Jharkhand: रेमडेसिविर, टोसिलीजुमाब के बाद अब ब्लैक फंगस की दवा बाजार से गायब

गंभीर रूप से कोरोना से पीड़ित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किए जानेवाले रेमडेसिविर टोसिलीजुमाब आदि दवाओं के बाद अब ब्लैक फंगस (म्यूकर मायकोसिस) की दवा बाजार से गायब है। ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज में सबसे अधिक कारगर दवा एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन मानी जाती है।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 02:12 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 02:12 PM (IST)
Jharkhand: रेमडेसिविर, टोसिलीजुमाब के बाद अब ब्लैक फंगस की दवा बाजार से गायब
रेमडेसिविर, टोसिलीजुमाब के बाद अब ब्लैक फंगस की दवा बाजार से गायब। जागरण

रांची [नीरज अम्बष्ठ] । गंभीर रूप से कोरोना से पीड़ित मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किए जानेवाले रेमडेसिविर, टोसिलीजुमाब आदि दवाओं के बाद अब ब्लैक फंगस (म्यूकर मायकोसिस) की दवा बाजार से गायब है। ब्लैक फंगस के रोगियों के इलाज में सबसे अधिक कारगर दवा एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन मानी जाती है। यह इंजेक्शन अधिसंख्य दवा दुकानों में उपलब्ध नहीं है। हालांकि झारखंड में इसके मरीज अभी काफी कम संख्या में मिले हैं, लेकिन आनेवाले दिनों में मरीजों की संख्या बढ़ने से समस्या गंभीर हो सकती है।

ब्लैक फंगस की दवा खासकर एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन की उपलब्धता के बारे में दवा दुकानदारों का कहना है कि इस दवा की खपत नहीं के बराबर है। इसलिए वे इसे अपनी दुकानों में नहीं रखते थे। बताया जाता है कि रांची की कुछ चुनिंदा दुकानों में यह उपलब्ध रहती थी, लेकिन वर्तमान में वहां भी उपलब्ध नहीं है। सिप्ला कंपनी के स्टॉकिस्ट का कहना है कि वर्तमान में स्टॉक में यह दवा नहीं है। कंपनी से मांग की गई है, लेकिन अभी इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। हालांकि सरकारी अस्पतालों में अभी कुछ इंजेक्शन उपलब्ध है।

यदि शीघ्र आपूर्ति नहीं हुई तो वहां भी परेशानी बढ़ सकती है। इस संबंध में पूछे जाने पर निदेशक, औषधि ऋतु सहाय ने कहा कि यह इंजेक्शन अभी काफी कम मात्रा में उपलब्ध है। राज्य सरकार यह इंजेक्शन बनानेवाली कंपनियों से लगातार संपर्क में है। इस संबंध में भारत सरकार को भी पत्र लिखा गया है। उनके अनुसार, पूर्व में इस दवा की मांग नहीं के बराबर होती थी। दो-तीन दिनों से ही इसका पुर्जा दवा दुकानों में पहुंचने लगा है। बता दें कि मधुमेह से गंभीर रूप से पीड़ित कोरोना मरीजों के निगेटिव होने के बाद ब्लैक फंगस से संक्रमित होने के मामले झारखंड में भी आने लगे हैं। अभी तक इसके लगभग एक दर्जन मामले आ चुके हैं, जबकि तीन मरीजाें की जान जा चुकी है।

महंगी है ब्लैक फंगस की दवा, इस बीमारी से पहले खपत बहुत कमचिकित्सकों के अनुसार, ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के इलाज में सबसे अधिक प्रभावी एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन माना जाता है। इसके बाद आइसोकोनाजोल टैबलेट का भी उपयोग होता है, जो 14 दिनों तक लेना पड़ता है। पोसोकोनाजोल सिरप भी इसमें कभी-कभी उपयोग होता है जो विदेशों से आयात होता है। ये सभी दवा बाजार में उपलब्ध नहीं है। बताया जाता है कि ये सारी दवा काफी महंगी होती है तथा ब्लैक फंगस से पहले खपत भी नहीं के बराबर होती थी। बताया जाता है कि इंजेक्शन की कीमत दो से चार हजार रुपये, सिरप की कीमत 10 से 15 हजार रुपये तथा 10 टैबलेट की कीमत चार से पांच हजार रुपये है।

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