सेंट्रल साइड की यह अंतिम दुर्गा पूजा

कार्तिक कुमार वेस्ट बोकारो (रामगढ़) वेस्ट बोकारो के सेंट्रल साइड दुर्गा मंडप में इस बा

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 06:41 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 06:41 PM (IST)
सेंट्रल साइड की यह अंतिम दुर्गा पूजा
सेंट्रल साइड की यह अंतिम दुर्गा पूजा

कार्तिक कुमार, वेस्ट बोकारो (रामगढ़): वेस्ट बोकारो के सेंट्रल साइड दुर्गा मंडप में इस बार आखिरी बार होगी मां दुर्गा की पूजा। मां काली की पूजा भी इस बार नहीं होगी। क्योंकि विजयादशमी के इस क्षेत्र में कोयला खनन का कार्य शुरू हो जाएगा। पूरे इलाके लिए सेंट्रल साइड दुर्गा पूजा में हजारों-हजार लोगों की भीड़ होती थी। इससे लोगों में काफी निराशा है। यहां लगने वाला विशाल मेला व दुर्गा मंडप अब इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा। इसको लेकर एक और विवाद गहरा रहा है। सेंट्रल साइड का 75 वर्ष पुराने दुर्गा मंडप को विलय करने को लेकर दो पक्ष टिस्को प्रबंधन पर दबाव बना रहे हैं। एक पक्ष इसे राजेन्द्र नगर के दुर्गा मंडप में विलय कराना चाहते है, तो पक्ष बंजी के बासंतिक दुर्गा मंडप में विलय करना चाहते हैं।

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आजादी के पहले से होती आ रही मां की पूजा

मंडप में आजादी के पहले से मां दुर्गा और काली मां की आराधना की जा रही है। जानकारों ने बताया कि सबसे पहले वर्ष 1946 में तिरपाल का टेंट बना कर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापना कर नवरात्रि आरंभ हुई थी। पुजारियों और समिति के लोगों के लिये बेलचा पर रोटी और टीन में भोग बनाया जाता था। आज भी 75 सालों में इसकी आस्था कम नहीं हुई बल्कि और परवान चढ़ चुकी है। सैकड़ों श्रद्धालु महिलाएं अपने इष्ट सिद्धि के लिए साल भर मंडप में संध्या में दीप जलाती रही हैं। कोरोना के कारण व सुरक्षा के ²ष्टिकोण से पंडाल की ऊंचाई भले कम की गई है, पर आस्था चरम पर है, इसकी भव्यता देखते ही बनती थी। इस बार स्थानीय ड्राइवर हाट का इमरान टेंट हाउस उसके मालिक व उनके कारीगर तन-मन से जुटे हैं। प्रतिमा का निर्माण भी पूरा हो चुका है। इसे स्वरुप देने में इस बार ह•ारीबाग के विजय प्रजापति ने लगे हैं।

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1946 के इन संस्थापकों ने रखी थी सेंट्रल साइड दुर्गा मंडप की नींव

टाटा स्टील वेस्ट बोकारो डिवीजन तब वेस्ट बोकारो कोलियरी लिमिटेड हुआ करती थी। तब यहां एक बहुत बड़ा वर्ग बांगला भाषी हुआ करता था, जिनकी मां दुर्गा के लिए अटूट आस्था हुआ करती थी। गैर बंगाली भी मां दुर्गा प्रति श्रद्धा रखते ही हैं। तब का वेस्ट बोकारो एक मिनी हिदुस्तान हुआ करता था। जंगली इलाका था, फिर भी लोगों ने मिलकर मां दुर्गे की बंगला पद्धति से पूजा शुरू की, जो आज भी बरकरार है। तब समिति के प्रथम अध्यक्ष बने थे रामापति चौधरी, हिरण्मय नियोगी ने महामंत्री, सुशील दास ने सचिव व बादल बनर्जी ने कोषाध्यक्ष का पद संभाला था। रोला (लकड़ी का खूंटा) और तिरपाल का मंडप बना कर पूजा आरंभ की गई थी।

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