बिना सरकारी मदद 18 अनाथ बच्चों को पाल रहे बिल्कन

खूंटी जिले के रनिया प्रखंड के टूटीकेल में रहने वाले बिल्कन भेंगरा बगैर सरकारी सहयोग के 18 बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 10:24 PM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 10:24 PM (IST)
बिना सरकारी मदद 18 अनाथ बच्चों को पाल रहे बिल्कन
बिना सरकारी मदद 18 अनाथ बच्चों को पाल रहे बिल्कन

खूंटी : खूंटी जिले के रनिया प्रखंड के टूटीकेल में रहने वाले बिल्कन भेंगरा बगैर सरकारी सहयोग के 18 अनाथ बच्चों का पालन-पोषण कर रहे हैं। कोरोनाकाल से अबतक 18 अनाथ बच्चों को भोजन समेत सभी प्रकार की सुविधाएं दे रहे हैं। बिल्कन भेंगरा ने इन बच्चों के लिए रहने, खाने और शिक्षा की व्यवस्था की है। वे 2019 से अनाथ बच्चों को अपने पास रख रहे हैं। फिलहाल चार बच्चों को उनके गांव में सरकार की ओर से प्रधानमंत्री आवास मिल रहा है। इनमें से तीन बच्चे अब बिल्कन के साथ नहीं रहेंगे। सिमडेगा जिला क्षेत्र का रहने वाला एक बच्चा वापस बिल्कन के साथ रहने आएगा। बिल्कन के अनाथालय में वर्तमान में 14 बच्चे हैं। इनमें से छह बच्चों के माता-पिता नहीं हैं। चार बच्चों के मां नहीं है और पिता जेल में हैं। चार बच्चों के पिता हैं, लेकिन मां दूसरी शादी कर चली गई। बिल्कन बताते हैं कि वे तीन बच्चियों का कन्यादान भी करेंगे। इनमें एक बच्ची का कोई अता-पता नहीं है, जबकि दो का पता है, लेकिन दुनिया में दोनों का कोई नहीं है। बिल्कन के अनाथालय में खूंटी के अलावा सिमडेगा, गुमला और पश्चिमी सिंहभूम जिले के बच्चें हैं। अनाथालय के संबंध में बिल्कन बताते हैं कि वर्ष 2019 में वे डोडमा गांव में एक अनाथ बच्चे से मिले थे। बच्चे को देखकर उनके मन उसे अपने साथ रखने की इच्छा जगी। इसके बाद उसी एक बच्चे के साथ बिल्कन ने अनाथालय की शुरुआत की।

एक संस्था के मास्टर ट्रेनर हैं बिल्कन

टूटीकेल के रहने वाले बिल्कन भेंगरा ने अबतक शादी नहीं की है। वे लाइफ गिविग नेटवर्क हेल्पलाइन संस्था के मास्टर ट्रेनर हैं। उनकी संस्था गांव-गांव में नशामुक्ति, कोरोना जागरूकता अभियान, प्राथमिक उपचार समेत अन्य कई विषयों पर ग्रामीणों को जागरूक करती है। इसी काम से बिल्कन को जो वेतन व मेहनताना मिलता है। उसको अनाथालय के बच्चों पर खर्च करते हैं। गांव-गांव में प्रशिक्षण के दौरान वे लोगों से ऐसे बच्चों को उन्हें सौपने या उसकी सूचना देने की अपील करते हैं, जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है।

-----

नहीं लेते सरकारी मदद

बिल्कन अनाथ बच्चों की सेवा अपनी क्षमता के अनुसार करते हैं। उन्हें किसी प्रकार की सरकारी सहयोग नहीं मिलता है। बिल्कन की सेवा भावना को देखते हुए सौदे स्थित सीआरपीएफ 94 बटालियन, रनिया थाना और स्थानीय दुकानदार उन्हें राशन आदि की मदद पहुंचाते हैं। उन्होंने बताया कि एक बड़े पुलिस अधिकारी जोसफ लुगून भी उनके अनाथालय के बच्चों को मदद पहुंचाते हैं। कोरोना काल में स्कूल बंद रहने के कारण वे स्वयं छोटे बच्चों को पढ़ाते हैं। वहीं अब बड़े बच्चे पढ़ने के लिए स्कूल जाते हैं। बड़े बच्चे पढ़ने के लिए चुरदाग स्कूल जाते हैं। उनके इस काम में उनके संस्था में ट्रेनर का काम करने वाली रश्मि भेंगरा, वाहलेन गुड़िया, अंजला भेंगरा व हेरानी होरो सहयोग करती थीं। फिलहाल चारों अपने-अपने घर चली गई हैं।

---

सभी जरूरतों को पूरा करने में मुश्किल तो होता है, लेकिन आवश्यक आवश्यकताओं की पूर्ति हो ही जाती है। बच्चों के साथ एक परिवार की तरह रहते हैं। घर में मुर्गी रखे है, सभी मिलकर सब्जी की खेती भी करते हैं, जिससे बाजार से खरीदना नहीं पड़ता है। बच्चों के कुछ जरूरत समाजसेवी पूरा कर देते हैं। मुश्किलों के बीच बच्चों के साथ रहना उनका लालन-पालन करना अच्छा लगता है।

- बिल्कन भेंगरा, टूटीकेल

chat bot
आपका साथी