गुमनाम बालिदानियों को किया नमन

लीड------------ बरगद पेड़ के नीचे जमा हुए लोग आजादी के नायकों को दी श्रद्धांजलि संवाद सूत्र

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Nov 2021 06:44 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 06:44 PM (IST)
गुमनाम बालिदानियों को किया नमन
गुमनाम बालिदानियों को किया नमन

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बरगद पेड़ के नीचे जमा हुए लोग, आजादी के नायकों को दी श्रद्धांजलि

संवाद सूत्र, विश्रामपुर (पलामू) : देश की आजादी में अभूतपूर्व योगदान देते हुए गुमनाम रहे बलिदानियों की आत्मा की शांति को ले राजहारा कोठी गांव स्थित बरगद पेड़ के नीचे रविवार को श्रद्धांजलि सभा हुई। इसकी अध्यक्षता प्रो. कृष्ण कुमार मिश्र व संचालन श्याम बिहारी राय ने किया। मौके पर प्रो मिश्र ने कहा कि भारत को आजाद कराने के लिए देश के कोने कोने में अलग-अलग रूपों में लड़ाई लड़ी गई। इसमें हजारों लोगों को फांसी दी गई थी। इसमें मां ने बेटे को एक पत्नी पति को व बहनों ने अपने भाइयों को खोया। ऐसे में एक राजहरा गांव भी शामिल है। 1857 की लड़ाई में शामिल यहां के 500 से अधिक क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने 27,28 व 29 नवंबर 1857 को गांव के बरगद के पेड़ से फांसी पर लटका दिया गया था। ये बलिदानी आज भी गुमनाम हैं। श्रद्धांजलि सभा में श्याम बिहारी राय, संतोष कुमार पाठक, नरेंद्र कुमार दुबे, रमेश कुमार सिंह, अनुज कुमार पाठक, जन्मेजय पांडेय, आशुतोष अंश, कमलकांत आदि ने कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कई लोग इतिहास के पन्नों में अपनी गाथा अमर कर गए है। इनका गर्व से देश में नाम लेता है। ऐसे में झारखंड में सम्मान पटल पर इन गुमनाम बलिदानियों को लाने का प्रयास जरूरी है। कहा कि स्थानीय इतिहासकारों ने इसे चर्चा में लाया। साथ ही किताबों व अपनी इतिहास के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाकर क्षेत्र के गुमनाम बलिदानियों की खोज में जुटे हैं। बताया कि 1857 के पूर्व राजहारा क्षेत्र में बंगाल कोल कंपनी की ओर से माइनिग का काम किया जा रहा था। इस पर पूर्णता अंग्रेजों का अधिकार था। 1857 ई की लड़ाई के बाद लोगों में अंग्रेजो के प्रति उबाल आ गया था। इस पहली स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई के बाद स्थानीय लोग अंग्रेजों को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे। इस गांव के लोग भी राजहरा कोठी स्थित अंग्रेज बंगला को घेर लिया था। माइनिग बंद करने को आंदोलन छेड़ दिया था।

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