बुनियादी सुविधाओं की बाट जोह रहा रिगाडीह गांव

बाटम गांव की कहानी चौकड़ी पंचायत हो गया है ओडीएफ घोषित पर रिगाडीह गांव में बने ह

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 07:17 PM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 07:17 PM (IST)
बुनियादी सुविधाओं की बाट जोह रहा  रिगाडीह गांव
बुनियादी सुविधाओं की बाट जोह रहा रिगाडीह गांव

बाटम

गांव की कहानी

चौकड़ी पंचायत हो गया है ओडीएफ घोषित, पर रिगाडीह गांव में बने है मात्र तीन शौचालय ़फोटो: 23 डीजीजे 10 कैप्शन: रिगाडीह गांव की बदहाल सड़क हिमांशु तिवारी, हैदरनगर (पलामू): देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो गए है। लेकिन हैदरनगर प्रखंड अंतर्गत चौकड़ी पंचायत के रिगाडीह गांव अब भी बुनियादी सुविधाओं की कमी है। झारखंड के अलग राज्य बने भी दो दशक से अधिक का समय बीत गया। उत्तर कोयल नहर पर बसे गांव की न तो तस्वीर बदली और न ही यहां बसे लोगों की तकदीर। बिहार से अलग होकर 15 नवंबर 2000 को अलग झारखंड राज्य बना। गांव के लोगों ने सोचा था कि अब इलाके का तेजी से विकास होगा। बावजूद उनका ये सपना आज भी सपना ही बनकर रह गया। इस गांव के लोगों को सड़क,नाली, शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीना पड़ रहा है। गांव की बदहाल सड़क व नाली देखने यहां दैनिक जागरण की टीम मोटरसाइकिल से हैदरनगर बाजार से निकली। हैदरनगर रेलवे स्टेशन से आधा किलोमीटर की दूरी पर बहेरा गांव होते नहर पार कर हरिजन बिगहा गांव होते रिगाडीह गांव के पास पहुंची। गांव के बाहर ही अपनी मोटरसाइकिल खड़ी करनी पड़ी। आधा किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ा। गांव में एक मात्र लगभग 100 फिट की पक्की गली है। अधिकांश सड़क कच्ची है। गांव में कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है तो उसे खाट पर लिटा कर गांव से बाहर सड़क तक ले जाना पड़ता है। लोग वाहनों से भी बरसात में अपने घर तक नहीं पहुंच पाते। कभी कोई चार पहिया वाहन से गांव जाता है तो सड़क पर ही वाहन फंस जाता है। ट्रैक्टर से चार पहिया वाहन को खींचकर बाहर निकालना पड़ता है। लोगों के घरों का गंदा पानी कच्ची सड़क पर बहता है। इससे मिट्टी की सड़क गडढों में तब्दील हो गई है। गांव में बिजली तो जरूर पहुंची है लेकिन लो वोल्टेज के कारण लोग परेशान है। वैसे तो चौकड़ी पंचायत को ओडीएफ घोषित किया जा चुका है। बावजूद यह आंकड़े सिर्फ कागजी है। रिगाडीह गांव में 100 घर है। इन सिर्फ 3 घरों में शौचालय बनाए गए हैं। आज भी खुले में शौच करने को ग्रामीण मजबूर है। गांव की आबादी 600 से ज्यादा है। गांव नहर के किनारे बसा। हैदरनगर बाजार जाने के लिए नहर को पार करना पड़ता है। बरसात के दिनों में गाड़ियों को पार करना परेशानी का सबब बनता है। इस गांव की बदहाली दूर करने में शासन-प्रशासन का ध्यान नहीं है। विधायक,सांसद हो या पंचायत प्रतिनिधि किसी ने रिगाडीह गांव के लोगो की सुध नहीं ली। कई ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय मुखिया परन राम का घर इस गांव से महज एक किलोमीटर की दूरी पर है। उन्होंने भी गांव के विकास के लिए अब तक कुछ नहीं किया। विनोद राम,मुना चंद्रवंशी,श्रवण राम,अनन्त,पवन,गणेश,मनोज, शुभम, अभिनय व भोला आदि ने बताया कि इस गांव के लोगों से राजनेता हर चुनाव में लंबे चौड़े वादे करते हैं। चुनाव जीतते ही गांव की बदहाली से आंखें मोड़ लेते हैं। बाक्स: फोटो 23 डीजीजे 11 कैप्शन: पंकज चंद्रवंशी गांव में कोई भी विकास का काम नहीं हुआ है। पक्की सड़क व नाली का निर्माण नहीं कराया गया।गांव के लोग खुले में शौच करते है।कई बार जनप्रतिनिधियों से इसकी शिकायत की गई। किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। इससे ग्रामीणों में रोष है। पंकज चंद्रवंशी, निवासी रिगाडीह,हैदरनगर। बाक्स: 23 डीजीजे 12

कैप्शन: संजय राम चुनाव के समय वोट लेने के बाद इस गांव की समस्या से नेता मुंह मोड़ लेते हैं। बरसात के दिनों में इस गांव के लोगों की परेशानी और भी बढ़ जाती है। सड़क पर गंदा पानी बहता है। कच्ची सड़क पर बह रहे नाली के पानी व दुर्गंध के बीच रहने को ग्रामीण विवश हैं।

संजय राम, रिगाडीह,हैदरनगर। बॉक्स: रिगाडीह गांव में विकास का अभाव रहा है। 2016 में मुखिया का चुनाव जीतने के बाद कई काम कराया है। गांव में पक्के काम करने की जरूरत है। सड़को और नाली की कमी है। अपने कार्यकाल में बीच में कई महीने पद मुक्त रहा । इसके बाद से कोरोना महामारी के कारण काम नहीं हो पाया। जल्द ही योजनाओं का चयन कर रिगाडीह गांव में विकास कराएंगे।

परन राम, मुखिया चौकड़ी पंचायत,हैदरनगर।

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