चलताऊ तरीके से लगाया पांच करोड़ का एस्ट्रोटर्फ, कई जगह बने बबल्स
बरियातू हॉकी सेंटर के खिलाड़ियों का सपना पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने काफी पैसे खर्च किए।
रांची, [संजीव रंजन]। बरियातू हॉकी सेंटर के खिलाड़ियों का सपना पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने पांच करोड़ खर्च किये लेकिन अफसोस अभी भी सपना अधूरा ही है। अब तक 50 से अधिक अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी दे चूके इस सेंटर को बालाओं का सपना अपने एस्ट्रोटर्फ पर अभ्यास करने का था। कई वर्षों के बाद राज्य सरकार ने बरियातू गर्ल्स स्कूल के ग्राउंड में एस्ट्रोटर्फ लगाने का निर्णय लिया।
इसके लिए पांच करोड़ खर्च भी किये गए लेकिन जिस कंपनी को यह जिम्मेवारी दी गई थी उसने इसे निपटाने वाला काम किया। परिणाम यह हुआ कि एस्ट्रोटर्फ लगने के बाद कई जगह बबल्स बन गए। ऐसे में इस टर्फ पर अभ्यास करना खतरनाक साबित हो सकता था। परिणाम यह हुआ राज्य सरकार जिस एस्ट्रोटर्फ का उद्घाटन इस वर्ष खेल दिवस पर करना चाह रही थी वह अधर में लटक गया।
अब एस्ट्रोटर्फ को फिर से उखाड़ कर बनाने का काम शुरू किया गया है। नहीं ली गई विशेषज्ञों की राय एस्ट्रोटर्फ लगाने वाली कंपनी कैसा काम कर रही है इस पर शुरू से ध्यान नहीं रखा गया और ना ही हॉकी विशेषज्ञों से इस संदर्भ में कोई राय ली गई। कंपनी ने अपने अनुसार एस्ट्रोटर्फ लगाया। जब खेल विभाग द्वारा निरीक्षण किया गया तो कई जगह बबल्स नजर आए।
खेल निदेशक अनिल कुमार सिंह के साथ भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान सुमराय टेटे, अंतरराष्ट्रीय हॉकी प्रशिक्षक नरेंद्र सिंह सौनी, राज्य खेल समन्वयक उमा जायसवाल, खेल परामर्शी देवेंद्र सिंह, पूर्व ओलंपियन सिलवानुस डुंगडुंग ने एस्ट्रोटर्फ पर प्रश्न खड़े किये तब जाकर कंपनी ने माना कि बबल्स हो गए हैं इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा। लेकिन निरीक्षण के एक माह से अधिक होने के बाद भी इसमें सुधारा नहीं किया गया है और एस्ट्रोटर्फ को उखाड़ कर फिर लगाया जा रहा है।
मैदान तैयार न होने के कारण सेंटर के खिलाड़ियों को मोरहाबादी हॉकी स्टेडियम में आकर पहले की तरह अभ्यास करना पड़ रहा है। चूंकि हॉकी स्टेडियम में साई की टीम भी अभ्यास करती है ऐसे में उन्हें पर्याप्त समय अभ्यास का नहीं मिल पा रहा है।
कोट जिस कंपनी को एस्ट्रोटर्फ लगाने की जिम्मेवारी दी गई थी उन्होंने इसे सही तरीके से नहीं लगाया। यह उनकी जिम्मेदारी है कि इसे ठीक से लगा कर हमें दें। -अनिल कुमार सिंह, खेल निदेशक।
बबल्स हो जाने के कारण एस्ट्रोटर्फ को उखाड़ कर लगाने से टर्फ का लाइफ कम हो जाता है। कंपनी ने सही तरीके से इसे लगाया होता तो बबल्स नहीं होते। कंपनी ने उचित तरीके से काम नहीं किया है। -नरेंद्र सैनी, अंतरराष्ट्रीय हॉकी कोच।