जागरण विशेष--पंक्षियों व जानवरों को दाना देने के बाद शुरू होती है उदित की की दिनचर्या

बाटम क्षेत्र के कौआ को मालूम है उदित का पता समय पर पहुंच जाते हैं सभी मनोज तिवारी गिद्दी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 08:35 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 08:35 PM (IST)
जागरण विशेष--पंक्षियों व जानवरों को दाना देने के बाद शुरू होती है उदित की की दिनचर्या
जागरण विशेष--पंक्षियों व जानवरों को दाना देने के बाद शुरू होती है उदित की की दिनचर्या

बाटम

क्षेत्र के कौआ को मालूम है उदित का पता, समय पर पहुंच जाते हैं सभी मनोज तिवारी, गिद्दी (रामगढ़) : डाड़ी प्रखंड अंतर्गत गिद्दी ग पंचायत के दुर्गा मंडप स्थित पान दुकानदार उदित कुमार चौरसिया किसी पहचान के मोहताज नहीं है। क्षेत्र के लोग पान दुकानदार के साथ पक्षी, जानवर व भटके राहगीरों ं को साम‌र्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ खिलाने के लिए जाने जाते हैं। पक्षियों को दाना खिलाने का उदित का जुनून ऐसा है कि अब पंक्षी उनकी आहट सुन दुकान के इर्द-गिर्द जमा हो जाते हैं। यह भी कह सकते हैं कि उदित कुमार चौरसिया की दुकानदारी पंक्षियों व जानवरों को कुछ न कुछ खिलाने के बाद ही शुरू होता है। सबसे बड़ी बात है कि पक्षियां भी प्रतिदिन सुबह में उदित के दुकान खुलने का इंतजार रहता हैं। अगर लेट होती है तो इधर-उधर चले जाते है और जैसे ही उदित द्वारा दाना देने की आवाज होती है तो वे चंद मिनटों में दर्जनों कौआ वहां पहुंच जाते है। उदित कुमार चौरसिया की गिद्दी दुर्गा मंडप पानी टंकी स्थित पान की दुकान के साथ बच्चों के खाने-पीने की समाग्री बेचते हैं। उदित प्रतिदिन सुबह साढ़े आठ बजे दुकान खोलते हैं। दुकान खोलने के बाद कौआ व जानवर दुकान के आसपास मंडराने लगते हैं। वे दुकान में साफ-सफाई व पूजा-अर्चना कर कौआ, गाय, कुत्ते को दाना, कुरकुरे व अन्य समाग्री खिलाते है। दाना खाने के बाद पंक्षी व जानवर गंतव्य स्थानों पर चले जाते हैं। उदित के पंक्षी, जानवर व विक्षिप्त-भटके तथा बच्चों को चॉकलेट खिलाने की गिद्दी कोयलांचल में चर्चा है। कई लोग तो उनके पंक्षी व जानवर प्रेम का नजारा देखने सुबह-सुबह दुकान पर भी आते है। उदित ने बताया कि शुरूआत में पंक्षी प्रेम के कारण दो-चार कौआ को दाना डालने का कार्य किया। धीरे-धीरे कौआ की जहां संख्या बढ़ते गई है। वहीं कौआ को दाना खिलाते देख गाय, कुत्ते भी दुकान पर आने लगे। यहां तक उदित प्रतिदिन मानसिक रूप से विक्षिप्त लोग, राहगिर व बच्चों को विस्कूट, चोकलेट व अन्य चीज खिलाते हैं। यह सिलसिला करीब तीन साल से चल रहा है। चॉकलेट तो उनके पॉकेट में रहता है। रास्ते में कोई भी मिलता है वे उसे चॉकलेट जरूर देते हैं। उदित ने कहा कि पंक्षी, जानवर व अन्य को खिलाने से उन्हें काफी संतुष्टि मिलती है।

chat bot
आपका साथी