लॉकडाउन से दूसरी बार मंदिर है खाली

तारकेश्वर महतो रजरप्पा(रामगढ़) प्रकृति की गोद में बसा झारखंड प्रदेश का महान तीर्थस्थ

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 06:17 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 06:17 PM (IST)
लॉकडाउन से दूसरी बार मंदिर है खाली
लॉकडाउन से दूसरी बार मंदिर है खाली

तारकेश्वर महतो, रजरप्पा(रामगढ़) : प्रकृति की गोद में बसा झारखंड प्रदेश का महान तीर्थस्थल रजरप्पा मंदिर एक प्रसिद्ध जागृत सिद्धपीठ है। यहां अवस्थित शक्ति के प्रतीक माता छिन्नमस्तिका मंदिर के बगल में ही भगवान भोलेनाथ का मंदिर है। शिव और शक्ति एक स्थान पर होना, अद्भुत है। इस शिव मंदिर में 20 फीट का शिवलिग भी अदभूत है। माना जाता है कि झारखंड के किसी भी शिवालय में इतना बड़ा शिवलिग नहीं है। यहां मां छिन्नमस्तिका की प्रतिमा सावन माह में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालुओं को खींच लाती है और वात्सल्य रस का अमृतपान कराती है। लेकिन दुनिया भर मे फैले कोरोना महामारी की कारण सभी तीर्थस्थल आम श्रद्धालुओं के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। इसके कारण कोई भी श्रद्धालु यहां पहुंच नहीं पा रहे हैं। हालांकि कुछ दिन पहले ही यहां हजारों की तादाद में पूजा-अर्चना करने के लिए श्रद्धालु पहुंचे हुए थे। इससे अनुमान लगाया जा रहा था कि सावन के पहले दिन श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ उमड़ पड़ेगी। लेकिन रविवार को पूर्ण लॉकडाउन होने के कारण यहां बाहर से आने वाले कुछ ही संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुचे हुए थे। जो बाहर से ही मंदिर प्रवेश द्वार में ही पूजा अर्चना कर चले गए। रविवार को पूर्ण लॉकडाउन होने के बावजूद यहां पहुंचे सभी श्रद्धालुओं को पुजारियों द्वारा शारीरिक दूरी का पालन करने का अपील कर रहे थे। हालांकि कुछ श्रद्धालु मंदिर जाने वाले रास्ते मे ़फोटो सेशन करते हुए पाए गए। लेकिन हम बात कर रहे है मां छिन्नमस्तिका मंदिर परिसर स्थित विशाल शिवलिग की। जो झारखंड का सबसे बड़ा शिवलिग है। माना जाता है कि यहां स्थित 20 फुट का विशाल शिवलिग संभवत: देश का सबसे बड़ा शिवलिग है। वैसे तो गिरिडीह जिले के बगोदर-सरिया मार्ग के हरिहर धाम में इससे भी ऊंचा शिवलिग है, परंतु वहां मंदिर के प्रारूप में है, परंतु रजरप्पा के 20 फुट का शिवलिग मंदिर के अंदर स्थापित है। स्थानीय पुजारियों के अनुसार रजरप्पा मंदिर प्रक्षेत्र में 20 फीट का शिवलिग अपने आप में अछ्वुत है। कांवरिए देवघर रवाना होने से पूर्व रजरप्पा पहुंचकर मां छिन्नमस्तिका मंदिर में स्थापित 20 फीट ऊंचे शिवलिग में जलाभिषेक जरूर करते हैं। लेकिन लगातार दूसरी बार कोरोना महामारी के कारण छिन्नमस्तिका मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबंध है। जिसके कारण यहां अवस्थित 20 फुट के विशाल शिवलिग में कोई भी श्रद्धालु जलाभिषेक नहीं कर पाएंगे। यहां केवल पुजारियों द्वारा ही जलाभिषेक कर पूजा अर्चना के साथ परंपरा निभाई गई है। नहीं रहेगी कांवरियों की भीड़: सुभाशीष पंडा

मंदिर न्यास समिति के सचिव सुभाशीष पंडा ने बताया कि सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के कारण मंदिर के गर्भ गृह प्रवेश श्रद्धालुओं के लिए रोक कर रखा गया है। इसके अलावा देवघर में बंद है। पुजारी के अनुसार सरकार द्वारा पहले ही घोषणा कर चुकी है कि देवघर में श्रावणी मेला इस बार भी नहीं लगेगा। श्रावणी मेला जब नहीं लगेगा तो श्रद्धालु देवघर जाएंगे नहीं। क्योंकि जो भक्त कांवरिया देवघर, बासुकीनाथ जाते हैं वही फिर लौट के रजरप्पा माता का दर्शन करने आते है। उसके बाद ही अपने अपने घर को प्रस्थान करते हैं। इसी ²ष्टिकोण से हम लोग भांप चुके हैं कि इस बार सावन में मां के दरबार में भीड़ भाड़ नहीं होगी। साथ ही उन्होंने तमाम श्रद्धालुओं से आग्रह किये हैं कि अधिक से अधिक संख्या में मां के दरबार में भीड़ ना लगाए और जो कोविड-19 का गाइडलाइन है उसका पालन करते हुए अपने घर में ही रहे। इसके अलावे प्रशासन भी अपनी ओर से व्यवस्था निश्चित रूप से किया हुआ है। जो जगह जगह पर पुलिस लगी हुई है। क्या कहते है श्रद्धालु

हजारीबाग के श्रद्धालु राकेश पोद्दार ने कहते है कि हर वर्ष सावन के दिन रजरप्पा माँ छिन्नमस्तिके मन्दिर पूजा अर्चना के लिए आते थे, और मन्दिर में काफी रौनक रहती थी। पर इस बार मन्दिर विरान है, माँ का दर्शन बाहर से कर के लौट आया हूँ। जबकि अपने परिवार के साथ आये बोकारो के श्रद्धालु सौरभ कुमार बताते है कि देवघर जाने से पूर्व रजरप्पा स्थित शिवलिग में जलाभिषेक करते हैं उसके बाद ही देवघर के लिए रवाना होते हैं। लेकिन कोरोना के वजह से लगातार दूसरी बार भी देवघर नहीं जा पाएंगे। क्योंकि सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन के कारण सभी मंदिर बंद है। आगे कहा कि मां भगवती का दर्शन करने के लिए हर वर्ष रजरप्पा आते है, पर लगातार दो वर्ष से कोरोना के कारण पूजा पाठ बंद है। जिससे हमलोग काफी निराश है। मां छिन्नमस्तिके से कामना करते है कि कोरोना को जड़ से खत्म कर दें।

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