झारखंड में जाति आधारित जनगणना बनेगा बड़ा मुद्दा, दीपक प्रकाश की भागीदारी से भाजपा में हलचल
Jharkhand Caste Census Hindi News झामुमो समान विचारधारा वाले दलों से बातचीत करेगा। कांग्रेस ने भी तैयारी की है। सर्वदलीय शिष्टमंडल में दीपक प्रकाश की भागीदारी से भाजपा में सुगबुगाहट होने लगी है। हालांकि बाबूलाल मरांडी इसे स्वाभाविक मानते हैं।
रांची, राज्य ब्यूरो। जाति आधारित जनगणना को सत्तारूढ़ गठबंधन झारखंड में बड़ा मुद्दा बना सकता है। रविवार को नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद इसे लेकर तैयारी तेज हो गई है। हालांकि केंद्र ने स्पष्ट कर दिया है कि यह संभव नहीं है, लेकिन इस मुद्दे पर केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात करने वाले शिष्टमंडल में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश की भागीदारी राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बनी हुई है। भाजपा में सुगबुगाहट इस बात को लेकर है कि जाति आधारित जनगणना पर केंद्र सरकार के स्पष्ट रुख के बावजूद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सर्वदलीय शिष्टमंडल का हिस्सा बने।
हालांकि भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी इसे स्वाभाविक मानते हैं। उनका कहना है कि शिष्टमंडल के साथ जाने में कोई परेशानी नहीं है। जाति आधारित जनगणना पुराना मसला है। 2011 में जब केंद्र में यूपीए की सरकार थी, तो भी यह मांग उठी थी। उस समय यूपीए ने इसे ठुकरा दिया था। उधर कांग्रेस ने कहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री से इस संबंध में आग्रह किया गया है। प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर के मुताबिक अगर इसपर सकारात्मक निर्णय नहीं किया गया, तो सत्याग्रह होगा। यानी कांग्रेस ने इसे आगे बढ़ाने की तैयारी कर ली है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी इस अहम राजनीतिक मुद्दे पर तेवर दिखाए हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सवाल उठाया है कि जब देश में पशुओं से लेकर पेड़-पौधे की गणना हो सकती है, तो जाति आधारित जनगणना क्यों नहीं की जा सकती है। महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि यह अहम मुद्दा है। समान विचारधारा वाले दलों से इस बाबत बातचीत की जाएगी। इस संबंध में राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली गतिविधियों में भी झारखंड मुक्ति मोर्चा शामिल होने पर विचार करेगा।
दीपक प्रकाश बोले, सैद्धांतिक रूप से सहमत लेकिन व्यावहारिक कठिनाइयां भी
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने जातिगत जनगणना के मसले पर कहा कि सैद्धांतिक रूप से हम इससे पूरी तरह से सहमत हैं, लेकिन सच यह भी है कि व्यावहारिक रूप से इसे लागू करने में कई कठिनाइयां हैं। कहा, जहां तक पिछड़ों के हितों की बात है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी सबसे ज्यादा चिंता है। प्रधानमंत्री लगातार सर्व समाज के हितों के लिए काम कर रहे हैं। चाहे नौकरियों में आरक्षण का मामला हो या आयोग के गठन का। केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी सबसे ज्यादा संख्या पिछड़ों की ही है।