BAU Foundation Day: बीएयू ने पूरे किए 4 दशक, आनलाइन मनाया जाएगा स्थापना दिवस समारोह

बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का 41वां स्थापना दिवस समारोह शनिवार को आनलाइन मनाया जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नईदिल्ली के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डा आरसी अग्रवाल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे जबकि कुलपति डा ओंकार नाथ सिंह अध्यक्षता करेंगे।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 12:52 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 12:52 PM (IST)
BAU Foundation Day: बीएयू ने पूरे किए 4 दशक, आनलाइन मनाया जाएगा स्थापना दिवस समारोह
बीएयू ने पूरे किए 4 दशक, आनलाइन मनाया जाएगा स्थापना दिवस समारोह। जागरण

रांची, जासं। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय का 41वां स्थापना दिवस समारोह शनिवार को आनलाइन मनाया जाएगा। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नईदिल्ली के उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा) डा आरसी अग्रवाल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे जबकि कुलपति डा ओंकार नाथ सिंह अध्यक्षता करेंगे। समारोह सुबह 10:30 बजे से शुरू होगा। डीन एग्रीकल्चर डा एमएस यादव ने बताया कि इस अवसर पर आनुवंशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के मुख्य वैज्ञानिक डा सोहन राम को विश्वविद्यालय के सर्वोत्तम वैज्ञानिक के रूप में सम्मानित किया जाएगा। साथ ही स्नातक कृषि संकाय के टापर आयुष लाल दास, पशु चिकित्सा संकाय की टापर निकिता सिंह और वानिकी संकाय की टापर अंशु कुमारी को भी उनके अकादमिक प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया जाएगा।

छात्रों को किया जाएगा सम्मानित

इसी प्रकार देश के अग्रणी प्रबंधन संस्थानों में प्रवेश पाने वाले कृषि महाविद्यालय के पांच छात्र छात्राओं- अर्पिता चौधरी (आईआईएम, रोहतक), साक्षी सुमन (एक्सएलआरआई, जमशेदपुर), जागृति कुमारी (इरमा, आनंद) तथा राहुल प्रसाद एवं जोशी खलखो (राष्ट्रीय कृषि विपणन संस्थान, जयपुर) को पुरस्कृत किया जाएगा। रॉयल वेटनरी कॉलेज, लंदन विश्वविद्यालय में मास्टर डिग्री पाठ्यक्रम में प्रवेश पाने वाली बीएयू की पशुचिकित्सा स्नातक निकिता सिंह को भी सम्मानित किया जाएगा। इसके साथ विवि के शिक्षक और छात्रों के लिए विभिन्न विषयों पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है।

तीन से बढ़कर हो गए 11 कालेज

बिरसा कृषि विवि को छोटानागपुर एवं संथाल परगना की विशेष कृषि-मौसम परिस्थितियों के मद्देनजर तत्कालीन राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर बिहार से अलग कर बिरसा कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना 40 वर्ष पूर्व की गई थी। इसका विधिवत उद्घाटन पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जून, 1981 को किया गया था। स्थापना काल के समय बीएयू के अंतर्गत केवल तीन कॉलेज थे- कृषि, पशुचिकित्सा एवं वानिकी महाविद्यालय। पिछले चार दशकों में इनकी संख्या बढ़कर 11 हो गई है। इनके अतिरिक्त क्षेत्र विशेष की समस्याओं, जरूरतों एवं प्राथमिकताओं के अनुरूप शोधकार्य को गति प्रदान करने के लिए बीएयू के अंतर्गत दुमका, दारिसाई (पूर्वी सिंहभूम) एवं चियांकी (पलामू) में 3 क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र तथा 16 जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र कार्यरत हैं। झारखंड को गुणवत्तायुक्त बीजों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से गौरिया करमा (हजारीबाग) में बीज उत्पादन, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र कार्यरत है।

40 किस्मों फसल का विवि में हुआ विकास

विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों द्वारा झारखंड की परिस्थितियों में बेहतर उत्पादन देने वाली, कम पानी में भी अच्छा प्रदर्शन करनेवाली, रोगों एवं कीड़ों के प्रति सहिष्णु चावल, मक्का, मड़ुवा, गुंदली, अरहर, उड़द, मूंग, मूंगफली, सोयाबीन, तीसी, सरसों आदि फसलों की 40 से अधिक उन्नत किस्में विकसित की गई हैं। इन्हें राज्य स्तर पर या राष्ट्रीय स्तर पर रिलीज किया गया है। यहां के पशु वैज्ञानिकों द्वारा विकसित सूअर नस्ल झारसूक (टी×डी) की मांग पूरे देश के जनजातीय एवं पहाड़ी क्षेत्रों में है क्योंकि इसकी उत्पादन क्षमता देशी नस्ल की तुलना में तीन गुना अधिक है। विवि में विकसित कुक्कुट की नस्ल झारसीम बैकयार्ड पोल्ट्री एवं अंडा उत्पादन के लिए बहुत उपयोगी साबित हुई है। झारखंड की ग्रामीण परिस्थितियों के लिए यह मुर्गी नस्ल काफी अनुकूल है और इनकी देखरेख और पालन पर विशेष खर्च भी नहीं होता।

छोटो कृषि उपकरणों का भी हुआ है विकास

इसी प्रकार कृषि अभियंत्रण विभाग द्वारा राज्य के लिए कम लागत वाले 11 छोटे कृषि उपकरणों का विकास कर उन्हें उद्योगों द्वारा व्यावसायिक उत्पादन के लिए रिलीज किया गया है। पौधा संरक्षण, फसल प्रबंधन तथा मिट्टी एवं जल प्रबंधन के लिए भी महत्वपूर्ण किसानोपयोगी प्रौद्योगिकी का विकास कर किसानों के बीच उनका प्रसार किया गया है। वानिकी, बागवानी, मत्स्यपालन, मधुमक्खीपालन जैवप्रौद्योगिकी, मशरूम उत्पादन से जुड़े वैज्ञानिकों ने भी किसानों के हित में पैकेज आफ प्रैक्टिसेज का विकास किया है, जिनके प्रयोग से किसानों की आय एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है।

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