Ambedkar Jayanti 2021: संविधान ने दिया मौलिक अधिकार के साथ कर्तव्य की जिम्मेदारी भी

रांची वीमेंस कालेज के एनएसएस इकाई की ओर से संविधान निर्माण में डॉ. आंबेडकर का योगदान विषय पर भाषण प्रतियोगिता तथा संविधान में उल्लेखित लोकतांत्रिक मुद्दों पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। डॉ. उर्वशी ने कहा भारतीय संविधान पर वर्ष 1949 में 26 नवंबर के दिन सहमति बनी थी।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 04:35 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 04:35 PM (IST)
Ambedkar Jayanti 2021: संविधान ने दिया मौलिक अधिकार के साथ कर्तव्य की जिम्मेदारी भी
संविधान ने दिया मौलिक अधिकार के साथ कर्तव्य की जिम्मेदारी भी। जागरण

रांची, जासं । रांची वीमेंस कालेज के एनएसएस इकाई की ओर से बुधवार को संविधान निर्माण में डॉ. आंबेडकर का योगदान  विषय पर भाषण प्रतियोगिता तथा संविधान में उल्लेखित लोकतांत्रिक मुद्दों पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विषय प्रवेश कराते हुए डॉ. उर्वशी ने कहा संविधान सभा की कड़ी मेहनत से बनकर तैयार हुए भारतीय संविधान पर वर्ष 1949 में 26 नवंबर के दिन सहमति बनी थी।

संविधान लागू होने के बाद समाज को निष्पक्ष न्याय प्रणाली मिली। नागरिकों को मौलिक अधिकारों की आजादी मिली और कर्तव्यों की जिम्मेदारी भी। डॉ. भीमराव आंबेडकर को संविधान निर्माता और शिल्पकार माना जाता है। उन्हें 29 अगस्त 1947 को संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया था। छात्राओं को आज के दिन की महत्ता से अवगत कराते हुए डा भारती सिंह ने कहा कि बाबा साहेब का मानना था कि विभिन्न वर्गों के बीच अंतर को बराबर करना महत्वपूर्ण था, अन्यथा देश की एकता को बनाए रखना बहुत मुश्किल होगा।

उन्होंने धार्मिक, लिंग और जाति समानता पर जोर दिया था। डॉ सुरभि श्रीवास्तव ने कहा कि संविधान के निर्माण के लिए बाबा साहेब आंबेडकर का विधान सभा द्वारा ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष के रूप में चयन उनकी राजनीतिक योग्यता और कानूनी दक्षता के चलते हुए था। संविधान को लिखने, विभिन्न अनुच्छेदों-प्रावधानों के संदर्भ में संविधान सभा में उठने वाले सवालों का जवाब देने, विभिन्न विपरीत और कभी-कभी उलट से दिखते प्रावधानों के बीच संतुलन कायम करने और संविधान को भारतीय समाज के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत करने में डॉ. आंबेडकर की सबसे प्रभावी और निर्णायक भूमिका थी।

भाषण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर चयनित बी.एड. की छात्रा शिल्पी सुमन साहू ने कहा बाबा साहेब देश के आजाद होने के बाद पहले कानून मंत्री भी बने और उन्होंने बतौर कानून मंत्री कई महत्पूर्ण कार्य भी किए थे। संविधान के निर्माण में डॉ भीमराव अंबेडकर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, इसलिए उन्हें 'संविधान का निर्माता' कहा जाता है। संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।

बाबा साहेब ने अपना पूरा जीवन दलितों गरीबों और समाज के शोषित तबके के लोगों के अधिकार के लिए लड़ते हुए बिताया। प्रथम स्थान पर ही चयनित अनामिका कुमारी ने कहा बाबा साहेब पूरे जीवन सामाजिक बुराइयों और छुआछूत के खिलाफ संघर्ष करते रहे। भाषण प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर हर्षिता राय व पूर्णिमा कुमारी रही। तृतीय स्थान पर संयुक्त रूप से एबलीन एक्का स्नातकोत्तर हिंदी की छात्रा तथा प्रीति माया केमेस्ट्री की छात्रा रही।

पोस्टर प्रतियोगिता में प्रथम पूजा कुमारी ,अकाउंट ऑनर्स,द्वितीय स्थान पर श्रुति देशमुख, म्यूजिक ऑनर्स तथा कोमल शर्मा , फिजिक्स ऑनर्स रहीं। तथा तृतीय स्थान दिव्या रानी,इंग्लिश ऑनर्स और कृति कुमारी को मिला।

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