हमारा क्या कसूर, हमें क्यों नहीं मिली व्यापार की छूट

राची कपड़ा और जूता व्यवसाय को लेकर राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन में छूट नहीं

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Jun 2020 01:39 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jun 2020 01:39 AM (IST)
हमारा क्या कसूर, हमें क्यों नहीं मिली व्यापार की छूट
हमारा क्या कसूर, हमें क्यों नहीं मिली व्यापार की छूट

जागरण संवाददाता, राची : कपड़ा और जूता व्यवसाय को लेकर राज्य सरकार द्वारा लॉकडाउन में छूट नहीं दिए जाने को लेकर व्यापारियों में बड़ा रोष है। उनका कहना है कि सरकार को यही लग रहा है कि कोरोना कपड़ा व्यवसाय की देन है, इसलिए कपड़ा व्यवसाय को नजर अंदाज कर दिया गया है। सरकार ने बुनियादी चीजों में कपड़े, रेडिमेड, जूते और टेलरों को नजर अंदाज कर विलासिता की दुकानों को अहमियत दी है। सरकार प्रवासी मजदूरों को तो अहमियत दे रही है, लेकिन राज्य के कपड़ा और जूता उद्योग से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े 20 लाख कामगारों को अनदेखा कर रही है।

व्यापारियों का कहना है कि हमारे कर्मचारियों को कौन वेतन देगा, सरकार यह नहीं सोच रही है। पिछले 71 दिनों से व्यवसाय पूरी तरह ठप रहने से व्यापारी ही नहीं कर्मचारी दोनों परेशान हैं। कपड़ा और जूता व्यापार के लिए सबसे पीक सीजन मार्च से लेकर जून तक का होता है। ये लगन का पूरा समय कोरोना की बलि चढ़ गया है। छोटे के साथ बड़े व्यापारियों की हालत भी पतली हो रही है। 20 लाख करोड़ में जूता और कपड़ा व्यापारी रहे खाली हाथ::

केंद्र सरकार के द्वारा दिए गये राहत पैकेज में कपड़ा और जूता व्यापारियों के हाथ कुछ नहीं आया। हालाकि सरकार के द्वारा 10 प्रतिशत कर्ज को बढ़ाने की कवायद की गई है। इस कर्ज पर किस्त देने के लिए तीन महीने की छूट दी जाएगी। मगर तीन महीने बाद सूद समेत व्यापारियों से किस्त ली जाएगी। वर्तमान में व्यापारियों की हालत ऐसी नहीं है कि बाजार में कर्ज लेकर उसे चुकाए। व्यापार को सामान्य होने के लिए कम से कम दो से तीन महीने का समय लगेगा। वहीं बाकि राज्यों के बाजार खुल जाने के बाद महाजनों ने व्यापारियों से बकाया वसूली तेज कर दी है। ये स्थिति व्यापारियों के लिए कोढ़ में खाज के जैसी हो गई है। ठंड के लिए कपड़ों का नहीं कर पा रहे ऑडर::

राची के व्यापारी ठंड के मौसम के कपड़ों का ऑडर देना जून के महीने से शुरू कर देते हैं। मगर इस साल लॉकडाउन की वजह से वो ये भी नहीं कर पा रहे है। अचानक हुए लॉकडाउन के कारण कई बड़े व्यापारियों का भी माल ट्रास्पोर्ट में फंसा हुआ है। ऐसे में दो महीने में इनका खराब हो जाना तय है। दूसरी तरफ दो महीने से दुकानें बंद होने के कारण ज्यादातर दुकानों में चूहों ने लाखों के कपड़े बर्बाद कर दिए होंगे। ऐसे में व्यापारियों पर ये भी किसी मार से कम नहीं होगी। लाखों लोग जुड़े कपड़े और जूते के व्यापार से::

कपड़ा और जूतों का कारोबार असंगठित व्यापार है। राची में लगभग 500 जूते और कपड़े की दुकानें हैं। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 15 हजार से ज्यादा लोगों का रोजगार जुड़ा हुआ है। सरकार द्वारा इस सेक्टर की अनदेखी से 15 हजार परिवारों के सामने खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है।

--------- क्या कहते हैं व्यापारी--------------

व्यापार शुरू होने से आíथक स्थिति में सुधार आता। हमारे दो सीजन का व्यापार का कोरोना को भेंट चढ़ गया है। व्यापारियों पर कर्ज भी काफी ज्यादा है। ऐसे में सरकार को अब हमारे बारे में सोचना चाहिए।

प्रमोद सारस्वत, कार्यकारिणी सदस्य, झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ

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सरकार के द्वारा कपड़े और जूते के सेक्टर में व्यापार को शुरू करने की इजाजत नहीं देना अजीब फैसला है। वो भी तब जब दूसरे ज्यादा संक्रमित राज्यों में व्यापार शुरू हो चुका है।

सुनील सारगवानी, अपर बाजार कपड़ा व्यापारी

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व्यापार में छूट देने के लिए सरकार से हमने पहले भी निवेदन किया था। मगर इस बार छूट नहीं मिली। हमने आज फिर से मुख्यमंत्री से चैंबर के माध्यम से अनुरोध किया है कि वो एक बार फिर से छूट देने पर विचार करें।

विक्रम खेतावत, मानद सचिव, झारखंड थोक वस्त्र विक्रेता संघ

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