विवाह से एक दिन पूर्व राम-सीता की हुई थी मुलाकात

लीड के साथ पंचमुखी सूर्य मंदिर परिसर में राम विवाह का हुआ आयोजन गोविदाचार्य स्वामी ने प्रवचन स

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 06:17 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 06:17 PM (IST)
विवाह से एक दिन पूर्व राम-सीता की हुई थी मुलाकात
विवाह से एक दिन पूर्व राम-सीता की हुई थी मुलाकात

लीड के साथ

पंचमुखी सूर्य मंदिर परिसर में राम विवाह का हुआ आयोजन

गोविदाचार्य स्वामी ने प्रवचन सुनाते हुए राम विवाह प्रसंग की चर्चा की

संवाद सूत्र, उंटारी रोड (पलामू): झारखंड पीठाधीश्वर जगतगुरू रामानुजाचार्य गोविदाचार्य स्वामी जी महाराज ने कहा कि विवाह से एक दिन पहले ही भगवान राम व माता सीता की एक मुलाकात हो चुकी थी। यह मुलाकात रामचरित मानस का एक बेहद रोचक प्रसंग है। वे बुधवार को कुटूमू गांव के बांकी नदी तट पर स्थित पंचमुखी सूर्य मंदिर प्रांगण में आयोजित सीता-राम विवाह समारोह में बोल रहे थे। कहा कि भगवान राम व माता सीता की मुलाकात एक अछ्वुत संयोग था। विवाह से पहले मिथिला में गौरी माता की पूजा की परंपरा रही है। जानकजी की वाटिका में देवी पार्वती का मंदिर था। देवी सीता यहां अपनी सखियों के साथ देवी पार्वती की पूजा के लिए आई थीं। इसी समय भगवान राम भी अपने गुरु की आज्ञा से वाटिका में पूजा के लिए फूल लेने आए थे। संयोग से वाटिका में देवी सीता व भगवान राम आमने-सामने आ गए। सकुचाते हुए देवी सीता ने भगवान राम को देखा और राम की ²ष्टि देवी सीता की ओर गई। दोनों को ऐसा लगा जैसे वे जन्म-जन्मांतर के साथी हों। देवी सीता मन ही मन भगवान राम को पति रूप में पाने की कामना करने लगीं। इसका उल्लेख तुलसीदासजी ने रामचरित मानस में किया है। देवी सीता माता पार्वती को पूजने जाती हैं तो मन में भगवान राम की ही छवि बैठी होती है। देवी पार्वती से प्रार्थना करती हैं कि जिनके सिर पर मुकुट, कानों में कुंडल, माथे पर तिलक और अंग प्रत्यंग सुंदर हैं जो संग्राम में खर और दूषण को जीतना जानते हैं वही मुझे पति रूप में प्राप्त हों। देवी सीता के मन की बातों को समझकर देवी पार्वती ने भी उन्हें आशीष दिया कि मनु जाहि राचेऊ मिलिहि, सो बरु सजह सुंदर सांवरो। करुणा निधान सुजान, सील सनेह जानत रावरो। देवी पार्वती ने देवी सीता को आशीष देते हुए कहा कि जो वर तुम्हारे मन में बसा हुआ है वही तुम्हें पति के रूप में प्राप्त होगा। देवी पार्वती को अनुकूल जानकर देवी सीता अत्यंत प्रसन्न हो गईं। देवी सीता के बाएं अंग फड़कने लगे। तुलसीदासजी ने इस विषय में लिखा है कि देवी सीता के बाम अंग का फड़कना शुभ सूचक था कि उन्हें राम ही पति रूप में प्राप्त होंगे।

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