Giloy Collection: बीएयू विज्ञानी ने 30 प्रकार की गिलोय का किया संग्रह, मिली राष्ट्रीय पहचान
Giloy Ke Fayde Jharkhand Hindi News Birsa Agriculture University Ranchi बीएयू विज्ञानी को गिलोय जर्मप्लाज्म संग्रह करने पर राष्ट्रीय पहचान मिली है। विवि के इस महत्वपूर्ण उपलब्धि से भविष्य में गिलोय के गुणवत्तायुक्त जर्मप्लाज्म के अनुसंधान कार्यो को बढ़ावा मिलेगा।
रांची, जासं। रांची के बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में वानिकी संकाय के वनोत्पाद एवं उपयोगिता विभाग द्वारा गिलोय के क्षेत्र में किए गए शोध कार्य को राष्ट्रीय पहचान स्थापित करने में पहली बार सफलता मिली है। यह सफलता आइसीएआर-अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान औषधीय एवं सगंधित पौध परियोजना के अधीन गिलोय के 30 जर्मप्लाज्म को संग्रहित करने पर मिली है। परियोजना अन्वेंषक डा. कौशल कुमार ने बताया कि शोध कार्यक्रम के तहत झारखंड, उत्तराखंड, राजस्थान एवं देश के अन्य सूदूर ग्रामीण क्षेत्रों में गिलोय के गुणवत्तायुक्त जर्मप्लाज्म का संग्रहण एवं अनुसंधान किया गया है।
इस शोध के तहत गिलोय के चिन्हित एवं चयनित 30 जर्मप्लाज्म को आइसीएआर–राष्ट्रीय पादप आनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो (एनपीजीआर), नई दिल्ली ने राष्ट्रीय पहचान संख्या आवंटित की है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय को औषधीय पौधे के क्षेत्र में पहली बार आइसीएआर–एनपीजीआर से पहचान मिली है। विवि की इस महत्वपूर्ण उपलब्धि से भविष्य में गिलोय के गुणवत्तायुक्त जर्मप्लाज्म के अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा मिलेगा।
सभी 30 जर्मप्लाज्म को संरक्षण के लिए औषधीय एवं सगंधिय पादप अनुसंधान निदेशालय, आनंद, गुजरात को सौंपा गया है। इसे वैज्ञानिक संदर्भ एवं उनके जीन बैंक में रोपण हेतु भेजा गया है और इनका प्रमाण पत्र भी प्राप्त किया गया है। गिलोय को अमृता कहा जाता है। यह वानस्पतिक लता अनेक औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। इसका वैज्ञानिक नाम टिनोस्पोरा कोर्डिफोलिया है।
यह ज्वरनाशक, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली लता है। कोरोनाकाल की वैश्विक आपदा में इम्युनिटी को बढ़ाने में व्यापक रूप से गिलोय का उपयोग किया गया। इस शोध कार्य में परियोजना अन्वेंषक डॉ. कौशल कुमार एवं सीनियर रिसर्च फेलो डॉ. दिवाकर प्रसाद निराला का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कुलपति डॉ. ओंकार नाथ सिंह ने औषधीय एवं सगंधिय पादप क्षेत्र में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने की शुभकामना दी।