काली पूजा को ले रजरप्पा पहुंचे तांत्रिक
तारकेश्वर महतो रजरप्पा(रामगढ़) कार्तिक अमावस्या के दिन गुरुवार को प्रसिद्ध सिद्धपीठ रजरप्पा
तारकेश्वर महतो, रजरप्पा(रामगढ़) : कार्तिक अमावस्या के दिन गुरुवार को प्रसिद्ध सिद्धपीठ रजरप्पा स्तिथ मां छिन्नमस्तिका मंदिर और दक्षिणेश्वरी काली मंदिर का नजारा इस विशेष दिन में कुछ अलग ही होगा।कोलकाता से आए कारीगरों ने दिन रात मेहनत कर काली पूजा की तैयारी कर दी है। ज्योतिषियों के अनुसार, तंत्र मंत्र की साधना और सिद्धि के लिए इस पावन धरती का विशेष महत्व है। इसीलिए तो कई बड़े तांत्रिक व साधक यहां साधना के लिए पहुंच चुके हैं। जो गुरुवार को कुछ लोग खुले आसमान के नीचे तो कई पहुचे हुए तात्रिक शमसान भूमि और घने जंगलों में भी गुप्तरुप से तंत्र मंत्र सिद्धि के लिए साधना करेंगे। दक्षिणेश्वरी काली मंदिर के पुजारी दुर्गा दत्त पांडेय ने बताया कि दस महाविद्या में दक्षिणेश्वरी काली प्रथम रूप हैं। दीपावली की रात मां के दर्शन का खास महत्व है। उन्होंने बताया कि छिन्नमस्तिका मंदिर परिसर में कुल 13 हवन कुंड हैं। इसमें कार्तिक अमावस्या की रात साधक और तांत्रिक इन हवन कुंडों में विशेष अनुष्ठान करते हैं। उन्होंने बताया कि कार्तिक अमावश्या की साधना व पूजा से सभी विघ्न बाधाएं दूर होने के अलावे न सिर्फ धन संपत्ति की प्राप्ति होती है बल्कि रोग, शोक, शक्ति व शत्रु का दमन भी होता है। दामोदर नद और भैरवी नदी के त्रिकोण में स्थापित है धाम
असम के कामरूप कामख्या से पहुंचे एक तांत्रिक (गुप्त नाम) ने बताया कि छिन्नमस्तिके मंदिर में शक्ति का एहसास होता है। दामोदर नद और भैरवी नदी के त्रिकोण में स्थापित माता छिन्नमस्तिके का मंदिर देश में एकलौता मंदिर है। तांत्रिक के अनुसार, तप के लिए जितना करंट छिन्नमस्तिके की धरती में मिलती है, शायद उतना करंट कामरुप कामख्या में भी महसूस नहीं करता हूं।