विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने कहा- नई शिक्षा नीति में विद्यार्थी के साथ शिक्षकों का भी होगा विकास

धुर्वा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झारखंड प्रदेश का दो दिवसीय अधिवेशन समाप्त हो गया। मौके पर विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने नई शिक्षा नीति पर कहा कि संस्कृत संस्कृति व गुरुकुल शिक्षा यह भारत की पहचान थी।

By Vikram GiriEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 10:54 AM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 10:54 AM (IST)
विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने कहा- नई शिक्षा नीति में विद्यार्थी के साथ शिक्षकों का भी होगा विकास
नई शिक्षा नीति में विद्यार्थी के साथ शिक्षकों का भी होगा विकास। जागरण

रांची, जासं । धुर्वा स्थित सरस्वती शिशु मंदिर में आयोजित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झारखंड प्रदेश का दो दिवसीय अधिवेशन समाप्त हो गया। मौके पर विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री श्रीनिवास ने नई शिक्षा नीति पर कहा कि संस्कृत, संस्कृति व गुरुकुल शिक्षा यह भारत की पहचान थी, जिसे लगभग 70 वर्षों से मैकाले की शिक्षा पद्धति ने प्रभावित करने का कार्य किया है। हमारा देश स्वतंत्र है, परंतु मैकाले शिक्षा के कारण हमारे स्वतंत्र में से स्व हट गया और केवल तंत्र रह गया।

इस कारण हम आज भी गुलाम बने हुए हैं। वर्तमान शिक्षा नीति सर्वहित नीति है,जिससे छात्रों के साथ-साथ शिक्षक का भी विकास होगा। इस नीति से हमें पता चलेगा आखिर शिक्षक कैसा होना चाहिए। छात्र स्वेच्छा से विषय का चयन कर सकते हैं। नई शिक्षा नीति में व्यवहारिक शिक्षा दी जाएगी क्योंकि जब तक आपके पास व्यवहार की शिक्षा नहीं होती आप सुशिक्षित नहीं है। यह शिक्षा नीति सस्ती, सुलभ व गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने वाली है।

क्षेत्र संगठन मंत्री निखिल रंजन ने कहा कि खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के बावजूद झारखंड का अपेक्षित विकास नहीं हुआ। इसके पीछे शिक्षा का अपर्याप्त व्यवस्था है। उच्च स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं होने के कारण प्रति वर्ष हजाराें मेधावी छात्रों को पलान करना पड़ता है। इसका झारखंड को बड़ा नुकसान हो रहा है। शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए राज्य सरकार को अविलंब नई शिक्षा नीति को लागू करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि एक समय भारत दुनिया के लिए ज्ञान का प्राप्त करने का प्रमुख केंद्र था। लोग विदेशों से हमारे यहां पढ़ाई करने आते थे। आज यहां के छात्र विदेश जा रहे हैं। आजादी के बाद कई सरकारें आयी लेकिन भारतीय अाधारित शिक्षा नीति बनाने की जरूरत नहीं समझी। पहली बार ऐसी शिक्षा नीति बनी है जिससे दुनिया में दोबारा भारतीय शिक्षा की धाक जमेगी। सत्र को राष्ट्रीय मंत्री विनीता इंदवार, प्रांत संगठन मंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल आदि ने भी संबोधित किया। मौके पर राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य डॉ श्रवण कुमार, प्रदेश अध्यक्ष नाथू गाड़ी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ पंकज कुमार, पूर्व प्रांत संगठन मंत्री एडवर्ड सोरेन सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे। जी के द्वारा एकल गीत से हुई।

अधिवेशन में तीन प्रस्ताव हुए पास

दो दिनी अधिवेशन में झारखंड के राजनैतिक, समाजिक व शिक्षा को लेकर तीन अलग अलग प्रस्ताव पारित किए जिसमें राज्य में शिक्षा की बदहाली, महिला सुरक्षा आदि शामिल है। समारोप सत्र की शुरुआत दुमका विभाग के संगठन मंत्री बबन बैठा के एकल गीत से हुई। कार्यक्रम का अंतिम प्रारूप देते हुए प्रदेश संगठन मंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ला ने कहा कि हमारे लिए गर्व तथा सदैव न भूलने की बात है कि जिस दिन 21वें प्रांत अधिवेशन का उद्घाटन सत्र था, उसदिन कोरोना वैक्सीन देश भर में उपलब्ध कराया गया। अभाविप कार्यकर्ता का ध्येय पद प्रतिष्ठा प्राप्त करना नहीं है।

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