कक्षा न परीक्षा, अफसर बनने के हवाई ख्वाब; पार्ट टाइम वालों का मुंह ताक रहे होनहार

बीएससी इन कम्युनिटी हेल्थ कोर्स पूरा करने के बाद छात्र-छात्राओं को ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में कम्युनिटी हेल्थ आफिसर के पदों पर सीधी नियुक्ति की बात कही गई है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 04:52 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 04:52 PM (IST)
कक्षा न परीक्षा, अफसर बनने के हवाई ख्वाब; पार्ट टाइम वालों का मुंह ताक रहे होनहार
कक्षा न परीक्षा, अफसर बनने के हवाई ख्वाब; पार्ट टाइम वालों का मुंह ताक रहे होनहार

रांची, [नीरज अम्बष्ठ]। राज्य में बीएससी इन कम्युनिटी हेल्थ की पढ़ाई के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। न तो नियमित रूप से कक्षाएं हो रही हैं न ही परीक्षा। सबसे बड़ी बात यह कि इस कोर्स को पूरा करने के बाद छात्र-छात्राओं को ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केंद्रों में कम्युनिटी हेल्थ आफिसर के पदों पर सीधी नियुक्ति की बात कही गई है। 'दैनिक जागरण' ने जब नामकुम स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ में चल रहे इस पाठ्यक्रम की पड़ताल की तो कई चौंकानेवाली बातें सामने आईं।

वहां पढ़ाई कर रहे छात्र-छात्राओं से बात की तो वे नाम नहीं छापने की शर्त पर वहां के प्रबंधन के विरुद्ध फूट पड़े। उनका कहना था कि यहां कक्षाएं होने की कोई गारंटी नहीं है। कभी शिक्षक नहीं आते तो कभी छात्रों की उपस्थिति कम होने का बहाना बनाते हुए कक्षाएं स्थगित कर दी जाती हैं। छात्र-छात्राओं ने इसकी शिकायत तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास से लेकर विभाग के प्रधान सचिव डा. नितिन मदन कुलकर्णी से कई बार की, लेकिन कोई प्रभाव नहीं पड़ा। चूंकि यहां पठन-पाठन पार्ट टाइम शिक्षकों से कराया जाता है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि पार्ट टाइम शिक्षकों के मानदेय के नाम पर कहीं बड़ी गड़बड़ी तो नहीं हो रही है।

इस कोर्स की पढ़ाई झारखंड में रांची तथा हजारीबाग में शुरू हुई थी। पहले बैच की बात करें तो आइपीएच में 2016-19 के पहले बैच का अभी तक महज तीन सेमेस्टर की परीक्षा हो सकी है। 2017-20 का सत्र इसी वर्ष समाप्त होनेवाला है, लेकिन अभी महज एक ही सेमेस्टर की परीक्षा हो पाई है। पांच परीक्षाएं बाकी हैं। दूसरी तरफ, हजारीबाग में इसी बैच की तीन सेमेस्टर की परीक्षा हो चुकी है। शैक्षणिक वर्ष 2018-21 के बैच की अभी तक एक भी सेमेस्टर की परीक्षा नहीं हो पाई है। हजारीबाग में एक सेमेस्टर की परीक्षा हुई है।

एक-एक माह नहीं होती कक्षा

आइपीएच में पढ़ाई कर रहे 2017-20 बैच के छात्रों का कहना है कि कक्षाएं अनियमित होने के कारण कई छात्र-छात्राएं नियमित रूप से उपस्थित नहीं हो पाते। बताया कि इसी साल प्रैक्टिकल खत्म होने के बाद 10 जनवरी से 09 फरवरी तक कक्षा शुरू होने का कोई नोटिस उन्हें नहीं मिला। जब इसकी शिकायत स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से की गई तो 10 फरवरी से कक्षाएं शुरू हुईं।

प्रैक्टिकल के नाम पर भी खानापूर्ति, नहीं सीख पाते विद्यार्थी

यहां प्रैक्टिकल के नाम पर भी खानापूर्ति हो रही है। संस्थान के छात्रों द्वारा मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री को की गई शिकायत के अनुसार, प्रैक्टिकल के दौरान सदर अस्पताल या किसी अन्य स्वास्थ्य केंद्र में कोई प्रशिक्षक नहीं दिया जाता। इस कारण क्वालिटी प्रैक्टिकल नहीं हो पाता न ही वे सही ढंग से कुछ सीख पाते। उनके अनुसार, ई-कल्याण से पंजीकृत नहीं होने से उन्हें छात्रवृत्ति का भी लाभ नहीं मिल पा रहा है।

शौच के लिए जाना पड़ता दूसरे भवन

छात्र-छात्राओं की कक्षाएं स्वास्थ्य निदेशालय के पुराने भवन में होती हैं जहां सुविधाओं का घोर अभाव है। स्थिति यह है कि छात्र-छात्राओं को शौच के लिए आइपीएच के मुख्य भवन जाना पड़ता है। उनके अनुसार, अक्सर वहां विभाग तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान की बैठकें चलती रहती हैं, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

फैक्ट फाइल 60 आइपीएच, रांची में तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशिक्षण केंद्र, हजारीबाग में 40 सीटों पर दाखिला झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा आयोजित परीक्षा के आधार पर होता है।  यह कोर्स बीएससी के समतुल्य है तथा डिग्री क्रमश: रांची विवि तथा विनोबा भावे विवि द्वारा दी जानी है। कोर्स पूरा करने पर निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं की अध्यक्षता में गठित स्थापना समिति की अनुशंसा पर ये स्वास्थ्य उपकेंद्रों में कम्युनिटी हेल्थ एसीस्टेंट्स के पद पर कार्य करेंगे। आवश्यकता के अनुसार इनकी सेवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी की जा सकेगी। 9300-34800 वेतनमान तथा 4200 ग्रेड पे में होगी इनकी नियुक्ति।

नया कोर्स होने के कारण सत्र में देरी हुई। परीक्षाएं समय पर हों इसका प्रयास हो रहा है। रांची विश्वविद्यालय से भी बात हुई है। कक्षाएं नहीं होने का छात्राओं का आरोप निराधार है। सही तो यह है कि छात्र-छात्राओं की उपस्थिति ही नहीं होती। 60 सीट पर नामांकन हुआ है। औसतन 20 से 25 छात्र ही कक्षाओं में उपस्थित होते हैं। डा. वीरेंद्र प्रसाद, कोर्स प्रभारी, आइपीएच।

खास बातें बीएससी इन कम्युनिटी हेल्थ की पढ़ाई के नाम पर हो रही खानापूर्ति कोर्स खत्म होने के बाद सीधे हेल्थ ऑफिसर बनाने की है बात नियमित रूप से नहीं होती कक्षाएं, छात्रों की उपस्थिति भी नहीं  2019 में खत्म होना था पहला बैच, तीन सेमेस्टर की ही हुई परीक्षा

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