रांची की बेटी की छोटी उम्र में ऊंची उड़ान, अनुपम खेर के साथ कर चुकी है अभिनय Ranchi News

Jharkhand. वर्ष 2015 में मिस झारक्राफ्ट के खिताब से नवाजी जा चुकी है। अनुपम खेर अभिनीत फिल्म रांची डायरी में अभिनय कर चुकी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 03:34 PM (IST) Updated:Thu, 12 Dec 2019 10:26 AM (IST)
रांची की बेटी की छोटी उम्र में ऊंची उड़ान, अनुपम खेर के साथ कर चुकी है अभिनय Ranchi News
रांची की बेटी की छोटी उम्र में ऊंची उड़ान, अनुपम खेर के साथ कर चुकी है अभिनय Ranchi News

रांची, जासं। किसी ने सच कहा है कि गर ख्वाब देखो तो आसमान को छूने का ख्वाब देखो। आसमान में उड़ान भरने का ख्वाब देखो। बहुत कम लोग हैं जो अपने ख्वाब पूरे कर पाते हैं लेकिन रांची की बेटी सृष्टि सिंह ने न सिर्फ ख्वाब देखा बल्कि आसमान में उड़कर अपने सपनों को पूरा भी किया है। सृष्टि ने इसी वर्ष बंगाल इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस स्कूल, कोलकाता से एमबीए की डिग्री हासिल की है।

जब वह छोटी थी, आसमान में उड़ते हवाई जहाज को देखकर रोमांचित हो जाया करती थी, बड़ी हुई तो एयर हॉस्टेस बनने का सपना कुछ इस तरह हावी हुआ कि उसने इसे हासिल कर ही दम लिया। बीबीए की डिग्री लेने के महज कुछ ही महीने में उसने अंतरराष्ट्रीय उड़ानें भरनी शुरू कर दी। यह वही सृष्टि है, जो 2015 में मिस झारक्राफ्ट के खिताब से नवाजी जा चुकी हैं। मिस इंडिया के लिए उसने राज्य स्तरीय प्रतियोगिता तक जीत रखी है। अनुपम खेर अभिनीत फिल्म रांची डायरी में भी उसने छोटी ही सही किरदार निभाई है।

राजधानी रांची स्थित उर्सुलाइन विद्यालय से स्कूलिंग और संत जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएट सृष्टि ने जून में संघाई के लिए जब सबसे पहली उड़ान भरी, अपने पिता आकाशवाणी रांची के सीनियर अनाउंसर संजय सिंह के प्रति कृतज्ञता जाहिर की, जिन्होंने शुरू से ही उसकी हौसला आफजाई की, उसके संबल बनकर खड़े रहे। सिंगापुर एयरलाइंस से करियर की शुरुआत करने वाली सृष्टि आज विश्व की सबसे बड़ी एयरलाइंस सेवा में कार्यरत है।

30 हजार से 45 हजार फीट की ऊंचाइयों पर वह महीने औसतन 100 से 140 घंटे की उड़ान भर रही है। हिंदी और अंग्रेजी पर समान पकड़ रखने वाली सृष्टि के कदम अभी थमे नहीं है। वह कहती यह तो बस शुरुआत है। अपनी ही हम उम्र लड़कियों की हौसला आफजाई भी करती है। सृष्टि कहती है, अगर आप जीवन मे एक लक्ष्य निर्धारित कर आगे बढ़ते हैं तो वहां तक पहुंचने का मार्ग भी प्रशस्त होता चला जाता है।

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