प्राथमिकी वापस नहीं ली तो कार्यपालक दंडाधिकारी के खिलाफ रची रिश्वत की कहानी, जानें पूरा मामला

Jharkhand Hindi News. कार्यपालक दंडाधिकारी ने रक्षा अपना पक्ष कहा- - धोखाधड़ी से अनुमंडल कार्यालय से विवादित जमीन का मूल दस्तावेज निकाल लिया है सचिन तिवारी ने

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 12:11 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 12:11 PM (IST)
प्राथमिकी वापस नहीं ली तो कार्यपालक दंडाधिकारी के खिलाफ रची रिश्वत की कहानी, जानें पूरा मामला
प्राथमिकी वापस नहीं ली तो कार्यपालक दंडाधिकारी के खिलाफ रची रिश्वत की कहानी, जानें पूरा मामला

गढ़वा, जासं। गढ़वा सदर अनुमंडल कार्यालय में तैनात कार्यपालक दंडाधिकारी सुबोध कुमार द्वारा रिश्वत मांगने से संबंधित वीडियो के मामले में दूसरा पहलू भी सामने आया है। सुबोध कुमार की मानें तो आरोप लगाने वाले सचिन तिवारी ने जमीन संबंधित दस्तावेज धोखाधड़ी से निकाल ली है। जब उसके खिलाफ प्राथमिकी के लिए थाने में आवेदन दिया गया, तभी से वह रिश्वत के मामले में फंसाने की धमकी दे रहा था। कार्यपालक दंडाधिकारी ने कहा कि उक्त जमीन से संबंधित फाइल व प्राथमिकी गढ़वा थाने में देखी जा सकती है।

उधर, गढ़वा के उपायुक्त हर्ष मंगला ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। वह इस मामले में इससे अधिक कुछ नहीं बोल सकते हैं। कार्यपालक दंडाधिकारी ने बताया कि सचिन तिवारी कांडी थाना क्षेत्र के पतरिया गांव का रहने वाला है। उसने धोखाधड़ी से अनुमंडल कार्यालय गढ़वा से जमीन से संबंधित मूल दस्तावेज हासिल कर लिया है। कार्यपालक दंडाधिकारी ने गढ़वा थाने में उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया था। यह पूरा मामला जून, 2019 का है।

कार्यपालक दंडाधिकारी ने पांच फरवरी, 2020 को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए थाने में आवेदन दिया। इसके बाद आरोपित आवेदन वापस लेने के लिए दबाव बनाने लगा। कार्यपालक दंडाधिकारी ने कहा कि थाने में दिए गए आवेदन में इस बात का जिक्र भी किया गया है। कार्यपालक दंडाधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि कांडी थाना क्षेत्र के मिश्रौलिया गांव में 1.27 एकड़ भूमि को लेकर उनके न्यायालय में वर्ष 2003 के जून से 144 के तहत मामला चल रहा है।

यह भूमि विवाद रमाकांत दुबे बनाम राजेश्वर यादव, दीपक तिवारी व अन्य के बीच है। सचिन तिवारी दीपक तिवारी का पुत्र है। उसने धोखाधड़ी से अपना दस्तावेज बताकर प्रथम पक्ष का मूल दस्तावेज निकाल लिया है। इस बात के लिए उसे नोटिस भी भेजा गया है, लेकिन दस्तावेज उसने कार्यालय को नहीं लौटाया। इसके बाद उसके विरुद्ध थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई। थाने से आवेदन वापस नहीं लेने पर रिश्वत मामले में फंसाने की धमकी भी दी जा रही थी।

chat bot
आपका साथी