एसीबी के छापे से रांची नगर निगम में हड़कंप, बाधित रहा कामकाज

रांची नगर निगम में बुधवार को अचानक पड़े छापे से चौतरफा हडकंप मच गई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Feb 2020 02:07 AM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 02:07 AM (IST)
एसीबी के छापे से रांची नगर निगम में हड़कंप, बाधित रहा कामकाज
एसीबी के छापे से रांची नगर निगम में हड़कंप, बाधित रहा कामकाज

जागरण संवाददाता, रांची: रांची नगर निगम में बुधवार को अचानक पड़े छापे से चौतरफा हडकंप मच गया। कामकाज बाधित रहा। छापेमारी करने पहुंची टीम के सदस्यों ने अलग-अलग विभागों में कागजात खंगाले। दरअसल निगम के कामकाज में भ्रष्टाचार को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थी। आरोप था कि सबसे अधिक भ्रष्टाचार अभियंत्रण शाखा, बाजार शाखा व नक्शा शाखा में व्याप्त है। समय-समय पर इनमें अनियमितता के मामले सामने आते रहते हैं। इन विभागों के अधिकारियों पर काम के बदले पैसे लेने के आरोप भी लगते रहते हैं। हाल ही में निगम बोर्ड की बैठक में पार्षदों ने मुख्य अभियंता राजदेव सिंह पर पैसे के लेनदेन का आरोप लगाया था। जिसके बाद मामला बढ़ता देख नगर विकास विभाग ने उनका ट्रासफर मंत्रिमंडल सचिवालय में कर दिया। इसके अलावा वाटर यूजर चार्ज, सफाई, होल्डिंग टैक्स आदि पर भ्रष्टाचार के मामले सामने आते रहे हैं। वहीं, समय -समय पर इसके संबंध में नगर विकास विभाग के तत्कालीन मंत्री सीपी सिंह को भी सूचित किया गया था, लेकिन विभागीय अधिकारी और मंत्री के स्तर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। एक साल पहले निगरानी ब्यूरो के माध्यम से टैक्स कलेक्टर को होल्डिंग टैक्स के बदले चार हजार रुपये लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था। इससे यह स्पष्ट है कि निगम में भ्रष्टाचार चरम पर है। बाजार शाखा

राजस्व में आ रही कमी इस बात के प्रमाण हैं कि छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक पैसों का बंदरबाट कर रहे हैं। होल्डिंग टैक्स और वाटर यूजर चार्ज कलेक्ट करने की जिम्मेदारी निजी एजेंसी को दे दी गई है। स्व कर निर्धारण मामले में मेसर्स स्पैरो सॉफ्टेक प्राइवेट लिमिटेड के टैक्स कलेक्टर्स ने भवन मालिकों से चाय पानी के नाम पर दो से चार हजार तक कि उगाही की। कई भवन मालिकों ने इस संबंध में निगम के अधिकारियों से शिकायत भी की, लेकिन अधिकारियों ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। निजी एजेंसी नगर निगम के लक्ष्य को दरकिनार कर अपने कमीशन पर ज्यादा ध्यान देती है। इसी प्रकार वाटर यूजर चार्ज के नाम पर उपभोक्ताओं को हजारों रुपये के बिल भेजे जा रहे हैं। उपभोक्ताओं को पाइपलाइन से पानी नही मिल रहा है, फिर भी वे वाटर यूजर चार्ज का भुगतान कर रहे हैं। बिल के नाम पर निजी एजेंसी को निर्धारित कमीशन का भुगतान भी किया जा रहा है। उपभोक्ता पाइपलाइन में पानी नही आने की शिकायत को लेकर वाटर बोर्ड के चक्कर लगाते रहते हैं। निगम की जाच प्रक्रिया इतनी लंबी है कि उपभोक्ता अभियंताओं को चढ़ावा चढ़ाने पर मजबूर हो जाते हैं। अभियंत्रण शाखा में बिल पास करने के नाम पर पैसे का खेल

नगर निगम में रोड नाली के ठेकेदारों से कमीशन वसूली का खेल चरम पर है। हाल ही में निगम बोर्ड की बैठक में पार्षदों ने मुख्य अभियंता राजदेव सिंह पर पैसे के लेनदेन का आरोप लगाया था। मामला बढ़ता देख नगर विकास विभाग ने उनका ट्रासफर मंत्रिमंडल सचिवालय में कर दिया। मुख्य अभियंता राजदेव सिंह आरआरडीए के अलावा नगर विकास विभाग में भी मुख्य अभियंता के पद पर आसीन थे। कुल मिलाकर भ्रष्टाचार के इस खेल में राची नगर निगम और आरआरडीए से लेकर नगर विकास विभाग तक अधिकारियों की कार्य संस्कृति पर सवाल उठे थे। भ्रष्टाचार का यह खेल अभी भी जारी है। नगर विकास विभाग ने हाल ही में दो अभियन्ताओं की पोस्टिंग की है। निगम कर्मियो के अनुसार ये दोनों अभियन्ता आपस मे रिश्तेदार हैं। कहा जा रहा है कि दोनों अभियंता के बीच ससुर-दामाद का रिश्ता है। ठेकेदारों के बिल पास करने के लिए ये दोनों मोटी रकम की माग करते हैं। मुहमागी कीमत नहीं मिलने पर ठेकेदार द्वारा किये गए कार्यो में ऑब्जेक्शन लगा दिए जाते हैं। थक हारकर संबंधित ठेकेदार इन अभियन्ताओं को मुहमागी कीमत देने के लिए मजबूर हो जाते हैं। नक्शा शाखा में वर्गफीट के हिसाब से देना होता है चढ़ावा

नक्शा शाखा में अधिकारियों के लॉग इन में कई दिनों से अपार्टमेंट के नक्शा के लिए आवेदन लंबित पड़े हैं। नक्शा पास नहीं किए जाने से बिल्डर परेशान हैं। लेकिन निगम में हर तरह के नक्शे के लिए वर्गफीट के हिसाब से रेट तय हैं। छोटे लोगों से कम वसूली और बड़े बिल्डरों से बड़े चढ़ावे के बिना बड़े अधिकारी काम नहीं करते हैं।

सफाई और फोगिंग के नाम पर हो रहा डीजल का खेल

राची नगर निगम में सफाई और फोगिंग के नाम पर वर्षो से डीजल का खेल जारी है। कडरू और काके रोड स्थित पेट्रोल पंप से नगर निगम के सभी वाहनों में डीजल भराए जाते हैं। पूर्व में निगम के एक अधिकारी ने काके रोड स्थित पेट्रोल पंप द्वारा किये जा रहे डीजल के खेल का पर्दाफाश भी किया था। निगम में फोगिंग वाहनों में 60 लीटर की जगह मात्र 30 लीटर डीजल दिए जाते थे। पूछताछ के दौरान यह बात भी सामने आई थी कि निगम के एक अधिकारी के निजी वाहन में शेष डीजल के बदले पेट्रोल की टंकी फूल की जाती थी। हालाकि सबकुछ जानने के बाद भी निगम के तत्कालीन अधिकारी ने फोगिंग वाहन चलाने वाले दो चालकों को काम से हटाकर सिर्फ खानापूर्ति ही कि थीं। पेट्रोल पंप के मालिक और अधिकारोयो कि मिलीभगत से डीजल का खेल आज भी जारी है। निगमकर्मीयो की माने तो 2016 तक सफाई कार्य पर मात्र दो करोड़ रुपये खर्च हो रहे थे। उसके बाद यह खर्च चार करोड़ तक पहुंच गया है। फिर भी सफाई व्यवस्था दुरुषत होने की जगह दिनोदिन चरमराती जा रही है। जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र में भी पैसे का खेल

इसके अलावा सिर्फ कहने के लिए राची नगर निगम में 21 दिनों के अंदर जन्म प्रमाण पत्र बनाने का दावा किया जाता है। जबकि हकीकत यह है कि जन्म के पुराने मामलों में एक एक आवेदक से तीन-चार हजार रुपये वसूले जाते हैं। जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र शाखा में काम करने वाले कर्मी ही एजेंट का काम करते हैं। आवेदकों की ओर से कई बार पैसे के लेनदेन से संबंधित शिकायत बड़े अधिकारियों से की गई, लेकिन संबंधित कर्मियों को डाट फटकार लगाकर अधिकारियों ने सिर्फ खानापूर्ति ही कि।

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