...झारखंड में ऐसे ही बेमौत मारे जाएंगे अधिवक्ता, मुंह ताकती रहेगी पुलिस; क्या है सिविल कोर्ट में चर्चा
झारखंड बार काउंसिल के प्रवक्ता संजय कुमार विद्रोही ने कहा कि राज्य में अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं हुआ तो ऐसे ही बेमौत अधिवक्ता मारे जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी के केस की पैरवी करना अधिवक्ताओं का पेशा है। मनोज झा अपना काम कर रहे थे।
रांची, जासं। झारखंड बार काउंसिल के प्रवक्ता संजय कुमार विद्रोही ने कहा कि राज्य में अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू नहीं हुआ तो ऐसे ही बेमौत अधिवक्ता मारे जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी के केस की पैरवी करना अधिवक्ताओं का पेशा है। मनोज झा अपना काम कर रहे थे। राज्य में लंबे समय से अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट को लागू करने की मांग की जा रही है।
लेकिन सरकार अधिवक्ताओं की सुरक्षा को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रही है। इधर, रांची जिले के तमाड़ थाना क्षेत्र के रड़गांव में चर्च रोड रांची निवासी अधिवक्ता 55 वर्षीय मनोज झा की हत्या अपराधियों ने गोली मारकर कर दी। इसके घटना विरोध में आज रांची जिला बार एसोसिएशन की बैठक हुई। इसमें उनकी हत्या की कड़ी निंदा की गई और अधिवक्ता प्रोटेक्ट एक्ट बनाए जाने की मांग की गई। कहा गया कि अब राज्य के अधिवक्ता सुरक्षित नहीं है। बैठक के बाद बार एसोसिएशन के सभी सदस्य इस घटना में शामिल अपराधियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर एसएसपी से मिलेंगे।
बड़े सज्जन व व्यवहार कुशल थे मनोज झा
बार एसोसिएशन के सचिव कुंदन प्रकाशन ने घटना की कड़ी शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि सहसा विश्वास ही नहीं कि मनोज झा की हत्या कर दी गई। वे बड़े सज्जन व्यक्ति थे। बार एसोसिएशन के संयुक्त सचिव पवन रंजन खत्री ने कहा कि मनोज झा काफी लो प्रोफाइल वाले व्यक्ति थे। इनका किसी से कोई झगड़ा नहीं था। लगभग दो दशक से सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं। लेकिन आज तक किसी ने नहीं कहा कि मनोज झा ने उनके साथ कभी ऊंची आवाज में भी बात की हो। कभी उनके साथ जूनियर के रूप में काम करने वाली सजादा परवीन ने कहा कि वे काफी मिलनसार व्यक्ति और खुशमिजाज व्यक्ति थे। उनकी इस तरह से हत्या से वकीलों में आक्रोश है। हम सभी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित है।
एडवोकेट एसोसिएशन ने हाईकोर्ट को लिखा पत्र
अधिवक्ता मनोज झा की हत्या को लेकर झारखंड हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखा है। एसोसिएशन ने अधिवक्ता के हत्या की निंदा करते हुए इस मामले की जांच की निगरानी हाईकोर्ट के जज से कराने की मांग है। पत्र में कहा गया इस तरह की घटना से अधिवक्ता सदमे हैं। उनकी सुरक्षा सरकार की जिम्मेवारी है।