पत्नी के इलाज में दवाई के पैसे कम पड़े तो साइकिल से घूम कर बेचने लगे गोलगप्पे
लॉकडाउन लग जाने के बाद से छोटे-बड़े कई व्यवसाय प्रभावित हुआ।
मनोज तिवारी, गिद्दी(रामगढ़) : लॉकडाउन लग जाने के बाद से छोटे-बड़े कई व्यवसाय प्रभावित हुए हैं। चौथे लॉकडाउन में करीब 64 दिनों से व्यापार बंद होने से कई लोगों के सामने समस्या खड़ी हो गई हैं। लॉकडाउन का असर ठेला पर गोलगप्पे बेचने वालों पर भी पड़ा है। तीन बार के लॉकडाउन तक तो गोलगप्पे बेचने वाले किसी तरह घर में रहकर अपना काम चला लिए। परंतु चौथे बार लॉकडाउन लगने से इनके सब्र का बांध टूट गया। ऐसा ही नजारा बुधवार को गिद्दी मेनगेट निवासी अरविद पंडित साइकिल से गिद्दी व आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के घर-घर जाकर चोरी-छिपे गोलगप्पे बेचता दिखा गया। अरविद पंडित कभी ठेले से करीब नौ सौ पीस गोलगप्पे बेचा करता था। लॉकडाउन की मार व पत्नी की दवा के पैसे के लिए साइकिल से गोलगप्पा बेचना पड़ रहा है। पूछने पर उसने बताया कि पत्नी की दवाई के लिए वह चोरी छिपे घर-घर जाकर गोलगप्पे बेच रहा है। लॉकडाउन के पहले वह प्रतिदिन गोलगप्पे बेचकर रोज 700-800 कमा लेता था। परंतु लॉकडाउन में ठेला से गोलगप्पे बेचना बंद हो गया। वहीं राशन कार्ड में चार बच्चों का नाम नहीं रहने के कारण अनाज कम मिल रहा है। पत्नी सुनीता देवी के लिए दवा में प्रतिमाह दो हजार रुपये लगते थे। पत्नी का उपचार पटना से चलता है। वहीं से दवा हमेशा लाते थे। डेढ़ माह लॉकडाउन में गोलगप्पे बेचना बंद हो जाने के कारण पत्नी की दवा के पैसों की किल्लत व पटना जाने की समस्या के कारण दवा नहीं खिला पा रहे थे। अंत में घर में पैसो की किल्लत को देखकर व पत्नी की दवाई के लिए दो-तीन दिन पहले साइकिल से घर-घर जाकर गोलगप्पे बेचना शुरू कर दिया है। गोलगप्पे बेचने के दौरान शारीरिक दूरी का पूरा ध्यान रखते है। एक बार में दो लोग को ही गोलगप्पे खिलाते हैं। फिलहाल प्रतिदिन मात्र 200-300 रुपये ही कमा पा रहें हैं। कमाई से सबसे पहले अपनी पत्नी की दवा लेनी है। अरविद पंडित ने बताया कि उसके तीन पुत्री व दो पुत्र हैं। बड़ी पुत्री ज्योति कुमारी इंटर 12वीं की छात्रा है। जबकि दो पुत्र गौरव व सौरव कक्षा आठ में हैं। चैथे नंबर की पुत्री कक्षा छह व छोटी पुत्री कक्षा तीन में है। कहा कि पूरे परिवार के जीविकोपार्जन व पढ़ाई गोलगप्पे बेचकर ही चलाते हैं। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन से सात परिवार का जीविकोपार्जन करना एक बड़ी समस्या आ गई है। परंतु लॉकडाउन में दूसरा कोई काम नहीं मिलने के कारण मजबूरी में साइकिल से गोलगप्पे बेचना शुरू किया।