कोरोना संकट के बीच मोबाइल फोन से फिल्में बना रहे हैं एक्टिग स्टूडेंट्स

मोबाइल फोन से बनी फिल्म डमरू की सोशल मीडिया पर हो रही सराहना। जासं रांची झारखंड फिल्म ए

By JagranEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 06:29 AM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 06:29 AM (IST)
कोरोना संकट के बीच मोबाइल फोन से फिल्में बना रहे हैं एक्टिग स्टूडेंट्स
कोरोना संकट के बीच मोबाइल फोन से फिल्में बना रहे हैं एक्टिग स्टूडेंट्स

- फोन से बनी फिल्म डमरू की सोशल मीडिया पर हो रही सराहना

जासं, रांची : झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी (जेएफटीए) के एक्टिग छात्रों ने डमरू नाम से एक मोटीवेशनल फिल्म बनाई है। फिल्म में काम कर रहे सभी कलाकारों ने अपने मोबाइल फोन से ही अपने शॉट्स लिए हैं। ये कलाकार लाकडाउन के कारण अलग-अलग शहरों में अपने घर पर हैं। फिल्म को जेएफटीए के ऑफिशियल यूटयूब चैनल पर जारी किया गया है जिसे दर्शकों का काफी अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। फिल्म में दीपांशु चैटर्जी, निशा गुप्ता, सर्वेश करण, अरुण सिंह, सत्य मुंडा और आतिफ हुसैन ने कलाकार के रूप में शामिल हैं जबकि आवाज दी है नीलेश वर्मा ने।

जेएफटीए के निदेशक राजीव सिन्हा ने बताया कि लाकडाउन में अभिनय प्रशिक्षुओं के लिए मोबाइल फोन फिल्म एक अच्छा माध्यम है। छात्र इसके जरिए खुद व्यस्त रखते हैं और नकारात्मकता से दूर रहते हैं। बीते साल लॉकडाउन के दौरान भी जेएफटीए ने कई मोबाइल फोन फिल्मों का निर्माण किया, जिन्हें अलग अलग प्रतियोगिताओं में कई अवॉ‌र्ड्स भी मिले।

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फिल्म में मनोबल बढ़ाए रखने की सीख

फिल्म डमरू पौराणिक कहानी पर आधारित है। लॉकडाउन में लोगों के मनोबल को बढ़ाने की प्रेरणा मिलती है। कहानी यह है कि एक बार देवताओं के राजा इंद्र ने कृषकों से किसी कारण से नाराज होकर बारह वर्षों तक बारिश न करने का निर्णय लिया। चिंतित किसानों ने एक साथ इंद्रदेव से वर्षा करवाने प्रार्थना की। इंद्र ने कहा 'यदि भगवान शंकर डमरू बजा देंगे तो वर्षा हो सकती है।' दूसरी ओर इंद्र ने गुप्तवार्ता कर भगवान शिव से आग्रह कर दिया कि वे किसानों से सहमत न हों। जब किसान भगवान शंकर के पास पहुंचे तो भगवान ने उन्हें बारह वर्ष बाद ही डमरू बजाने की बात कही। किसानों ने निराश होकर बारह वर्षों तक खेती न करने का निर्णय लिया। उनमें से एक किसान ने खेत में अपना काम करना नहीं छोड़ा। वह नियमित रूप से जोताई, गुड़ाई, बीज बोने का काम करता रहा। कुछ वर्षों बाद गाव वाले इस परिश्रमी किसान से पूछने लगे कि वह अपना समय और ऊ़र्जा क्यों नष्ट कर रहा है। किसान ने उत्तर दिया- मैं यह काम अपने अभ्यास के लिए कर रहा हूं क्योंकि बारह साल कुछ न करके मैं, खेती किसानी का काम भूल जाऊंगा, मेरे शरीर की श्रम करने की आदत छूट जाएगी। ये तार्किक चर्चा माता पार्वती भी कौतूहल के साथ सुन रही थी। शिव से बोलीं कि वे भी बारह वर्षों के बाद डमरू बजाना भूल सकते हैं। उनकी बात सुनकी शिव ने यह देखने के लिए कि बज रहा है या नहीं, उन्होंने डमरू उठाया और बजाने का प्रयत्न करने लगे। डमरू के बजते ही बारिश शुरू हो गई। जो किसान अपने खेत में नियमित रूप से काम कर रहा था उसके खेत में भरपूर फसल आई। बाकी के किसान पश्चाताप के अलावा कुछ न कर सके।

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