नवजात का सुपोषण जरूरी, छह माह तक मां का दूध जरूरी

नवजातों के सुपोषण के लिए मां के दूध को सर्वोत्तम आहार कहा गया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 06 Sep 2018 12:10 PM (IST) Updated:Thu, 06 Sep 2018 12:10 PM (IST)
नवजात का सुपोषण जरूरी, छह माह तक मां का दूध जरूरी
नवजात का सुपोषण जरूरी, छह माह तक मां का दूध जरूरी

रांची, राज्य ब्यूरो। बच्चों के पोषण को सुनिश्चित करने के लिए जहां जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान कराना जरूरी है, वहीं छह माह तक केवल मां का दूध (एक्सक्ल्यूसिव ब्रेस्ट फीडिंग) भी जरूरी है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान, झारखंड के निदेशक कृपानंद झा के अनुसार, केवल मां के दूध से नवजातों में होनेवाली 20 फीसद मौत को रोका जा सकता है।

लेकिन झारखंड में इसे लेकर महिलाएं जागरूक नहीं है। मां के दूध से बच्चों में बौद्धिक क्षमता तीन से चार प्वाइंट बढ़ जाती है। शिशुओं के मस्तिष्क और शारीरिक विकास होता है।

क्या है झारखंड में स्थिति : झारखंड में 33.2 फीसद नवजात को ही जन्म के पहले घंटे मां का दूध (कोलेस्ट्रॉम अर्थात खिरसा) मिल पाता है। जबकि इस दूध में रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है।

- लगभग 65 फीसद शिशु ही एक्सक्ल्यूसिव ब्रेस्टफीडिंग कर पाते हैं। शेष बच्चे या तो मां के दूध के साथ ऊपरी आहार (सामान्य दूध या डिब्बा बंद दूध) लेते हैं या पूरी तरफ इसपर निर्भर होते हैं।

आयरन की गोलियों का बढ़ेगा कवरेज : अभियान निदेशक के अनुसार, राज्य सरकार बच्चों के पोषण के लिए बच्चों, किशोरियों और गर्भवती महिलाओं के बीच आयरन की गोलियां बांटती है। राज्य सरकार ने अब इसका कवरेज बढ़ाने का निर्णय लिया है।

अब आयरन की गोली सभी महिलाओं को दी जाएगी ताकि उनमें खून की कमी न हो। राज्य सरकार कमजोर नवजातों के लिए सभी स्पेशल न्यू बानॅ केयर यूनिटों में मदर कंगारू केयर यूनिट भी स्थापित कर रही है। डी-वार्मिग डे के अवसर पर अल्बेंडाजोल की मुफ्त दवा देने का प्रयास भी बच्चों के पोषण सुनिश्चित करने के लिए चलाया जाता है।

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