक्टर्स की चर्चा की गई है।

इन चैप्टर्स में शिक्षक, छात्र व अभिभावक के लिए संदेश

मेंटल हेल्थ एंड वेल्बीइंग ए पर्सपेक्टिव पुस्तिका में कुल 10 चैप्टर हैं। इसके अंतर्गत 35 टॉपिक्स हैं। कोई टॉपिक्स पैरेंट्स से तो कोई टीचर और कोई छात्र-छात्राओं से जुड़ा हुआ है।

1. इंपोर्टेंस आफ मेंटल हेल्थ एंड वेल्बीइंग

2. मेंटल हेल्थ इन स्कूल, फैमिली एंड कम्यूनिटीज : अ हॉलीस्टिक अप्रोच

3. टीचर्स वेल्बीइंग

4. टीचर्स एज ए फैसिलेटर

5. रोल ऑफ स्कूल काउंसेलर्स

6. रोल ऑफ स्पेशल एजुकेटर्स

7. साइकोलॉजिकल सपोर्ट : डीलिंग विथ कोविड-19 एंड बियॉड

8. रिस्क फैक्टर्स ऑफ मेंटल हेल्थ कंडीशंस

9. स्पेशिफिक मेंटल हेल्थ कंडीशन इन अर्ली एंड मिडिल चाइल्डहूड

10. एडोलेंस : द चार्म एंड चैलेंजेज

कक्षा 1 से 6 के लिए 7 एक्टिविटी  

सभी 10 चैप्टर्स समाप्त होने के बाद छात्र-छात्राओंं के लिए एक्टिविटीज भी दी गई है। कक्षा एक से छह तक के बच्चों के लिए सात और कक्षा सात से 12वीं तक के छात्र-छात्राओं के लिए 10 एक्टिविटीज इस पुस्तिका में शामिल किया गया है। कक्षा एक से छह तक के बच्चों के लिए दी गई हर एक एक्टिविटी को पूरा करने के लिए 20 मिनट का समय दिया गया है। सबसे पहले इसे पूरा करने के लिए किस तरह की स्किल चाहिए, उसे बताया गया है। इसके बाद क्या-क्या चीजें चाहिए और फिर प्रक्रिया, अलग-अलग सिचुएशन और अंत में की-मैसेज दिया गया है।

कक्षा 7 से 12 तक के लिए 10 एक्टिविटी

कक्षा सात से बारह तक के स्टूडेंट्स के लिए जो एक्टिविटी दी गई है, उसे पूरा करने के लिए सभी के लिए अलग-अलग समय निर्धारित है। किसी के लिए 45 से 60 मिनट का तो किसी एक्टिविटी के लिए 30 से 40 मिनट का समय दिया गया है। इसमें एक्टिविटी की आब्जेक्टिव, फैसिलेटर के लिए इन्फोर्मेशन, मैटेरियल्स, प्रक्रिया, असेस्मेंट और अंत में की-मैसेज दिया गया है। सबसे अच्छी बात है कि जितनी भी एक्टिविटी है, सभी में रंगीन चित्रों से समझाया गया है। इससे बच्चों की रुचि इसे पूरा करने में बढ़ेगी।

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