30 हजार 22 तीसी जर्म प्‍लाज्‍म के संरक्षण में BAU को मिली सफलता, जानें लुप्‍त होती इस देशी व प्राचीन प्रजाति को

Jharkhand News रांची के बिरसा कृषि विश्‍वविद्यालय को देश-विदेश की तीन हजार बाइस तीसी जर्म प्लाज्म के रख–रखाव व अनुवांशिकी संरक्षण में पहले वर्ष सफलता मिली है। विगत रबी मौसम में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 10:35 AM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 10:43 AM (IST)
30 हजार 22 तीसी जर्म प्‍लाज्‍म के संरक्षण में BAU को मिली सफलता, जानें लुप्‍त होती इस देशी व प्राचीन प्रजाति को
Jharkhand New विगत रबी मौसम में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी।

रांची, जासं। झारखंड राज्य के एकमात्र बिरसा कृषि विश्वविद्यालय को देश में पहली बार देश-विदेश के तीन हजार 22 तीसी (अलसी) जर्म प्लाज्म के रख-रखाव व अनुवांशिकी संरक्षण में बड़ी सफलता मिली है। आइसीएआर द्वारा संचालित भारतीय तेलहन अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद के तीसी परियोजना समन्वयक यूनिट, कानपुर ने विवि को इस शोध कार्यक्रम की जिम्मेदारी दी थी। इसकी अनुशंसा आइसीएआर के उपमहानिदेशक (फसल विज्ञान) ने की थी। संस्थान द्वारा अक्टूबर, 2020 माह में देश-विदेश से संग्रह किए गए तीन हजार 22 तीसी फसल जर्म प्लाज्म विवि को उपलब्ध कराए गए थे।

विवि द्वारा आइसीएआर की अखिल भारतीय समन्वित तीसी अनुसंधान परियोजना के अधीन विगत रबी मौसम में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इसके लिए अनुवांशिकी एवं पौधा प्रजनन विभाग के रिसर्च फाॅर्म की करीब डेढ़ एकड़ भूमि में बीज को लगाया गया। खेत की तैयारी एवं रिसर्च प्लांट को तैयार करने में दस दिनों का समय लगा। नवंबर माह में सभी तीसी फसल के जर्म प्लाज्म की रिसर्च प्लांट बुआई में करीब पंद्रह दिन लगे।

फसल पकने तक रिसर्च प्लांट में लगे सभी जर्म प्लाज्म के पौधों में पुष्प परिपक्वता की अवधि, पौधा में कैप्सूल की संख्या, कैप्सूल में बीज की संख्या, कैप्सूल का आकार एवं पौधों की ऊँचाई से संबंधित डाटा को संकलित किया गया। परियोजना अन्वेषक डाॅ. सोहन राम बताते हैं कि जर्म प्लाज्म के फूल सफेद, नीला एवं बैंगनी रंग के मिले। छोटे एवं मध्यम के अलावा एक मीटर से भी अधिक ऊंचाई के पौधे पाए गए। साथ ही रेशा सहित दोहरी उपयोगिता वाली जर्म प्लाज्म को चिन्हित किया गया।

यह प्रदेश के उपयुक्त पाए जाने पर लाभकारी सिद्ध हो सकती है। वैश्विक तौर पर तीसी की अनेकों देशी एवं प्राचीन प्रजाति‌यां धीरे–धीरे लुप्त होने के कगार पर हैं। ऐसी प्रजातियों के रख-रखाव एवं अनुवांशिकी संरक्षण तकनीक द्वारा फसल जर्म प्लाज्म को विलुप्त होने से बचाव में विवि को पहली सफलता मिली है। ये सभी जर्म प्लाज्म जंगली व किसानों की सूखा रोधी, रोग रोधी, अच्छी उपज एवं तेल की मात्रा आदि गुणों से युक्त हैं। इनमें मुख्यत: किसानों की स्थानीय तीसी जर्म प्लाज्म शामिल है।

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