Bengal Election: बंगाल में बढ़ा राजनीतिक तापमान, किसका मुंह मीठा करेगा बांकुड़ा का सोंदेश
Bengal Election बांकुड़ा में चाय दुकान से लेकर नुक्कड़ों और सभाओं में हार-जीत की ही चर्चा है। भाजपा और तृणमूल जोर लगा रहे हैं। रैलियों रोड शो और सभाओं में आरोपों के तीर चल रहे हैं। प्रचार युद्ध में तृणमूल भी पीछे नहीं है।
बांकुड़ा से प्रदीप सिंह : Bengal Election बांकुड़ा में चुनावी बयार जोरों पर है। बेलियातोड़ मोड़ पर चाय की दुकान चलाने वाले बालू दा को अभी सांस लेने तक की फुर्सत नहीं। इनकी दुकान की चाय मशहूर है। गर्म-गर्म चाय के साथ दुकाान में राजनीतिक कोथा (गपशप) भी चलती रहती है। वैसे भी चाय पर चुनावी चर्चा का शगल पुराना है। झारखंड की सीमा से सटे इस इलाके में चारों तरफ भाजपा के झंडे-पताके दिख रहे हैं। कुछ दूर आगे बड़जोर में बाबुल सुप्रियो का बड़ा रोड शो होने वाला है। परिवर्तन यात्रा चल रही है।
बालू दा के मुताबिक माहौल पूरा गर्म है एकदम गर्मागर्म चाय की तरह। कैसा इलेक्शन चल रहा है दादा, यह पूछने पर बालू दा बोलते हैं- इलेक्शन में बारे में बताने को कुछ भी नहीं है। बस देखने और फील (महसूस) करने का है दादा। आपनी चा (चाय) खाएगा? आलूचौप और सोंदेश (बंगाल की मशहूर मिठाई) भी है। चल रे बुतरू खिलाओ दादा को। इतना कहते हुए वे केतली से कुल्हड़ में चाय डालने में मशगूल हो जाते हैं। बांकुड़ा कभी लाल झंडे यानी सीपीएम का गढ़ हुआ करता था।
यहां की सात विधानसभा क्षेत्रों में अब सिर्फ एक पर वाम दल आरएसपी का कब्जा है। ज्यादातर पर तृणमूल कांग्रेस और एक सीट कांग्रेस काबिज है। वामदलों का प्रभाव घटा तो उसकी जगह तृणमूल कांग्रेस ने ले ली। इस बार लोकसभा चुनाव में भाजपा ने भी यहां अपनी धमक दिखाई। पेशे से चिकित्सक डाॅ. सुभाष सरकार को 49 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे। डाॅ. सरकार झारखंड प्रदेश भाजपा के सह प्रभारी भी है। वे कहते हैं- आगे-आगे देखते जाइए, क्या होता है। बहुत तेजी से भाजपा आगे बढ़ रही है बंगाल में। तृणमूल के शासन में बंगाल की अस्मिता खतरे में है। हम इसे वापस लेकर रहेंगे।
बरजोड़ा के पास भाजपा की बाबुल सुप्रियो की परिवर्तन यात्रा को लेकर भारी उत्साह है। बड़ी संख्या में महिलाएं सड़क किनारे खड़ी हैं। जुलूस का अंतिम छोर दुर्गापुर की सीमा तक है। जयश्री राम के नारे खूब लग रहे हैं। बाबुल अपनी सभाओं में तृणमूल को निशाने पर ले रहे हैं। वे सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोपों को गिनाना नहीं भूलते। राजनीतिक यात्राओं में सुरक्षा काफी सख्त हो गई है। खुद बाबुल सुप्रियो सीआरपीएफ की सुरक्षा घेरे में हैं तो जुलूस के मद्देनजर सड़क पर अन्य आवागमन ठहरा हुआ है। ट्रक ड्राइवर सतनाम सिंह कहते हैं-कलकत्ते तक जाना है जनाब। दोपहर से यहीं खड़े हैं। देखिए ये हमें आगे बढ़ने देते हैं कि नहीं?
तृणमूल भी प्रचार युद्ध में पीछे नहीं
प्रचार युद्ध में तृणमूल भी पीछे नहीं है। रानीबांध और उसके आसपास के इलाकों में कार्यकर्ता नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं। झंडे से पटा है पूरा इलाका। हमारे लिए ममता दीदी ही सबकुछ है। ये बाहरी (भाजपा) लोग बंगाल को डिस्टर्ब कर रहे हैं। हम इनको पीछे धकेल देंगे। तृणमूल के मुकेश टुडू ऐसा बोलते हुए कार्यकर्ताओं को निर्देश देते हैं- लगातार डटे रहना है अपने बूथ पर। सबपर नजर रखना है। माकुरग्राम के तापस साहनी राजनीतिक बातें करने में हिचकिचाते हैं। पूछने पर शर्माते हुए कहते हैं-होम पार्टी-शार्टी नहीं कोरता है दादा। अपना कारोबार है गैरेज का। उधर के काम से फुर्सत नहीं है हमको। जब भोट (वोट) का समय आएगा तो गाम (गांव) का प्रधान जिसको बोलेगा, उसको हाम भोट डाल देगा।
बांकुड़ा की विधानसभा सीटें
रायपुर (एसटी), बांकुड़ा, रघुनाथपुर (एससी), तालडंगरा, सालतोरा, रानीबांध (एसटी) और छातना।
गोवंश की तस्करी धड़ल्ले से, कोई रोकटोक नहीं
सीमावर्ती इलाके में गोवंश की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही है। यह पुरुलिया होते हुए बांकुड़ा पहुंचता है और इसके बाद आगे। तस्करों का पूरा नेचवर्क है। तस्कर सहूलियत के लिहाज से पैदल और गाड़ी के जरिए गोवंश ढोते हैं और सड़क किनारे मुस्तैद पुलिस वाले इन्हें रोकने की जहमत नहीं उठाते। शाकिर का यही काम है। फोटो खींचने से मना करते हुए कहते हैं-सबका रेट बंधा है साहब। हमें कोई दिक्कत नहीं। हम तो माल एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा देते हैं और हमारा काम खत्म हो जाता है। आम राहगीरों को रोककर पुलिस जहां गाडिय़ों की तलाशी लेती है वहीं तस्करों की गाडिय़ां फर्राटा भरते हुए निकल जाती है। दूसरे प्रदेशों की रजिस्ट्रेशन नंबर वाली गाडिय़ों को देखकर पुलिसकर्मी जरूर रोककर पूछताछ करते हैं।