झारखंड में मनरेगा के बड़े घोटाले का पर्दाफाश, चतरा में ढाई करोड़ का राजस्‍व घोटाला

महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की योजनाओं के राजस्व मद में 2.49 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला हुआ है। जीएसटी और रायल्टी मद की यह राशि वेंडर गटक गए हैं। जिसका जीएसटी एवं रायल्टी करीब ढाई करोड़ रुपये होते हैं। महज 83 हजार रुपये जमा किए हैं।

By Uttamnath PathakEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 11:43 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 11:43 PM (IST)
झारखंड में मनरेगा के बड़े घोटाले का पर्दाफाश, चतरा में ढाई करोड़ का राजस्‍व घोटाला
मनरेगा में काम करती महिलाएं। सांकेतिक फोटो

जुलकर नैन, चतरा : महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की योजनाओं के राजस्व मद में 2.49 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला हुआ है। जीएसटी और रायल्टी मद की यह राशि वेंडर गटक गए हैं। वित्तीय वर्ष 2020-21 में मनरेगा के वेंडरों ने 31.26 करोड़ रुपये की सामग्री का क्रय किया। जिसका जीएसटी एवं रायल्टी करीब ढाई करोड़ रुपये होते हैं। लेकिन महज 83 हजार रुपये ही इस मद में जमा किए गए हैं। वह भी महज तीन प्रखंडों ने मिलकर यह राशि जमा की है। उनमें सर्वाधिक 79 हजार रुपये गिद्धौर प्रखंड के वेंडरों ने जमा कराए हैं। जबकि चतरा प्रखंड में तीन हजार रुपये और मयूरहंड प्रखंड में मात्र एक हजार रुपये जमा किए गए हैं। यही वजह है कि चतरा जिला प्रदेश में जीएसटी व रायल्टी की सबसे कम राशि जमा करने वाला बन गया है। अधिकतर जिलों ने टैक्स की पूरी राशि जमा करा दी है। सामग्री मद में आठ से दस फीसद जीएसटी एवं रायल्टी होती है। बताते चलें, जब से जीएसटी लागू हुई है, तब से यहां के वेंडर उसे जमा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में पूर्व के पन्नों को खंगाला जाएगा, तो इससे बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। वेंडरों से जीएसटी व रायल्टी की राशि भुगतान कराने में अधिकारियों ने भी कोई खास रूचि नहीं ली है। यही कारण वेंडर टैक्स मद की राशि गटक जा रहे हैं। गढ़वा में सबसे अधिक 4.22 करोड़ का टैक्स चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 में सबसे अधिक टैक्स गढ़वा जिले ने भुगतान किया है। सामग्री मद में 70.40 करोड़ रुपये व्यय कर 3.44 करोड़ रुपये का टैक्स भुगतान किया है। इसी प्रकार सिमडेगा ने 40.42 करोड़ रुपये खर्च कर 3.34 करोड़ का टैक्स दिया है। तीसरे स्थान पर लातेहार है। उसने 23.95 करोड़ रुपये खर्च कर 1.95 करोड़ रुपये का टैक्स जमा किया है। चौथे स्थान पर गुमला जिला है। जिसने 30.11 करोड़ रुपये का व्यय कर 1.92 करोड़ रुपये से अधिक का टैक्स जमा किया है। इसी प्रकार जामताड़ा में 1.75 करोड़ रुपये, देवघर में 1.72 करोड़ रुपये, पाकुड़ में 1.42 करोड़ रुपये और दुमका में 1.14 करोड़ रुपये का टैक्स जमा कराया गया है। सबसे कम चतरा ने महज 83 हजार रुपया जमा किए हैं। टैक्स कम जमा करने वाले दूसरे जिलों में गिरिडीह है, जिसने 3.33 लाख रुपये का भुगतान किया है।                                   उप विकास आयुक्‍त सुनील कुमार सिंह ने कहा कुछ अन्य जिलों में भी इस प्रकार की समस्या है। मनरेगा आयुक्त से वीडियो कांफ्रेंस में बात हुई है। वेंडरों को जीएसटी व रायल्टी का पैसा जमा करना ही होगा। यहां के जिला खनन पदाधिकारी अस्वस्थ हैं। कार्रवाई उन्हीं को करनी है।

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