गांव की 80 फीसद आबादी खेती के सहारे, नहीं है सिंचाई तक की सुविधा

राची जिले का सिल्ली विधानसभा क्षेत्र हाई प्रोफाईल सीट के रूप में है। इसके बाद भी यहां विकास नहीं हुआ। कुछ स्थिति सुधरी परंतु कई क्षेत्रों में काम होना बाकी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 14 Nov 2019 01:52 AM (IST) Updated:Thu, 14 Nov 2019 01:52 AM (IST)
गांव की 80 फीसद आबादी खेती के सहारे, नहीं है सिंचाई तक की सुविधा
गांव की 80 फीसद आबादी खेती के सहारे, नहीं है सिंचाई तक की सुविधा

गिरिंद नाथ महतो, सोनाहातू : राची जिले का सिल्ली विधानसभा क्षेत्र हाई प्रोफाईल सीट के रूप में चिह्नित है। इस सीट पर अब तक 16 दफा विधानसभा चुनाव लड़ा जा चुका है। बावजूद अबतक इस क्षेत्र का संपूर्ण विकास नहीं हो सका। पाच साल में राज्य सरकार की योजनाओं का सोनाहातू प्रखंड के लोगों को लाभ जरूर मिला। लेकिन मूलभूत सुविधाएं व अन्य समस्याएं अभी भी बरकरार हैं। सोनाहातू प्रखंड के 14 पंचायतों का एक बड़ा पंचायत दुलमी है। इसमें 80 फीसद लोग खेती के सहारे हैं। जबकि इस गांव में सिंचाई की कोई खास सुविधा नहीं है। हालाकि मनरेगा के तहत 7-8 कुप का निर्माण किया गया है लेकिन खेती के लिए वहां से पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता।

यहां ज्यादातर लोग साग सब्जियों की खेती करते हैं। गांव के निकट ही पश्चिम बंगाल के सुईसा में मंडी लगती है, जहां सब्जी की अच्छी बिक्री होती है। सिंचाई के पुख्ता इंतजाम के अभाव में इस गांव में खेती अच्छी नहीं हो पाती। स्वर्णरेखा नदी में 6 साल पहले बना है पुल, पहुंच पथ के अभाव में नहीं हो रहा इस्तेमाल

इधर, गाव के पास से ही स्वर्णरेखा नदी गुजरती है, जहा करीब 6 साल पहले नदी मे पुल बनकर तैयार है। लेकिन पहुंच पथ के अभाव में पुल का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो रहा। पुल पर लोगों का आना जाना मुश्किल है। किसी तरह छोटे वाहन वाले लोग पुल उतर कर सिर्फ गाड़ी ही पार कर पाते है। वहीं बरसात के दिनों में यह भी बंद हो जाता है। गांव में रास्ता सही नहीं होने के कारण आवागमन में काफी कठिनाई होती है। -----

बिजली की स्थिति भी दयनीय, सड़क से मेटल तक निकल आए : गाव में बिजली की स्थिति भी काफी दयनीय है। यह गाव सिल्ली-टीकर-रागामाटी सड़क से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है। बिजली की सप्लाई दिन में मात्र कुछ ही घंटे रहती है। यहीं नहीं गाव में सड़क बनने के बाद भी अबतक उसका मरम्मतिकरण नहीं हो सका है। जगह-जगह से अलकतरा उखड़कर मेटल तक निकल आए हैं। स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर सिर्फ भवन ही बनी

विकास के इन पांच सालों में दुलमी गाव में एक प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र तो जरूर बना है। लेकिन यहां चिकित्सा सेवा की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। सिर्फ दिखावे के लिए बने इस भवन में एक भी चिकित्सक नहीं हैं। ग्रामीणों को मामूली पेट दर्द की दवा के लिए भी कई किमी दूर शहर आना पड़ता है। ग्रामीणों के अनुसार उप स्वास्थ्य केंद्र में एक एएनएम पदस्थापित है, जबकि पदस्थापन के बाद से वह कभी स्वास्थ्य केंद्र झांकने तक नहीं आयी। शिक्षा व्यवस्था भी बदहाल : गाव में एक सरकारी आदिवासी उच्च विद्यालय है, लेकिन समय पर अनुदान नहीं मिलने से पढ़ाई में अकसर बाधाएं उत्पन्न होती है। इस विद्यालय में आसपास के बारेंदा, दुलमी, बोंगादार, पंडाडीह, जिलिंगसेरेंग व अन्य गावों से लड़के-लड़किया पढ़ने आते है। किसी तरह दसवीं परीक्षा पास हो जाते है पर उसके आगे पढ़ाई खत्म सी हो जाती है। सिल्ली विधानसभा का यह गांव विकास से कोसो दूर है। इसे हर बार सरकार व विधायकों ने अनदेखा किया है।

chat bot
आपका साथी