पिता के श्राद्ध का कर्ज चुकाने गया था कमाने, सात वर्षो में लौटी लाश
संवाद सूत्र चैनपुर (पलामू) चैनपुर प्रखंड मुख्यालय से 18 किमी दूर अवसाने पंचायत के छेचानी गांव
संवाद सूत्र, चैनपुर (पलामू): चैनपुर प्रखंड मुख्यालय से 18 किमी दूर अवसाने पंचायत के छेचानी गांव का खरवार जनजाति बहुल उत्तरवारा टोला। मृत देव कुमार सिंह के छोटे से कच्चे घर पर वीरानी छाई हुई है। परिवार के सदस्यों का रहन-सहन व पहनावा घर की बदहाली की दास्तां कहते नजर आती हैं। स्व. देव कुमार की पत्नी बुधनी देवी की आंखों के आंसू सूख चुके हैं। छह बच्चों की परवरिश व पति के श्राद्धकर्म की चिता उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। बुधनी से बातचीत करने पर विस्मित कर देने वाले तथ्य सामने आते हैं। सुबकते हुए बुधनी बताती है कि पिता के श्राद्ध कर्म में चढ़ आए 15 हजार रुपये का कर्ज चुकाने के लिए उनके पति देव कुमार सात वर्ष पूर्व ही कमाने बंगलौर गए थे। तब से लेकर अभी तक घर नहीं आए थे। कर्जा चुकाने के लिए पैसा इकट्ठा नहीं होने के कारण वह घर नहीं लौट रहे थे। अपनी सात वर्षीय बेटी सपना की ओर इशारा करते हुए बुधनी देवी ने बताया कि यह चार माह की थी तब से निकले उसके पति बाहर ही रह रहे थे। एक सितंबर को उसी के टोले के पति के साथ काम कर रहे नंदेव सिंह ने सूचना दी कि देव कुमार छत से गिरकर घायल हो गए हैं। तीन नवंबर को उनके निधन की सूचना मिली। नंदेव सिंह ने ही शव लाने में असमर्थता जताई। इसके बाद उसके टोले के लोग मिलकर पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी के पास गए और उन्हीं के प्रयास से शुक्रवार की शाम उसके पति का शव घर पहुंचा। शनिवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। आंशिक रूप से पक्षाघात की शिकार बुधनी देवी ने बताया कि उसके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। घर में खाने की किल्लत है पति का श्राद्ध कर्म कैसे करेगी समझ में नहीं आ रहा। कुल मिलाकर बुधनी की व्यथा जनजातीय समुदाय की बदहाली की कहानी कहते नजर आती है। झारखंड निर्माण के दो दशक गुजर जाने के बाद भी उनकी स्थिति में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हो पाया है।
कोट
अवसाने के छेचानी टोला निवासी देव कुमार सिंह के स्वजनों को मुआवजा समेत हर संभव सरकारी सहायता दिलाने का प्रयास करेंगे। रोजगार की अनुपलब्धता के कारण ग्रामीण क्षेत्र के गरीब मजदूर बाहर जाने को विवश हैं। स्थानीय स्तर पर रोजगार की व्यवस्था होनी चाहिए।
शैलेंद्र कुमार शैलू,
जिप सदस्य चैनपुर पूर्वी, पलामू।