आज भी प्रासंगिक है मुंशी प्रेमचंद का साहित्य

संवाद सूत्र भुरकुंडा (रामगढ़) श्री अग्रसेन स्कूल भुरकुंडा में शनिवार को साहित्य साधक मु

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 07:54 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 07:54 PM (IST)
आज भी प्रासंगिक है मुंशी प्रेमचंद का साहित्य
आज भी प्रासंगिक है मुंशी प्रेमचंद का साहित्य

संवाद सूत्र, भुरकुंडा (रामगढ़): श्री अग्रसेन स्कूल, भुरकुंडा में शनिवार को साहित्य साधक मुंशी प्रेमचंद की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता शिक्षिका दीपिका तिवारी ने की। संचालन छात्रा स्मिता कुमारी व हरप्रीत कौर ने किया। वेबिनार की शुरुआत में मुंशी प्रेमचंद की विभिन्न कहानियों, उपन्यास की आधुनिक समय में प्रासंगिकता पर प्रतिभागियों ने चर्चा की। छात्र विराट राणा, रवि कुमार, सना राज, तसनीम फातमीन ने प्रेमचंद की कहानी पढ़ी। जबकि अस्मित गुप्ता, रवि कुमार ने नाटक का मंचन किया। वेबिनार में अदिति गुप्ता, रोहिनी कौशल, अभिराज कुमार, आंचल कुमारी, इंशा नाज, आराध्या कुमारी, अपर्णा लाहकार, रिया भारती, खुशी पांडेय आदि ने प्रेमचंद की कहानियों से समाज को मिलने वाले संदेश को बताया। अपने संबोधन में स्कूल के निदेशक प्रवीण राजगढि़या ने हिदी को केवल विषय ही नहीं बल्कि जीवन शैली बताया। कहा कि मुंशी प्रेमचंद को उनके प्रेरक उद्धरण और अनूठी लेखन शैली के लिए याद किया जाता है। प्रेमचंद आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने वे स्वतंत्रता-पूर्व युग के दौरान थे। उनका साहित्य, उनके द्वारा लिखे गए पात्र, जिन समस्याओं के बारे में उन्होंने बात की है, हम अभी भी उन पर काबू पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। चाहे वह गरीबी हो या भेदभाव हो। प्राचार्या नीलकमल सिन्हा ने कहा कि प्रेमचंद हमारे समाज के सजग प्रहरी थे। उनको याद करके हम उनके विचारों से सीख सकते हैं और समाज को दिशा दे सकते हैं। उनके उपन्यास व कहानियों में सच्चाई व जीवन के अनुभव की झलक मिलती है। उनकी रचना का परिवेश ज्यादातर ग्रामीण रहा है। प्रेमचंद ने अपनी लेखनी से 15 उपन्यास, 300 से अधिक कहानियां, 10 अनुवाद, 7 बाल पुस्तकें लिखी। प्रेमचंद की कहानियों और उपन्यासों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रेमचंद का साहित्य आज भी प्रासंगिक है।

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