Bengal Chunav: ममता बनर्जी के गढ़ में अमित शाह की सेंधमारी, पुरुलिया में हौले-हौले बदल रही हवा...

Bengal Chunav बंगाल में दीवारों पर अधूरा कमल का निशान यह बता रहा है कि राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखने के लिए जोर-आजमाइश चरम पर है। आए दिन हिंसा-प्रतिहिंसा आम है। - तृणमूल का मजबूत किला रहे पुरुलिया में सेंधमारी में जुटी भाजपा के चलते बड़े पैमाने पर भागमभाग मचा है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 08:33 AM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 08:11 PM (IST)
Bengal Chunav: ममता बनर्जी के गढ़ में अमित शाह की सेंधमारी, पुरुलिया में हौले-हौले बदल रही हवा...
Bengal Chunav: बंगाल की दीवारों पर अधूरा कमल निशान बता रहा कि राजनीतिक वर्चस्व के लिए जोर-आजमाइश चरम पर है।

पुरुलिया से प्रदीप सिंह। Bengal Chunav, Bengal Election 2021 ममता बनर्जी के गढ़ पुरुलिया में दीवारों पर अधूरा कमल का निशान यह बता रहा है कि राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखने के लिए जोर-आजमाइश चरम पर है। आए दिन हिंसा-प्रतिहिंसा आम है। राजनीतिक निष्ठा भी रातोंरात बदल रही है। यहां के राजघराने से जुड़े शंकर नारायण सिंहदेव प्रभावी हैं। वे भाजपा छोड़ तृणमूल में आए हैं। इसी तरह तृणमूल से भी बड़े पैमाने पर निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं का छिटकना जारी है। साइकिल मैकेनिक जयदीप बताते हैं- दादा, इधोर खूब मारामारी होता है इलेक्शन में। कोई कुछ बोलेगा नहीं, पर सबके मन में कुछ ना कुछ चौल (चल) रहा है।

पुरुलिया जिले के तहत आने वाला यह विधानसभा क्षेत्र झारखंड की सीमा से सटा है। एक संकरा पुल दो राज्यों झारखंड और बंगाल का मिलन कराता है। सबसे पहला कस्बा है तुलिन। प्रवेश करते ही फर्क साफ दिखता है। दीवार राजनीतिक दलों के नारे से रंगे हैं। जगह-जगह पोस्टर और झंडा-बैनर। एकाएक लगता है कि यहां राजनीतिक बयार तेज बह रही है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का झंडा-पताका सबसे ज्यादा। अभी बाजार में बहुत चहलपहल है। सड़क किनारे साइकिल पर चोरी का कोयला भी ढोया जा रहा है। बताते हैं कि यह झारखंड से आता है और सीमा पर कोई रोकटोक नहीं है। ईहां सौबकुछ शांति से होता है। पैसा फेंको, तमाशा देखो और कुछ नहीं है बंगाल में। चाय की चुस्की ले रहे पार्थो बोस यह कहते हुए मुस्करा उठते हैं। 

रैली की तैयारी

गढ़ जयपुर में रैली की तैयारी चल रही है। थाने से सटे मैदान में तृणमूल के नेता आने वाले हैं। कुछ दिन पहले तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी का दो दिवसीय पुरुलिया प्रवास राजनीतिक सरगर्मी को बढ़ा गया है। सुरक्षित राजनीतिक भविष्य की तलाश में कूदफांद भी जोरों पर है। ऊपरी स्तर पर उथलपुथल होने के बाद पंचायत स्तर पर भी पाला बदलना चरम पर है। तृणमूल के कार्यकर्ता काशी दा उत्साह से लबरेज हैं। कहते हैं - सिर्फ हवा बनाया जा रहा है। यहां दीदी (ममता बनर्जी) के अलावा कुछ नहीं है। इलेक्शन खोतोम हो जाएगा तो आइएगा दादा, आपको रसोगुल्ला खिलाएंगे। 

झालदा के सारे होटल हाउसफुल

झालदा के चारों तरफ खूब ऊंचे और हरे-भरे पठार बरबस ही ध्यान खींचते हैं। यहां से पुरुलिया 25 किलोमीटर दूर है। खूब सैलानी आते हैं यहां। सारे होटल हाउसफुल। कभी घातक हथियार गिराए जाने के बाद सुॢखयों में आए पुरुलिया का यह नया रूप है। पहाडिय़ों के आसपास बने खूबसूरत रिसार्ट और उसमें तरह-तरह के साहसिक खेलों के उपकरण सैलानियों का ध्यान खींचते हैं। समीप ही अयोध्या पहाड़ी है। यहां भी बारिश के मौसम को छोड़कर सालोंभर पर्यटक जमे रहते हैं। यह पहाड़ी झारखंड के दलमा पठार से जुड़ी है। विष्णुचंद्र बताते हैं- टूरिज्म खूब बढ़ रहा है और इसी से पुरुलिया की पहचान भी है। 

नौ में सात सीटों पर तृणमूल, सांसद भाजपा के

पुरुलिया जिले में नौ विधानसभा क्षेत्र हैं। बांदवान, बाघमुंडी, जयपुर, बलरामपुर, कासीपुर, पुरुलिया, पाड़ा, रघुनाथपुर और मानबाजार। बाघमुंडी और पुरुलिया पर कांग्रेस काबिज है। बाकी सीटों पर तृणमूल कांग्रेस का कब्जा है। 2019 के आम चुनाव में आश्चर्यजनक तौर पर भाजपा ने पुरुलिया लोकसभा सीट पर कब्जा जमा लिया था। इसका कारण मोदी लहर बताया जाता है। इसके बाद भाजपा की पैठ बढ़ी है। नौ में से तीन विधानसभा क्षेत्रों के राजनीतिक समीकरण में उलटफेर होता है तो यहां भाजपा का खाता खुल सकता है। 

जाति सबसे बड़ा फैक्टर

पुरुलिया जिले की तमाम विधानसभा सीटों पर सर्वाधिक प्रभावी कुड़मी (महतो) मतदाता हैं। इनकी आबादी 30 प्रतिशत से ज्यादा है। जनजातीय समुदाय 15 फीसद है। ईसाई मतदाताओं की तादाद भी सात प्रतिशत से अधिक है। जनजातीय बहुल इलाकों में झारखंड मुक्ति मोर्चा का भी प्रभाव है। झारखंड से सटे इलाकों में इसके अलावा आजसू पार्टी का भी झंडा-बैनर दिखता है। तृणमूल छोड़ भाजपा में गए सुवेंदु अधिकारी का प्रभाव भी इस क्षेत्र पर पड़ेगा। उनके पाला बदलने से समर्थकों का खेमे में भी उथलपुथल हो रहा है। 

ये इलेक्शन टैक्स वसूल रहे

पुरुलिया से पहले सड़क के किनारे ढेर सारी कारें खड़ी हैं। सबको पुलिस ने रोक रखा है। सबका चालान कटेगा। पूछने पर पुलिस वाले बताते हैं कि तेज रफ्तार से चलने वाली गाडिय़ों को रोकने का आदेश हैं। 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा का आदेश नहीं है। बोकारो के राजेश सिंह बताते हैं- सबकुछ दिखावा है भैया। सिर्फ कहने के लिए है ओवर स्पीड का चालान। संकरी सड़क पर 70 किलोमीटर की स्पीड से कैसे दौड़ेगी कार। जानबूझकर ये सिर्फ बाहर के राज्यों से आने वाली गाडिय़ों को रोकते हैं।

तभी लौह अयस्क से भरा एक ट्रक काफी तेजी से गुजरता है तो पुलिस वाले उसे रोकने की बजाय इशारा कर जाने देते हैं। नजर टकराने पर थोड़ा लजाते-सकुचाते भी हैं। राजेश सिंह बोलते हैं- इलेक्शन टैक्स वसूल रहे हैं पुलिस वाले। यहां अंधेरगर्दी है चारों तरफ। कार मालिकों से 450 जुर्माना लेकर 400 की रसीद थमाई जा रही है। 50 रुपया ज्यादा वसूलने पर पुलिस वाले कहते हैं- यह जमा करने का पैसा है। एक पुलिस वाला बोलता है- ओगोर आपको रसीद नहीं कटाना है तो दो सौ टाका देकर निकलिए।

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