गिद्दी परियोजना में जुगाड़ तंत्र से बनाया नया कोयला क्रशर

मनोज तिवारी गिद्दी (रामगढ़) सीसीएल अरगडा प्रक्षेत्र महाप्रबंधक राजीव कुमार सिंह की देखरेख मे

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 06:12 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 06:12 PM (IST)
गिद्दी परियोजना में जुगाड़ तंत्र से बनाया नया कोयला क्रशर
गिद्दी परियोजना में जुगाड़ तंत्र से बनाया नया कोयला क्रशर

मनोज तिवारी, गिद्दी (रामगढ़) :सीसीएल अरगडा प्रक्षेत्र महाप्रबंधक राजीव कुमार सिंह की देखरेख में गिद्दी परियोजना के अधिकारियों की टीम ने गिद्दी सीएचपी में 100 एमएम का नया क्रशर बनाया है। जुगाड़ तंत्र से कोयला क्रशर को बनाया गया है, इसे बनाने के लिए उसके उपकरण को हमबोल्ट कंपनी ने जर्मनी भेजने की बात कही थी। परंतु गिद्दी के अधिकारियों की टीम ने बेकार पड़े सामान का जुगाड़ तंत्र से 100 एमएम क्रशर को बना दिया है। इससे लाखों रुपये की बचत हो गई। सीएमडी ने गत 12 सितंबर को अपने अरगडा प्रक्षेत्र के दौरा के क्रम में सीमित खर्च व जुगाड़ तंत्र से बनाए गए क्रशर को देख प्रशंसा की थी। बताते हैं कि गिद्दी सीएचपी क्रशर 1967 में बना था। इसमें कोयले के बड़े टुकड़े (12 इंज) सीएचपी में गिरता था। बाद में उस कोयले को रेलवे रैक के माध्यम से पावर प्लांट व निजी पार्टी कोयला ले जाया करते थे। परंतु हाल के कुछ वर्षो से पावर प्लांट में क्रश कोयले की डिमांड 100 एमएम (4 इंच) व सीएचपी पुराना होने के कारण रैक लोडिग में काफी समय लगने के कारण सीसीएल प्रबंधन ने काफी मंथन के बाद सीएचपी को बंद कर दिया। इसके बाद सीसीएल प्रबंधन ने गिद्दी सीएचपी साइडिग से गिद्दी, रेलीगढ़ा, गिद्दी सी व रेलीगढ़ा आउटसोर्सिंग का कोयला ट्रांसपोर्टिंग के माध्यम से सौंदा साइडिग भेजने लगी। इस बीच गिद्दी परियोजना के तत्कालिक पीओ एकेबी सिंह ने एक नया क्रशर बनाने का प्रयास शुरू किया। ताकि सौंदा साइडिग जा रही कोयला को यहीं पर क्रश कर भेजने से परियोजना को पहले के अपेक्षा कोयले का रेट अच्छा मिलेगा। इसको लेकर जर्मनी की हमवोल्ट कंपनी के अभियंता से संपर्क किया, तो उसने प्रबंधन को 100 एमएम क्रशर कोयला के लिए उपकरण को जर्मनी भेजने व इसके निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च होने की बात कही थी। इसके बाद इस क्रशर को बनाने का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया। इस बीच अरगडा प्रक्षेत्र में नए जीएम राजीव सिंह के योगदान देने के बाद प्रक्षेत्र के डाउन फॉल को देखकर गिद्दी प्रबंधन द्वारा 100एमएम क्रशर बनाने के सुक्षाव पर काम करने का मन बनाया। इसके बाद जीएम राजीव सिंह, ततकालिक गिद्दी पीओ एकेबी सिंह, प्रोजेक्ट इंजीनियर सिकंदर कुमार, सीएचपी इंचार्ज प्रभात कुमार की टीम के साथ क्रशर को बनाने पर काम करने की रणनीति तैयार की। पूरी टीम जीएम के देखरेख में 100एमएम का क्रशर कोल बनाने में लग गई। पहले बेल्ट का ढांचा 600 मीटर से छोटा कर इसे 60 मीटर कह। पहले प्रयास में क्रशर रोल टीथ (दांत) को मॉडिफिकेशन किया गया। इसमें कोयले की साइज कम नहीं हुई तो टीम के सदस्य निराश हुए। परंतु हार नहीं मानते हुए एक बार फिर से प्रयास शुरू किया तो पुराने क्रशर के प्लेट व दांत के बीच का गेप कम करने के लिए लग गए। देशी जुगाड़ से गेप कम किया तो भी कोयले की साइज 200-250एमएम की हुई। इसके बाद क्रशर से 100 एमएम का कोयला अलग तथा उससे बड़ा कोयला अलग गिरने लगा। सीमित खर्च में अनहोनी कार्य को टीम ने कर दिखाया। परियोजना में जुगाड़ तंत्र से सीमित खर्च में बने 100एमएम के क्रशर कोल को देखने व समझने के लिए सीसीएल के अधिकारी भी लगातार पहुंच रहे हैं। गिद्दी में 100 एमएम का कोल क्रशर बन जाने से सीएचपी बंद होने से बेकार पड़े कर्मियों को इंगेज कर दिया गया है। साथ ही सौंदा साइडिग अब क्रश कोयले को ट्रांसपोर्टिंग के माध्यम से भेजा जा रहा है। इससे कोयले की रेट में बढ़ोतरी हो गया है।

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