Hazaribagh, Jharkhand News: विधायक अंबा की जय-जय, बड़कागांव में रैयतों को वापस मिली जमीन
Hazaribagh Jharkhand News हजारीबाग के पसेरिया मौजा में जॉइंट वेंचर की कंपनी रोहाने कोल कंपनी को दी गई जमीन रैयतों को फिर से वापस मिल गई है। जमीन पर फिर से अपना हक लेकर रैयत खुश हैं। उन्होंने विधायक अंबा प्रसाद को सम्मानित करने के लिए समारोह का आयोजन किया।
रांची, राज्य ब्यूरो। Hazaribagh, Jharkhand News बड़कागांव, हजारीबाग के पसेरिया मौजा में जॉइंट वेंचर की कंपनी रोहाने कोल कंपनी को दी गई जमीन रैयतों को फिर से वापस मिल गई है। जमीन पर फिर से अपना हक लेकर रैयत खुश हैं। उन्होंने विधायक अंबा प्रसाद को सम्मानित करने के लिए समारोह का आयोजन किया। समारोह में ग्रामीणों ने लोक नृत्य और संताली गीत गाकर विधायक का भव्य स्वागत किया।अंबा प्रसाद ने कहा कि मेरा पूरा परिवार शुरुआत से ही रैयतों के हक की लड़ाई लड़ रहा है।
झारखंड में पहली बार कंपनियों द्वारा अधिग्रहण के इकरारनामा का अनुपालन नहीं करने पर सरकार ने मेरे प्रयास व आवेदन पर कंपनियों से रैयतों को जमीन वापस दिलाई। महागठबंधन सरकार में ही ऐसे रैयतों के अधिकारों की रक्षा करने वाले निर्णय संभव हैं।@RahulGandhi @HemantSorenJMM @ChampaiSoren pic.twitter.com/UfQnXQbglC— Amba Prasad (@AmbaPrasadINC) February 18, 2021
पूर्व मंत्री योगेंद्र साव एवं पूर्व विधायक निर्मला देवी शुरू से ही कंपनियों के मनमाने रवैया के खिलाफ संघर्ष करते रहे हैं। वह भी रैयतों के साथ हर कदम पर हक एवं न्याय दिलाने के लिए लड़ रहीं हैं, जिसका सुखद परिणाम मिला है। झारखंड सरकार जल, जंगल और जमीन की रक्षा करने वाली सरकार है। इस सरकार में ग्रामीणों की तमाम समस्याओं का निदान किया जाएगा।
राज्य गठन के बाद पहली बार रैयतों को जमीन मिली वापस। हजारीबाग के बड़कागांव अंचल के पसेरिया मौजा में रोहाने कोल कंपनी को हस्तांतरित जमीन रैयतों को वापस होगी। पीठासीन न्यायालय के फैसले से 26 रैयतों को 56.88 एकड़ जमीन वापस मिलेगी।
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) February 18, 2021
झारखंड में पहली बार ऐसा हुआ है कि जमीन कंपनी को शर्तों के अनुरूप काम नही करने के कारण रैयतों को वापस करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 2011 से 2015 के बीच बड़कागांव के पसेरिया मौजा की भूमि ज्वाइंट वेंचर की कंपनी रोहाने कोल कंपनी द्वारा अधिग्रहित की गई थी। अधिग्रहित भूमि के बदले पांच लाख प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा तय हुआ था।
कंपनी द्वारा एकरार के अनुसार कार्य नहीं किए जाने के कारण ग्रामीणों में रोष था। स्थानीय विधायक अंबा प्रसाद ने कंपनी के रवैये को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखा था। जिसपर मुख्यमंत्री द्वारा छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की धारा-49(5) के तहत मंत्री चंपई सोरेन को पीठासीन पदाधिकारी बनाया गया।
पीठासीन पदाधिकारी के न्यायालय में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 की धारा-49(5) के तहत हजारीबाग जिला के बड़कागांव अंचल के मौजा पसेरिया के रैयतों को एकरारनामा के अनुरूप काम नही किये जाने के कारण ली गई जमीन को वापस करने का आदेश पारित किया गया। न्यायालय के इस फैसले के बाद 26 रैयतों को करीब 56 एकड़ जमीन वापस किया जा रहा है।
रैयतों को देश में पहली बार जमीन वापस की गई : आलमगीर
झारखंड विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर संशोधन प्रस्ताव के दौरान मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि देश में पहली बार रैयतों को जमीन वापस की गई है। उन्होंने हजारीबाग के बड़कागांव में रैयतों को जमीन वापस किए जाने की जानकारी देते हुए इसे सरकार की बड़ी उपलब्धि करार दिया। आलमगीर ने कहा कि मनरेगा के तहत राज्य में एक दिन में 8-9 लाख लोगों को रोजगार देकर रिकॉर्ड बनाया गया है।
सरकार ने इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया कि कोई बेरोजगार नहीं रहे और किसी को भी आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़े। राज्य में हड़िया-दारू बेचने को विवश महिलाओं की सुध सरकार ने ली है और ऐसी 16 हजार महिलाओं की अभी तक पहचान की गई है जिनमें से नौ हजार महिलाओं को स्वरोजगार के विभिन्न माध्यमों से जोड़ा गया है।