Jharkhand School Reopening: झारखंड में खुले स्कूल, पहले दिन 50% तक पहुंचे छात्र; जानें आंखों देखा हाल
Jharkhand School Reopening झारखंड में 10वीं और 12वीं के स्कूल खुल गए हैं। सोमवार को पहले दिन स्कूलों में छात्रों की संख्या कम लेकिन विद्यार्थियों में काफी उत्साह था। सभी सरकारी स्कूल खुले थे वहीं आज खुलने वाले निजी स्कूलों की संख्या कम थी। मंगलवार से और निजी स्कूल खुलेंगे।
रांची, जासं। Jharkhand School Reopening कोरोना के कारण नौ माह के बाद कक्षा दस तथा बारह के लिए खुलने के बाद पहले दिन सोमवार को सरकारी माध्यमिक स्कूलों में 42 से 58 फीसद बच्चों की उपस्थिति रही। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद को देर शाम तक जिलों से मिली रिपोर्ट में इतनी उपस्थिति सामने आई है। हालांकि परिषद के पदाधिकारियों को मंगलवार से इसमें और वृद्धि होने की उम्मीद है।
जिलों से मिली रिपोर्ट के अनुसार, स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति 72 से 78 फीसद रही। हालांकि माध्यमिक शिक्षा निदेशक जटाशंकर चौधरी ने सभी स्कूलों में शिक्षकों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। वहीं, स्कूलों के 37 से 42 फीसद कमरों के सैनिटाइज किए जाने की रिपोर्ट राज्य परियोजना कार्यालय को मिली है। बता दें कि शिक्षा सचिव राहुल शर्मा ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को जिला व प्रखंड स्तर पर टीम बनाकर स्कूलों की निगरानी के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रत्येक दिन की रिपोर्ट भी मुख्यालय को भेजने को कहा है।
झारखंड में 10वीं और 12वीं के स्कूल खुल गए हैं। सोमवार को पहले दिन स्कूलों में भले ही छात्रों की संख्या कम थी, लेकिन, विद्यार्थियों में काफी उत्साह था। सभी सरकारी स्कूल खुले थे, वहीं निजी स्कूल खुलने वालों की संख्या कम थी। मंगलवार से कुछ और निजी स्कूल खुलेंगे। जिला स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 15 फीसद, बालकृष्ण उच्च विद्यालय में 20 फीसद, ऑक्सफोर्ड स्कूल में 50 फीसद, योगदा बालिका स्कूल में 60 फीसद सहित अन्य स्कूलों में आधे से कम विद्यार्थी स्कूल पहुंचे थे। मंगलवार को यह संख्या और बढ़ेगी। क्योंकि कई विद्यार्थी जो स्कूल पहुंचे थे वह अपने साथ अभिभावक का सहमति पत्र नहीं लाए थे। इस कारण कई विद्यार्थियों को वापस स्कूल से भेज दिया गया।
इधर कई स्कूलों में बैठने की व्यवस्था जिक जैक रखी गई थी। दो विद्यार्थियों के बीच 4 फीट से अधिक की दूरी बनाई गई थी। वही कई स्कूलों में जो छात्र अपने साथ मास्क लेकर नहीं आए थे उन्हें मास्क की सुविधा उपलब्ध कराई। बालकृष्ण उच्च विद्यालय में प्राचार्या ने वैसे सभी छात्रों को मास्क दिया जिनके पास मास्क नहीं था। इसके अतिरिक्त स्कूल के भवन के बाहर और क्लास के निकट सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई थी जहां छात्र प्रवेश करने के पहले सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया। इसके अतिरिक्त कई स्कूलों ने शारीरिक दूरी बनाए रखने के लिए सर्किल बनाए रखा था। जहां प्रवेश करने के दौरान उन सर्किल के दायरे में रहकर विद्यार्थियों को अपने-अपने कक्षाओं में जाना था। कुछ नहीं जी स्कूल ऐसे भी थे जहां अभिभावकों के संग वर्चुअल मीटिंग हुई। डीएवी ग्रुप के कई स्कूलों में वर्चुअल मीटिंग अभिभावकों के संग ली गई। जहां उन्हें कक्षा शुरू होने के पहले बच्चों के प्रति किन-किन बातों का ख्याल रखना है और स्कूल बसों की सुविधा कब से छात्रों को मिलेगी इस संबंध में अभिभावकों के संग वार्ता हुई।
जिला स्कूल रांची में तीनों संकाय की कक्षाएं ली गई। वही बालकृष्ण उच्च विद्यालय में अपने डाउट क्लियर के लिए पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में छात्रों ने शिक्षकों से सवाल किया। डीपीएस स्कूल में केवल 12वीं के ए और बी सेक्शन साइंस के बच्चों को बुलाया गया। सभी बच्चों ने प्रैक्टिकल किया। लैब में दो गज की दूरी बनाकर प्रैक्टिकल करवाया गया। सभी बच्चों से कोरोना गाइड लाइन से संबंधित आवेदन जमा लिया गया। सभी बच्चे या तो अभिभावक के साथ आए या आटो से आए थे। स्कूल गेट पर सैनिटाइजर का प्रयोग किया जा रहा था। स्कूल से निकलते वक्त एक-एक कर अभिभावक को अंदर जाने दिया जा रहा था, उनके साथ बच्चे निकल रहे थे। गोविंद बिहारी ठाकुर, शिक्षक, जिला स्कूल
छात्र के हित में ऑफलाइन क्लास एक बेहतर पहल है। 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षा को लेकर वक्त कम है। ऐसे में इन कक्षाओं की महत्ता और बढ़ जाती है। यासमीन क्लेरिया शिक्षिका, जिला स्कूल
छात्रों में ऑफलाइन क्लास को लेकर उत्साह है। ऑफलाइन क्लास से छात्रों को इस अंतिम समय में पढ़ाई को लेकर काफी मदद मिलेगी। इसलिए शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए कक्षाओं में छात्रों को बैठाया गया है। दिव्या सिंह प्राचार्या, बालकृष्ण उच्च विद्यालय
ऑनलाइन क्लास से नेटवर्क की समस्या हो रही थी। पढ़ाई में काफी परेशानी होती थी। ऐसे में ऑफलाइन क्लास का होना बेहद ही सराहनीय पहल है। अमरनाथ प्रजापति, छात्र, जिला स्कूल
घर की तुलना स्कूल की पढ़ाई ज्यादा बेहतर रहती है। जो कुछ विशेष संबंधित डाउट्स रहते हैं शिक्षकों से पूछकर क्लियर किया जा सकता है। अभिजीत सिंह, छात्र, जिला स्कूल
नेटवर्क की समस्या होने के कारण ऑनलाइन पढ़ाई करने में परेशानी हो रही थी। ऑफलाइन की पढ़ाई से परीक्षा की तैयारी में काफी सहूलियत होगी। जहांगीर हुसैन, छात्र
कई बार मोबाइल फोन नहीं मिलने से पढ़ाई में परेशानी होती है। इसलिए स्कूल आना ज्यादा बेहतर है। शिवानी, छात्रा, बालकृष्ण उच्च विद्यालय
सभी विषयों की पढ़ाई ऑनलाइन के माध्यम से संभव नहीं है। इसके लिए ऑफलाइन की पढ़ाई होना जरूरी है। रविशंकर, छात्र, बालकृष्ण उच्च विद्यालय