बीएयू : भारत दाल उत्पादन में सबसे आगे फिर भी बाहर से आयात

दालों के उत्पादन और उपभोग में भारत का प्रथम स्थान है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Jun 2020 02:41 AM (IST) Updated:Wed, 03 Jun 2020 06:19 AM (IST)
बीएयू : भारत दाल उत्पादन में सबसे आगे फिर भी बाहर से आयात
बीएयू : भारत दाल उत्पादन में सबसे आगे फिर भी बाहर से आयात

जागरण संवाददाता, राची : दालों के उत्पादन और उपभोग में भारत का प्रथम स्थान है। इसके बावजूद भारत में कृषि उत्पादों में दालों का सर्वाधिक आयात होता है। पूरे देश में दलहन की उन्नतशील प्रजातियों का विकास, उन्नत फसल प्रणाली, उपयुक्त फसल उत्पादन एवं संरक्षण तकनीकी का विकास, जनक बीज उत्पादन और उन्नत तकनीकी का प्रदर्शन एवं हस्तातरण पर विशेष ध्यान केंद्रित कर प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। ये बातें भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आईआईपीआर) कानपुर के द्वारा मंगलवार को आयोजित राष्ट्रीय दलहन समूह की तीन दिवसीय वेबिनार में आईआईपीआर के राष्ट्रीय निदेशक डॉ. एनपी सिंह ने देश में दलहन शोध पर एनुअल प्रोग्रेस रिपोर्ट पेश करते हुए कहा। इस कार्यशाला में देश के 40 शोध परियोजना केंद्रों के 100 से अधिक वैज्ञानिकों ने भाग लिया। मौके पर डॉ टीआर शर्मा, अध्यक्ष एवं डॉ. एसके झा, उपाध्यक्ष ने देशभर में अखिल भारतीय समन्वित दलहन व मुलार्प शोध परियोजनाओं की समीक्षा की। मुलार्प शोध परियोजना के राष्ट्रीय समन्यवयक डॉ संजीव गुप्ता ने देश में मूंग, मसूर, उरद एवं कुल्थी पर एनुअल रिसर्च रिपोर्ट प्रस्तुत किया।

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रांची केंद्र की शोध गतिविधियों की दी जानकारी

इस मौके पर बीएयू के वैज्ञानिक दल ने राची केंद्र की शोध गतिविधियों की जानकारी दी। दल ने बताया कि शोध में झारखंड के लिए अरहर के यूपीएएस-120, आईपीए-203, बिरसा अरहर -1 एवं बहार किस्मों का प्रदर्शन बेहतर एवं उपयुक्त पाया गया है। केंद्र द्वारा एक किस्म बीएयू - पीपी -9-22 का चयन किया गया है और इसे रिलीज करने के लिए प्रस्ताव जल्द भेज दिया जाएगा। अरहर फसल परियोजना अन्वेशक डॉ. नीरज कुमार ने बताया कि प्रदेश के करीब दो लाख हेक्टेयर भूमि में अरहर की खेती की जाती है। इसकी उत्पादकता राष्ट्रीय स्तर से झारखंड में अधिक है। उपपरियोजना अन्वेंशक डॉ. सीएस सिंह ने बताया कि प्रदेश के करीब 31 हजार हेक्टेयर में मूंग तथा 1 लाख 45 हजार हेक्टेयर भूमि में उरद की खेती की जाती है। राची केंद्र द्वारा उरद की बिरसा उरद -1 तथा कुल्थी की बिरसा कुल्थी -1 किस्मों को विकसित किया गया है। मूंग की आइपीएम- 02-3, मेहा, एसएमएल- 668 किस्मों को गरमा फसल के लिए उपयुक्त पाया गया है। बीएयू द्वारा उरद की विकसित किस्म आरयूबी -12-03 को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। इस वेबिनार में डॉ. एस कर्मकार ने शस्य तकनीकी, डॉ. विनय कुमार ने कीट प्रबंधन, डॉ. एचसी लाल ने रोग प्रबंधन से सबंधित दलहनी फसलों की शोध गतिविधियों की जानकारी दी।

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