झारखंड में पिछड़ा राजनीति पकड़ेगी जोर, टूट रही है दलीय सीमा

झारखंड में भी इसे ध्यान में रखते हुए पिछड़ा वर्ग के आरक्षण पर दबाव बनाने की तैयारी चल रही है।

By Edited By: Publish:Fri, 14 Dec 2018 06:25 AM (IST) Updated:Fri, 14 Dec 2018 06:29 AM (IST)
झारखंड में पिछड़ा राजनीति पकड़ेगी जोर, टूट रही है दलीय सीमा
झारखंड में पिछड़ा राजनीति पकड़ेगी जोर, टूट रही है दलीय सीमा

रांची, जेएनएन । राजनीतिक मुद्दे नफा-नुकसान के लिहाज से तय होते हैं। समय पर ऐसे मुद्दे उछालने का बेहतर परिणाम निकलता है। झारखंड में भी इसे ध्यान में रखते हुए पिछड़ा वर्ग के आरक्षण पर दबाव बनाने की तैयारी चल रही है। इसकी वजह पिछड़ा वर्ग की राज्य में लगभग 56 फीसद आबादी है जो इससे सीधा प्रभावित होगा। इस वर्ग के लिए 36 फीसद आरक्षण की मांग इसी कवायद का हिस्सा है। इसके लिए राज्य सरकार के पूर्व में हुए फैसले का भी हवाला दिया जा रहा है।

गौरतलब है कि राज्य गठन के तुरंत बाद आरक्षण के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति ने आरक्षण का दायरा बढ़ाकर कुल 73 फीसद करने की सिफारिश की थी। इस उपसमिति के प्रमुख तत्कालीन कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा थे। इस बाबत उच्च न्यायालय ने भी सुझाव दिया था। तमाम दलों के नेताओं का जमावड़ा पिछड़ा आरक्षण का दायरा बढ़ाने को लेकर दलीय सीमाएं टूट रही है। इस बाबत होने वाले पिछड़ा अधिकार महासम्मेलन में ये अपनी ताकत दिखाएंगे। दावा किया जा रहा है कि तमाम दलों के पिछड़े नेता इसमें शुमार हैं। इसमें सत्तापक्ष भाजपा के नेताओं के साथ-साथ विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हैं।

पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा की संरक्षक मंडली में भाजपा विधायक जयप्रकाश वर्मा, योगेश्वर महतो बाटुल, साधु चरण महतो, झामुमो के विधायक जयप्रकाश भाई पटेल और बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन के अलावा तमाम दलों और पिछड़ा वर्गो की जातीय संगठनों के नुमाइंदे भागीदारी कर रहे हैं। हक मांगने को लेकर जुटे : लालचंद महतो पूर्वमंत्री लालचंद महतो ने पिछड़े वर्गो की मांग को लेकर राजनीतिक एकजुटता की कवायद की है। उनका कहना है कि हक मांगने के लिए सभी दलों के पिछड़ा वर्ग के नेता एक साथ आ रहे हैं। पिछड़ा वर्ग संघर्ष मोर्चा की केंद्रीय समिति ने इसके लिए पिछड़ा अधिकार महासम्मेलन का आयोजन किया है। 23 दिसंबर को रांची के हरमू मैदान में तमाम दलों के दिग्गजों की मौजूदगी में इसका शंखनाद होगा। उनके मुताबिक आरक्षण का दायरा बढ़ाने में कहीं कोई संवैधानिक अड़चन नहीं है। फिलहाल राज्य के 14 जिलों में पिछड़ों की नियुक्ति बंद है। इस वर्ग को आरक्षण का नियमित लाभ नहीं मिल रहा है। राज्य सरकार को इस दिशा में पहल करना चाहिए। यह एकजुटता हक दिलाने की दिशा में मददगार साबित होगा।

chat bot
आपका साथी