ड्रेगन फूट की खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर

लीड------- जागरण विशेष हरिहरगंज व पिपरा में 40 एकड़ भूमि में शुरू हुई खेती नीति आय

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 05:34 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 05:34 PM (IST)
ड्रेगन फूट की खेती से बदलेगी किसानों की तकदीर
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जागरण विशेष

हरिहरगंज व पिपरा में 40 एकड़ भूमि में शुरू हुई खेती,

नीति आयोग के सहयोग लगाए गए करीब एक लाख पौधे केतन आनंद, मेदिनीनगर (पलामू ): स्ट्राबेरी की खेती से अपनी पहचान बना चुके हरिहरगंज में अब विदेशी ड्रेगन फ्रूट की देसी धमक नजर आएगी। इसके पीछे जहां किसान दीपक मेहता व शुभम मेहता की अथक मेहनत छुपी है, वहीं आकांक्षी जिले में शामिल पलामू के विकास के लिए भारत सरकार के नीति आयोग की योजना का भी प्रतिफल बताया जाता है। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण काल में नीति आयोग ने क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए किसानों को व्यवसायिक खेती का प्रस्ताव दिया था। इसमें नीति आयोग से आर्थिक व अन्य कई की तरह की मदद का भरोसा भी दिया गया था। जिले को विशेष केंद्रीय सहायता से पिछले तीन वर्षों में 71 करोड़ रूपये प्राप्त हुए थे। वहीं वर्ष 2019-20 में नीति आयोग के डेल्टा रैकिग में टाप रहने पर 10 करोड़ की एवार्ड की राशि भी प्राप्त हुई थी। यहीं से जिला प्रशासन के सहयोग से नीति आयोग ने किसानों के लिए लाभकारी फसलों की खेती का माहौल बनाना शुरू कर दिया। पहले स्ट्राबेरी की खेती के लिए किसानों के मामूली अंशदान पर सहायता दी गई, वहीं अब इससे कई लाभकारी ड्रेगन फ्रूट के उत्पादन में नीति आयोग सहयोगी बन रहा है। पिपरा के होलिया गांव में दीपक मेहता ने अपने सहयोगियों के साथ 30 एकड़ भूमि में लगाए गए पौधों में फल भी निकलना शुरू हो गया है। वहीं हरिहरगंज के कौवाखोह में 10 एकड़ भूमि पर शुभम मेहता की टीम द्वारा लगाए गए पौधे अगले 18 से 20 माह में पूरी तरह विकसित होकर फल देना शुरू कर देंगे। नीति आयोग यहां से उत्पादित फलों के लिए बाजार भी उपलब्ध कराने को तैयार है। किसान शुभम बताते हैं कि नीति आयोग ने हमे रास्ता दिखाया था, अब हम मंजिल की ओर निकल पड़े है। यहां बता दें कि एक बार लगाए गए पौधों की अगर सही देखभाल हुई तो अगले 15 से 20 वर्षों तक फलों का उत्पादन किया जा सकता है। यहीं नहीं दो पेड़ों की बीच की चार से पांच फीट की दूरी में किसान आसानी से सब्जी का भी उत्पादन कर रहे हैं। बाक्स: किसानों के अंशदान पर पूरा सेटअप तैयारी करती है नीति आयोग मेदिनीनगर: वापपंथ प्रभावित क्षेत्रों की आर्थिक खुशहाली के लिए नीति आयोग सकारात्मक वातावरण तैयार कर रहा है।इसके लिए आयोग द्वारा किसानों को प्रति एकड़ 25 सौ ड्रेगन के पौधे उपलब्ध कराए गए थे। इसी तरह किसानों के मामूली अंशदान पर स्प्रिंकलर खेती के लिए पांच हार्स पावर के एक या तीन व दो हार्स पावर दो-दो सोलर पंप उपलब्ध करा रही है। इसके अलावा मिनी स्प्रिंकलर नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है। नीति आयोग के एडीएफ अक्षय बताते है इच्छुक किसान इसके लिए प्रखंड कृषि पदाधिकारी या जिले के अधिकारियों के समक्ष अपना प्रस्ताव दे सकते हैं। बाक्स : इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है ड्रेगन फ्रूट

मेदिनीनगर : ड्रेगन फ्रूट को मानव शरीर के लिए गुणों का खान बताया जाता है। विशेषज्ञों की माने तो वर्तमान कोरोना संक्रमण के दौर में जब इंसान में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी एक चिता का विषय बन गया था। इस स्थिति में ड्रेगन फ्रूट का सेवन गंभीर बीमारियों से उबारने में मदद करने की बता कही जाती है। यहीं नहीं इसमें ओमेगा-3, विटामिन सी सहित फाइबर की प्रचुर उपलब्धता ना सिर्फ डायबिटीज के खतरे को कम करता है बल्कि कोलोस्ट्रोल को नियंत्रण करने में भी सहायक सिद्ध माना जाता है। इसलिए इस फल को बाजार भी आसानी से मिल जाता है। बाक्स: औसत 250 ग्राम वजन का होता है एक फल मेदिनीनगर : हरिहरगंज व पिपरा में उत्पादित होने वाला ड्रेगन फल उच्च रेड वेराइटी का है। इसकी कीमत बाजार में तीन से चार सौ रुपये किलो है। स्वाद भी अच्छा है। किसान शुभम बताते है कि उच्च गुणवत्ता का एक फल का वजन 500 ग्राम तक का हो सकता है। इसमें एक पौधे में लगातार 15 से 20 वर्षों तक फलों का उत्पादन कर सकते है। शुभम के अनुसार उनके भाई दीपक की प्रेरणा व नीति आयोग की सहायता के बाद अपनी जमीन के अलावा पट्टा पर जमीन लेकर खेती शुरू की गई है।

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