नमो-देव्यै-महादेव्यै----बाल विवाह के खिलाफ समाज को किया जागरूक
रूढ़ीवादी परंपरा के खिलाफ खड़ी हुई ममता चुनौतियों को बनाया आसान संवाद सहयोगी रामगढ़
रूढ़ीवादी परंपरा के खिलाफ खड़ी हुई ममता, चुनौतियों को बनाया आसान
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : बाल विवाह जैसी रूढ़ीवादी परंपरा के खिलाफ खड़ा होना और समाज को जागरूक करना यह एक चुनौती से भरा काम होता है। क्योंकि जहां रूढ़ीवादी परंपरा हावी होती हैं वहां पर जागरूकता महज एक औपचारिकता बनकर रह जाती है। उसके बाद भी दांतों से लोहा चबाने जैसे कार्य को कंधों पर उठाकर आगे बढ़कर समाज को जागरूक करते हुए दिशा देने का काम कर रही हैं ममता। शहर की बेटी प्रताप नगर नईसराय निवासी ममता कुमारी के पिता पेशे से
टाइल्स मिस्त्री है। मां पूर्ण रूप से गृहणि है। अपनी हालात को देखकर कभी ना घबराते हुए जिद को हथियार बनाकर आगे बढ़ने
लगी। ममता रामगढ़ कालेज से स्नातक की पढ़ाई परी की है। पढ़ाई के दौरान ही वह एनएसएस से जुड़कर समाज व व्यवहारिकता का पाठ पढ़ने लगी। अपनी टीम के साथ गांव-गांव जाकर स्वच्छता अभियान, जल सरंक्षण, पर्यावरण बचाने, पौध रोपन करने जैसे कार्य करती रही। इसी बीच ब्रेक थ्रो संस्था से जुड़कर बाल विवाह के खिलाफ जंग छेड़ दी। वह संस्था के साथ मिलकर बाल विवाह को रोकने के लिए गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक करने का काम करने लगी। वह टीम के साथ नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को बाल विवाह से होने वाली परेशानी से अवगत कराने लगी। इसी बीच देश सहित पूरे विश्व में कोरोना वायरस के भय से त्राहिमाम करते हुए बचाव के अवसर ढुंढने लगा। ऐसे में अचानक लॉकडाउन ने पूरे देश सहित संसार को हिला कर रख दिया। लोग संकट के जंजाल में फंस कर भंवर से निकलने का प्रयास करने लगे। इसी बीच लोगों की पीड़ा को देखकर ममता ने करीब तीन माह तक रात और दिन लोगों की मदद के लिए निकल पड़ी। हर किसी को मास्क बांटना, सैनिटाइजर बांटना और राहगीरों को खाना का पैकेट पहुंचाने का काम करने लगी। संस्था के साथ मिलकर व एनएसएस के सदस्यों के साथ मिलकर इस नेक कार्य को करने लगी। देखते ही देखते लोगों का साथ भी उसे मिलता गया। वह एक से अनेकों में हो गई। लोग उसे जानने के अलावा पहचानने भी लगे। ममता अपनी कार्य व जज्जबातों के कारण हर दिल अजीज हो गई।