संगोष्ठी में अनेकता पर दिखी एकता, विचारों में रहा मतभेद
संवाद सहयोगी रामगढ़ नागरिकता के सवाल और हमारा संविधान विषय पर मंगलवार को रामगढ़ महाविद्यालय के सभागार में झारखंड विकास न्यास और महाविद्यालय के संयुक्त में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
- संवाद सहयोगी, रामगढ़ : नागरिकता के सवाल और हमारा संविधान विषय पर मंगलवार को रामगढ़ महाविद्यालय के सभागार में झारखंड विकास न्यास और महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में देशस्तर से लेकर वैश्विकस्तर के वक्ता शामिल हुए। साथ ही जिलेभर के प्रबुद्ध जनों ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। संगोष्ठी में चर्चा के दौरान अनेकता पर एकता की झलक दिखाई दी। इससे इतर विचारों में मतभेद भी रहा।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता पूर्व आइपीएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन थे। झारखंड विकास न्यास के संस्थापक एवं अध्यक्ष बसंत हेतमसरिया ने अतिथियों का स्वागत किया। संगोष्ठी के शुरूआत में डॉ. लियोए सिंह ने मुख्य वक्ता गोपीनाथन का परिचय प्रस्तुत किया। हेतमसरिया ने न्यास की ओर से सम्मानित किए जाने वाले अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। अपनी प्रतिभा से वैश्विक स्तर पर ख्यातिप्राप्त कवयित्री जसिता केरकेट्टा को मुख्य अतिथि ने राधाकिशन पुरस्कार से सम्मानित किया। दूसरा पुरस्कार आर्मी स्कूल के प्राचार्य पंकज जैन को दिया गया। संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन न्यास अध्यक्ष हेतमसरिया ने करवाया। बाद में मुख्य वक्ता का छात्रों एवं अतिथियों के साथ परिसंचाद शुरू हुआ। उन्होंने उपस्थिति छात्र-छात्राओं से नागरिकता संबंधी प्रश्न किया। कविता कुमारी ने इसका उत्तर दिया तथा अपना मत व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सीएए पर दसवां संशोधन हैं पर पहली बार मजहब का नाम लिया गया है। तीन देशों को ही क्यों चुना गया। श्रीलंका को क्यों नहीं चुना गया। जबकि वह धार्मिक देश है और वहां भी हिदू प्रताड़ित है। कमल बगड़ियां, डॉ. सीटीएन सिंह व डॉ. सुनील अग्रवाल ने इस विषय पर लंबी बहस छेड़ दी। साथ ही हस्तक्षेप कर पाकिस्तान में हिदुओं की वर्तमान जनसंख्या पर अपने विचारों को रखा। छात्र-छात्राओं तथा उपस्थित श्रोताओं ने भी अपने विचार रखे तथा परिसंवाद कायम किया। प्राचार्य डॉ. मिथिलेश सिंह ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि असहमति पर भी संवाद होना चाहिए। सपनों का मर जाना सबसे खतरनाक होता है। अस्तित्व बचाए रखने के लिए वैचारिक उद्वेलन आवश्यक है। उभरती हुई कवयित्री गुलाबशा खातून ने अहम की चिनगारियों को बुझ जाने दो कविता का पाठ किया। वहीं जसिता केरकेट्टा ने भी अपनी दो कविताओं का पाठ किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. मिथिलेश सिंह ने की। जबकि धन्यवाद ज्ञापन महिला महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. शारदा प्रसाद ने किया। अंत में स्मिता कुश्वाहा के द्वारा संविधान की प्रस्तावना का पाठ एवं राष्ट्रगान के साथ समापन किया गया।
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संगोष्ठी में ये थे मौजूद
डॉ. नरेंद्र प्रसाद, डॉ. बलवीर सिंह सिद्धू, डॉ. आरवीपी देव, डॉ. लिया ए सिंह, अबू अहमद सिद्दिकी, डॉ. बीएन ओहदार, जगजीत सिंह सोनी, कवि सरोज कांत झा, डॉ. प्रीति कमल, डॉ. बलवंती मिज, डॉ. रोज उरांव, डॉ. मालिनी डीन, डॉ. कामना राय, डॉ. वकील अहमद, डॉ. अनामिका, डॉ. केसी दुबे, डॉ. बीरबल महतो, शिवानंद, डॉ. सतीश कुमार सिंह, डॉ. रामज्ञा सिंह, डॉ. निर्मल बनर्जी, आभा मुखतालिक, अशोक, राजू विश्वकर्मा, फैयाज अहमद, बलराम सिंह, मो. असद बारी, योगेंद्र उपाध्याय, सुमंत महली, नेहा, बेबी, अदिति, रूबी, सुमन, मनीषा, अंजू, मुकेश, चितरंजन, प्रियंका सहित बड़ी संख्या में गणमान्य लोग व छात्र-छात्राएं मौजूद थे।