25 गांव की 65 एकड़ जमीन औने-पौने दर पर अधिग्रहण करने के बाद न नौकरी मिली न पुनर्वास : आजसू

संवाद सहयोगी रामगढ़ आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव सह विधायक डा. लंबोदर महतो और कें

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 08:21 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 08:21 PM (IST)
25 गांव की 65 एकड़ जमीन औने-पौने दर पर अधिग्रहण करने के बाद न नौकरी मिली न  पुनर्वास : आजसू
25 गांव की 65 एकड़ जमीन औने-पौने दर पर अधिग्रहण करने के बाद न नौकरी मिली न पुनर्वास : आजसू

संवाद सहयोगी, रामगढ़ : आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव सह विधायक डा. लंबोदर महतो और केंद्रीय महासचिव सह पार्टी के बड़कागांव विधानसभा प्रभारी रोशन लाल चौधरी सूबे के राज्यपाल रमेश बैस से पीवीयूएनएल (पूर्व पीटीपीएस) के विस्थापितों प्रभावितों के हक एवं अधिकार को लेकर मिले। उन्होंने राज्यपाल को इस बात से अवगत कराया कि पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (पीटीपीएस) स्थापना काल से ही विस्थापितों के द्वारा लगातार आवाज उठाने के बावजूद 25 गांव की 65 एकड़ जमीन औने-पौने दर पर अधिग्रहण कर किसी को न तो नौकरी दी गई और न ही पुनर्वास की व्यवस्था हुई। कई रैयतों को अब तक मुआवजा भी नहीं मिला है। इसके कारण कई लोग पलायन कर गए हैं। इस बीच पीटीपीएस फैक्ट्री को बंद करते हुए चार हजार मेगावाट के पावर प्लांट के निर्माण के लिए 2015-16 में पीवीयूएनएल के रूप में एनटीपीसी का आगमन हुआ। पुन: विस्थापित व प्रभावित लगातार आवाज उठाते हुए पीवीयूएनएल प्रबंधन, प्रशासन और सरकार के समक्ष अपनी जायज मांगों को रखते हुए आ रहे हैं। परंतु अत्यंत दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि कई बार द्विपक्षीय एवं त्रिपक्षीय वार्ताओं के जरिए आश्वासन तो दिए गए लेकिन उनके अनुपालन को लेकर कोई ठोस एवं सकारात्मक कदम नहीं उठाया गया। विस्थापितों व प्रभावितों की उपेक्षा करते हुए पीवीयूएनएल, यूपीएल तथा भेल व भेल की विभिन्न एजेंसियों के द्वारा निरंतर बाहर से आदमी लाकर काम पर रखे गए और यह सिलसिला अभी भी चल रहा है। इस उपेक्षा के कारण विस्थापित परिवारों के बीच घोर निराशा और आक्रोश व्याप्त है। राज्यपाल का ध्यान झारखंड सरकार द्वारा घोषित विस्थापितों, प्रभावितों व स्थानीय को पीवीयूएनएल की नियुक्ति में 50 प्रतिशत आरक्षण लागू करने सहित 15 सूत्री मांगो पर आकृष्ट कराया गया।

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