जानकर हैरान हो जाएंगे आप कोडरमा में एक व्यक्ति का इतना बढ़ा वंश की बस गया पूरा गांव, 800 हैं परिवार के सदस्य
जनसंख्या कानून की बहस के बीच कोडरमा का एक गांव ध्यान खींचता है। इस गांव नादकरी ऊपर टोला में एक ही खानदान के लोग रहते हैं। सभी लोग उत्तीम मियां के वंशज हैं। उनका कुनबा बढ़ता गया और आज इस खानदान में 800 लोग हैं इनमें 400 वोटर।
अनूप कुमार, कोडरमा : जनसंख्या कानून की बहस के बीच कोडरमा का एक गांव ध्यान खींचता है। इस गांव नादकरी ऊपर टोला में एक ही खानदान के लोग रहते हैं। सभी लोग उत्तीम मियां के वंशज हैं। उत्तीम मियां के पोते 82 वर्षीय हकीम अंसारी के अनुसार झारखंड के ही गिरिडीह जिला अंतर्गत धनवार प्रखंड के रेंबा बसकुपाय गांव से उनके दादा उत्तीम मियां सन् 1905 में अपने पिता बाबर अली के साथ मरकच्चो के इस सुदूर जंगली क्षेत्र में आकर बसे थे। उनका कुनबा बढ़ता गया और आज इस खानदान में 800 लोग हैं, इनमें 400 वोटर।
हकीम के अनुसार उनके दादा उत्तीम मियां के पांच बेटे मोहम्मद मियां, इब्राहिम मियां, हनीफ अंसारी, करीम बख्श और सदीक मियां हुए। मोहम्मद मियां को 4 पुत्र व 5 पुत्री, इब्राहिम मियां को 9 पुत्र व 1 पुत्री, हनीफ मियां को 5 पुत्र व 2 पुत्री, करीम बख्श को 2 पुत्र व 2 पुत्री, सदीक मियां को 6 पुत्र और 3 पुत्री हुए। यानी उत्तीम मियां की तीसरी पीढ़ी में लड़कियों को छोड़ दें तो कुल 26 बेटे हुए। इन 26 बेटों से चौथी पीढ़ी में कुल 73 पुत्र हुए। इससे आगे पांचवीं व छठी पीढ़ी की सही गणना में हकीम का जोड़-घटाव गड़बड़ा जाता है। कहते हैं, सबका नाम और संख्या याद नहीं रख पाता। लेकिन वर्तमान में इस गांव में करीब 800 लोग हैं यह स्पष्ट है। सभी एक-दूसरे के रिश्तेदार हैं।
उत्तीम मियां के एक और पोते 70 वर्षीय मोइनुद्दीन अंसारी कहते हैं, जब उनके दादा यहां आकर बसे थे, तब यहां केवल जंगल था। खेती बारी को जीविका का आधार बनाया। आज भी गांव की जीविका का मुख्य साधन खेती है। यहां धान, गेहूं, दलहन, मक्का व सब्जियों की खेती होती है। परिवार बढऩे के कारण खेती से सबका गुजारा नहीं हो पाता है। कुछ लोग मरकच्चो व आसपास के इलाकों में नौकरी व अन्य रोजी रोजगार करते हैं। दो-चार लोग सरकारी सेवा में भी हैं। गांव में दो मस्जिद, मदरसा, स्कूल आदि है। आम, कटहल के दर्जनों पेड़ हैं। जंगल से सटा होने के कारण यहां की वादियां काफी मनोरम हैं। लोगों के अनुसार लड़कियों की शादी गांव में नहीं के बराबर है। एक-दो शादी हुई थी, लेकिन वह सफल नहीं हुई। यही कारण है कि लोग गांव के बाहर ही बेटियों की शादी करते हैं।
खानदान में 400 एकड़ से अधिक जमीन लेकिन अब कम पड़ रही : नादकरी में हकीम मियां के नाम से एक खतियान में 273 एकड़ जमीन है। वहीं हरलाडीह में करीब 100 एकड़ जमीन है। अंचल कार्यालय में 273 एकड़ जमीन का एक रकवा देखकर कई बार प्रशासन के लोग पूछताछ करना शुरू कर देते हैं। इसमें से करीब 140 एकड़ जमीन वन विभाग ने ले लिया है लेकिन अंचल के रिकार्ड में अभी भी उत्तीम मियां का ही नाम है। जमीन चले जाने और परिवार के अतिविस्तार के बाद तो अब लोगों के पास बमुश्किल खेती से जीवनयापन लायक जमीन बची है।