जंगलों में खो गई रेलवे कालोनी
दिलीप कुमार सिंह रामगढ़ धनबाद मंडल के सीआइसी सेक्शन का बरकाकाना स्टेशन देशभर में
दिलीप कुमार सिंह, रामगढ़ :
धनबाद मंडल के सीआइसी सेक्शन का बरकाकाना स्टेशन देशभर में कोयला लदाई में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला है, लेकिन यहां काम करने वाले कर्मचारियों की कोई सुध नहीं। कर्मचारियों के लिए रेलवे कालोनी है, जहां जंगल उग आए हैं। दूर से मकान नहीं, जंगल दिखते हैं। साफ-सफाई कुछ नहीं। नालियां बजबजाती हैं। दिन में रहना भी मुश्किल होता है। काली रात तो और भी भयावह हो जाती है। जंतु सांप, कीड़ा, मच्छर, कीट बेरोकटोक आते रहते हैं।
सबसे मजे की बात है कि कॉलोनी का आगे भाग चकाचक रखा जाता है, ताकि देखने वाले समझे कि काम हो रहा है। वहीं उसके पीछे की हालात देख कर मन सिहर उठता है। अधिकारी कभी कॉलोनी में निरीक्षण नहीं करते। जबकि धनबाद मंडल में बरकाकाना की है एक अलग पहचान बनी हुई है। यहां पर इन सारी परेशानियों को देखते हुए कर्मचारी यूनियन पूरी तरह से मौन रहता है।
जबकि बरकाकाना स्टेशन को विश्वस्तरीय स्टेशन बनाने के लिए कुछ दिन पूर्व ही चयन किया गया है। कॉलोनी के कुछ दूरी पर ही एडीआरएम सहित कई बड़े अधिकारी अपने कार्यालय पर पदस्थापित हैं। उसके बाद भी न कोई देखने वाला न कोई सुनने वाला है।
-- पहले 60-70 कर्मचारी होते थे। अब मात्र पांच-छह ही बचे है। ऐसे में कितना मुश्किल होता है इसका अंदाजा लगा ही सकते है। झार-जंगल की कटाई का काम इंजीनियरिंग का है। हां नालियां, गंदगी आदि साफ करना हमारा काम है। उसी मैन पावर में इधर-उधर कर काम लिया जाता है।
-संदीप कुमार। एसीएमएस, बरकाकाना।
---------- कॉलोनी की हालत बहुत ही खराब है। कई परेशानी से कर्मचारी जूझ रहे है। मैन पावर की भी कमी है। इस मसले पर जल्द ही वरीय अधिकारियों, एडीइएन व एडीआरएम के साथ बैठक कर समस्या को रखने का प्रयास करेंगे, ताकि इस समस्या से निजात मिल सके।
-महेंद्र प्रसाद महतो, सचिव, ईसीआरकेयू शाखा, बरकाकाना।