RSS की मदद से लाखों घरों में जले चूल्‍हे, कोरोना संक्रमण की परवाह किए बिना दिन-रात लगे रहे 5 लाख स्‍वयंसेवक

RSS News कोरोना वायरस संक्रमण और लाॅकडाउन के समय आरएसएस के स्वयंसेवकों ने सेवा की मिसाल पेश की। इस दौरान पांच करोड़ से अधिक भोजन के पैकेट बांटे वहीं 73.81 लाख से अधिक परिवारों में सूखा राशन दिया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 12:48 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 06:10 PM (IST)
RSS की मदद से लाखों घरों में जले चूल्‍हे, कोरोना संक्रमण की परवाह किए बिना दिन-रात लगे रहे 5 लाख स्‍वयंसेवक
आरएसएस के शिविर में लाइन में खड़े गरीब-बेबस।

रांची, [संजय कुमार]। कोरोनावायरस संक्रमण के कारण पिछले वर्ष जब 24 मार्च की रात से पूरे देश में एक साथ लाॅकडाउन लगा दिया गया, तब लोगों के सामने विकट परिस्थितियां उत्पन्न हो गई थी। उस वक्त राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डाॅ. मोहन भागवत एवं सरकार्यवाह भय्याजी जोशी के आह्वान पर पूरे देश में पांच लाख सात हजार 656 स्वयंसेवक जरूरतमंदों की मदद के लिए सड़कों पर उतर गए। कोरोना संक्रमण की चिंता नहीं करते हुए लोगों की मदद करने के लिए उतारू हो गए।

इस दौरान कई स्वयंसेवकों की जान भी गई परंतु लोगों ने हार नहीं मानी। इस दौरान पांच जून तक म्यांमार व बांग्लादेश की सीमा से लेकर पाकिस्तान की सीमा व जम्मू से लेकर कन्याकुमारी तक 92,656 से अधिक स्थानों पर सेवा कैंप खोले गए, वहीं पांच करोड़ से अधिक भोजन के पैकेट बांटे गए। 73,81,802 परिवारों के बीच सूखा राशन सामग्री बांटी गई। इतना ही नहीं, राह चल रहे 44,86,558 मजदूरों की भी सेवा स्वयंसेवकों ने की। लाॅकडाउन के समय जहां जैसी जरूरत पड़ी, सेवा भारती के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर संघ के स्वयंसेवक मदद के लिए पहुंचते रहे।

चाहे बुजुर्गों के लिए दवा की व्यवस्था करनी हो या मास्क का वितरण करना हो। इम्युनिटी बढ़ाने के लिए स्वयं से तैयार कर लोगों को काढ़ा पिलाना हो या बच्चों के लिए दूध की व्यवस्था करना हो। घरों को सैनिटाइज करना हो या कोरोना संक्रमितों व उनके परिवार की मदद करनी हो। जहां जरूरत पड़ी, प्रशासन के लोगों की मदद करने में भी पीछे नहीं रहे। मदद के दौरान पंथ व संप्रदाय के बंधन से ऊपर उठकर स्वयंसेवकों ने लोगों की मदद की।

उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड के कई जगहों पर मुस्लिम परिवार की मदद से स्वयंसेवक पीछे नहीं हटे। दिल्ली के जोमी चर्च में जब 50 परिवार के लोग फंस गए, तब उनके भोजन की चिंता उस इलाके में रहने वाले स्वयंसेवकों ने की। पूर्वोत्तर भारत में चल रहे अधिकतर सेवा केंद्रों पर ईसाई परिवारों की मदद की गई। झारखंड के गोड्डा जिला में तो पहाड़ों पर बसे आदिवासी समाज के लोगों की मदद के लिए सिर पर राशन लेकर 8 किमी पैदल चलकर उनके पास पहुंचे।

जब लोग पैदल घरों को लौटने लगे तो जगह-जगह खोल दिया राहत कैंप

लाॅकडाउन के समय जब गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल आदि राज्यों से बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश आदि राज्यों के मजदूर पैदल अपने घरों को लौटाने लगे तब संघ के स्वयंसेवकों ने सड़क किनारे राहत कार्य शुरू कर दिए। 1778 स्थानों पर राहत कैंप खोले गए। भोजन से लेकर बच्चों के लिए दूध व वस्त्र तक की व्यवस्था की गई। जब मजदूरों के जाने के लिए विशेष बस व ट्रेन चलाए जाने लगे, तब वहां भी राहत कैंप खोले गए। स्वयंसेवकों ने पशुओं के लिए चारे व पानी की भी व्यवस्था की।

अनुषांगिक संगठन भी नहीं रहे पीछे

लाॅकडाउन के समय संघ के स्वयंसेवकों के साथ-साथ अनुषांगिक संगठन के कार्यकर्ता भी मदद में पीछे नहीं रहे। विहिप, अभाविप, एकल अभियान, वनवासी कल्याण केंद्र, हिंदू जागरण मंच, विकास भारती, विद्या भारती सहित कई संगठनों के लाखों कार्यकर्ता सेवा कैंप चलाकर जरूरतमंदों की सेवा में लगे रहे। विकास भारती के कार्यकर्ताओं ने तो झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में भी मास्क बांटने व भोजन वितरण का काम किया।

एकल के कार्यकर्ताओं ने पूरे देश में 50 लाख से अधिक मास्क स्वयं से तैयार कर निश्शुल्क वितरण किया तो चार लाख से अधिक गांवों को कोरोना संक्रमण से बचाया। किसानों से उत्पाद खरीदकर बाजार तक पहुंचाने का काम किया। अभाविप के कार्यकर्ताओं ने तो हेल्पलाइन नंबर जारी कर जगह-जगह लाखों विद्यार्थियों की मदद की। ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की।

'लॉकडाउन के समय कोरोना संक्रमण से अपने को बचाते हुए लोगों की मदद करना सबसे बड़ी चुनौती थी। लोग असमंजस की स्थिति में थे। उस विषम परिस्थिति में संघ के स्वयंसेवकों ने पूरे देश में एक साथ राहत कैंप चलाकर दिखा दिया कि मदद कैसे की जाती है।' -नरेंद्र ठाकुर, अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख, आरएसएस।

पूरे देश में 5 जून 2020 तक स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा कार्य

सेवा कैंप-  92,656

सेवारत कार्यकर्ता -   5,07,656

परिवारों की संख्या जहां राशन किट पहुंचाए गए-   73,81,802

तैयार भोजन पैकेट का वितरण   4,66,34,730 

मास्क का वितरण -  89,23,131

अस्थायी निवास की व्यवस्था 1,91,661

दूसरे राज्य के लोगों को सहायता -   19,42,179

रक्तदान -  60,229 लोग

आयुर्वेदिक काढ़ा  का वितरण 59,91,570 

घुमन्तु जन सहायता -    2,67,675

प्रवासी मजदूरों हेतु प्रमुख मार्गों पर भोजन वितरण केंद्र -  1,778

मदद प्राप्त मजदूर -  44,86,558

दवा/मेडिकल सहायता केंद्र -  483

बस/रेल आदि पर सहायता केंद्र -   935

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